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लाखों रुपया लेकर लेखपाल करवा रहा है जमीन पर कब्जा, उच्च अधिकारियों को गुमराह करके दे रहा झूठी रिपोर्ट, क्षेत्र में बना चर्चा का विषय ,हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद भी नहीं हो रही सुनवाई,

प्रयागराज ।

👉 लेखपाल ने मोटी रकम लेकर अधिकारियों को किया गुमराह,लगाया झूठी रिपोर्ट । 5 लेखपाल की टीम ने 5 साल पहले उसी आराजी में निर्माण अवैध रुकवा करके लगाया रिपोर्ट ।

👉 वर्तमान लेखपाल अनिल सिंह ने लगाया की 706 बताकर रिपोर्ट दोनों में है विरोधाभास अंतर , कौन सही और कौन गलत ,कब होगी कार्यवाही..

पीड़ित लगा रहा है अधिकारियों के यहां चक्कर ,जान से मारने एवं झूठे मुकदमे में फंसाने की मिल रही है लगातार धमकी ,पहले भी हो चुकी है प्रार्थी के दादा की इसी जमीन के मामले में हत्या

बता दें कि इलाहाबाद सदर तहसील के थाना धूमनगंज अंतर्गत कंधईपुर में आराजी नंबर 714 जो रामशरन यादव पुत्र ननकू की जमीन थी और सीलिंग में चली गई । जमीन पर बरसों से मुकदमा चलता रहा लेकिन अभी तक दबंगों द्वारा कब्जा करने से बाज नहीं आए । इस मामले मे दिनांक 22 मई 2017 को आनंत लाल गुप्ता लेखपाल एवं चार अन्य लेखपाल की टीम ने जाकर जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण को रुकवा दिया और उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट प्रेषित कर दिया कि आराजी no 714 मे अवैध निर्माण रुकवा दिया गया है । तब से आराजी नंबर 714 में निर्माण रुका रहा ।

अभी हाल ही में फिर उस पर भू माफिया के इशारे पर निर्माण शुरू हुआ । इस जमीन पर संतोष यादव ने कई बार शिकायत की लेकिन क्षेत्रीय लेखपाल अनिल सिंह गोलमोल अधिकारियों को रिपोर्ट देता रहा । लास्ट में उसने संतोष ने तहसील दिवस में शिकायत पत्र दिया तो लेखपाल अनिल ने उसमें यह रिपोर्ट लगाया कि आराजी नंबर 706 में निर्माण हो रहा है । अब सवाल यह उठता है कि 5 साल पहले 5 लेखपालों की टीम द्वारा लगाईं गई रिपोर्ट सही थी या फिर अनिल सिंह की रिपोर्ट सही है ,यह एक बड़ा सवाल है ।

सूत्रों की माने तो अनिल सिंह लेखपाल ने कई लाख रुपए भू माफियाओं से लेकर अधिकारियों को गुमराह करके आराजी नंबर 714 जो सीलिंग में जमीन है , उसे भू माफियाओं से निर्माण करवा कर कब्जा करवा रहा है और अधिकारियों को गुमराह कर रहा है जिसकी चर्चा खुलेआम हो रही है । अब देखना यह है कि इस मामले में उच्च अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं यह जांच का विषय है । इस जमीन आराजी संख्या 714 के मामले में माननीय उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश भी संतोष कुमार यादव को प्राप्त है लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है ।

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