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रेलवे एनसीआर में भ्रष्टाचार पर कब लगेगी लगाम, टीआरडी और पर्सनल डिपार्टमेंट हुआ बेलगाम, मनमानी तरीके करते है ट्रांसफर और पोस्टिंग, डीआरएम ऑफिस मे डी-कैटराइजो की लम्बी फौज,काम के नाम पर है जीरो

👉 रेलवे एनसीआर का कार्मिक विभाग बना है मूकदर्शक, ब्रांच के अधिकारी पोस्टिंग में करवाते हैं मनमानी, दूसरे दूसरे विभाग के कर्मचारियों को सजा के तौर पर करते है स्थानांतरण, कार्मिक विभाग के मुखिया का है यह काम, डीआरएम को भी किया जाता है गुमराह, नियमों की उड़ाई जाती है धज्जियां, जिससे रेलवे राजस्व को लगता है लाखों का चूना ।

👉 विद्युत विभाग में टीआरडी डिपार्टमेंट में कर्मचारियों को सबसे ज्यादा होता है उत्पीड़न ।कर्मचारियों के साथ प्राइवेट मजदूरों की तरह होता है व्यवहार ।

👉 12- 12 घंटे की कराई जाती है चौकीदारी, रोजाना 10 से 12 घंटा कराई जाती है लोगों को नौकरी । जबकि 8 घंटे का दिया जाता है वेतन

👉 एसएसई लोग है बेकाबू, हेल्परो को बना रखा है हीरो । नियम कानून की बात करने वाले बाबुओं को सीनियर डी बना रखा है गुलाम।

👉  सीनियर डी चलाता है अपनी तानाशाही ,अपनी मनमर्जी से नियमों को ताक पर रखकर कराता है पोस्टिंग

👉  मनमानी तरीके से बनवाता है टीए और कम्पोजिट अलाउंस , रेलवे का लगता है लाखों रुपए का चूना ,डिपो में पड़े हैं खुले आसमान के नीचे महंगे महंगे सामान

चार चार सौ रुपए प्रति कर्मचारियों से चंदा लेने वाली यूनियन बनी है इनकी गुलाम और करते हैं सीनियर डी की चाटुकारिता ।

प्रयागराज । उत्तर मध्य रेलवे जोन के टीआरडी विभाग में सीनियर डी दिवाकर कुमार की तानाशाही चल रही है , जिसकी वजह से एसएसई लोग इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं । यह लोग कर्मचारियों का दिन-रात शोषण कर रहे हैं और उनसे 12- 12 घंटे की चौकीदारी तथा 10 से 12 घंटे की ड्यूटी कर्मचारियों से ले रहे हैं जबकि उनको तनख्वाह 8 घंटे की ही दिया जा रहा है । यह मामला उच्च अधिकारियों के लिए और विजिलेंस के लिए जांच का विषय है ।

बता दें कि कर्मचारियों के लिए सुरक्षा मानकों को दरकिनार करके यह लोग उनसे कार्य करा रहे हैं । जिसकी वजह से आए दिन कर्मचारी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं । अब तक ऐसे कई कर्मचारियों के साथ दुर्घटना हो चुकी है लेकिन उसके बावजूद भी यह भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है  । कुछ दिन पहले एक कर्मचारी के साथ दुर्घटना की जांच में एसएसई के कहने पर एक निर्दोष एसएससी को दंड दिया गया है जो कि खुलेआम यह सिद्ध होता है कि सीनियर-डी टीआरडी ने चाटुकारिता करने वाले एसएससी के इशारे पर पक्षपात किया हैं । विभाग में जो अच्छे एसएसई है उनका टीआरडी सीनियर डी के द्वारा उत्पीड़न खुलेआम किया जा रहा है और चाटुकारिता करने वाले लोगों को बढ़ावा और इनाम दिया जा रहा है । जो लोग ठेकेदारी करके लाखों और करोड़ों टेंडर में ठेकेदार से मिलकर इनको पैसा व कमीशन खोरी दिलाने का काम करते हैं ,उनके इशारे पर अधिकतर काम किया करते हैं । और सीनियर डी ऐसे एससीई को 10 साल से एक ही जगह पर तैनात कर रखा है ।

बता दें कि कार्मिक विभाग का कार्य होता है कि समस्त विभागों के कर्मचारियों को उनकी पदोन्नति व उनका स्थानांतरण एवं उनकी नियुक्ति नियम के अनुसार होनी चाहिए लेकिन वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी मोहताज  बनकर अपनी शक्ति को ना पहचानते हुए ब्रांच के अधिकारियों के आगे घुटने टेकने का कार्य करते है ।  यहां जो ब्रांच अधिकारी हैं वो अपना जैसा मनमानी फैसला चाहते हैं वैसा ही कर्मचारी को जिसको वह चाहते हैं अपनी पसंद का उसकी पोस्टिंग कराते हैं । चाहे वह किसी दूसरे विभाग का कर्मचारी क्यों ना हो उसको टेंपरेरी पोस्टिंग करा कर दूसरे शहरों तक पोस्टिंग कराने का कार्य करते हैं । जबकि वेतन कोई और देता है ,यह सिलसिला वर्षों से यहां धड़ल्ले से चल रहा है जिस पर रोक लगाने वाला कोई नहीं है । जिसके कारण रेलवे को लाखों रू0 का चूना आर्थिक रूप से लगाया जा रहा है । क्योंकि नियम और कानून की बात बोलने वाले और अच्छे कार्य करने वाले कर्मचारियों को यह अधिकारी टिकने नहीं देते हैं । उनको केवल चापलूस और मक्कार टाइप के लोग पसंद है ,जो उनके स्वयं के काम को घरों तक की देखभाल करते हैं । यदि आंकड़े निकाले जाएं तो इससे यह पता लगेगा कितने कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी नियुक्ति कहीं और हुई है और काम किसी और जगह पर कर रहे हैं और वेतन कोई दे रहा है । इसके साथ-साथ यात्रा भत्ता भी क्लेम कर रहे हैं ,यह सब सिलसिला धड़ल्ले से चल रहा है जो जांच का विषय है । एक कर्मचारी के ऊपर पर्सनल डिपार्टमेंट में सभी सीनियर डीपीओ कई वर्षों से मेहरबान आखिर क्यों हैं, जिसको अधिकारी का दर्जा दे रखा है । एक आलीशान चेंबर देकर पूरे मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के विभागों के कंप्यूटर से संबंधित समस्त कार्यों का रखरखाव ,पैसे का लेन देन, उसी को सौंपा गया है जिससे यह लगता है कहीं व्यापार चल रहा है। इसी के साथ-साथ मास्क खरीदने का कार्य ,रेलवे कैंटीन का भी सीनियर डीपीओ के अधीन चलाई जा रही है और वहां पर खाने के नाम पर एक ही मीनू पूरे सप्ताह चलाया जाता है । कैंटीन में देखा जाए तो 20 रू0 की 5 पूडी सब्जी खिलाई जा रहा है, जिसकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं है और जबकि रेलवे प्लेटफार्मो पर 15 रू0 की पूडी सब्जी का डब्बा रेलवे बिकवाती है। इसमें भी कहीं न कहीं कमीशन खोरी नजर आ रही है । यह मामला भी जांच का विषय है और यह बात पूरे विभाग मे चर्चा का विषय बना हुआ है ।

टीआरडी विभाग के डिपो में अधिकांश हेल्परों से बाबुओं का कार्य कराया जा रहा है । क्योंकि बाबू लोग जब नियम और कानून की बात करते हैं तो वह एसएसई को हजम नहीं होता है और वह सीधे तौर पर बाबू को नकारा बनाकर सीनियर डी के द्वारा उत्पीड़न कराता है या फिर स्थानांतरण करा देता है । यही वजह है हेल्फरो को आईडी देकर एसएसई अपने मनमानी तरीके से यात्रा भत्ता और मामलों को अपने जैसा जैसा चाहता है वैसा कराता है । उसमें रेलवे का राजस्व का भारी भरकम नुकसान होता है जो नियमों को अनदेखी की जाती है । टीआरडी विभाग के डिपो में यदि सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं तो भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगाया जा सकता है और इन एसएसई की मनमानी रवैया पर अंकुश लगेगा । यहां तक कि टावर  बैगन ड्राइवर जो किलोमीटर चार्ज करते हैं उसमें भी काफी घपला है । ड्यूटी ऑन और आफ करने में लाग बुक के अंदर काफी हेरा फेरी है और डीजल की चोरी की भी काफी हेराफेरी है । यदि जांच हुई तो कर्मचारियों के ऊपर और एसएसई के ऊपर गाज गिरना तय है । लेकिन देखना है कि क्या उच्च अधिकारी इस खबर का संज्ञान लेकर डीपो पर कोई कार्रवाई करते हैं या नहीं यह जांच का विषय है । इस मामले में विजिलेंस विभाग भी आंख मूंद कर बैठा है और इन सब मामलों की कभी जांच नहीं करता है ।

 

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