प्रयागराज के डीआरएम आफिस में नक्कारों की भरी है फौज,कार्मिक विभाग मे अयोग्य ओएस,सीओएस मे जाहिलों की भरी है जमात,वर्षो से जमे है एक ही जगह पर एसएसई,रेलवे बोर्ड की ट्रांसफर पालिसी का नही होता है पालन,विजिलेंस विभाग भी मौन
नहीं है किसी को एक पत्र लिखने की तमीज और योग्यता ,रिश्वतखोरी के आलम में बन गए हैं ओएस और सीओएस। अभी भी है जाहिलो को ओएस बनाने का धंधा है जारी।
👉 जो बाबू है लाइन मे वह है राजनीति का शिकार और बाहर लाइन में पड़े है,नहीं है उनकी समस्या को कोई सुनने वाला ।
👉 डीआरएम ऑफिस में जिसकी हो गई है पोस्टिंग उसका यहीं से हो जाता है रिटायरमेंट ,नहीं होता है ट्रांसफर
👉 गाइडलाइन का होता है दुरुपयोग, नहीं होता है रोटेशनल ट्रांसफर । बाहर लाइन पर पड़े हैं तमाम बाबू, वहीं से हो जाते हैं रिटायर । आखिर कब तक चलेगा डीआरएम मे यह कारनामा, वर्षों से चल रहा है खेल।
👉 डीआरएम ऑफिस के महत्वपूर्ण पदों पर हुआ एक जाति विशेष का पूरा कब्जा, अब विभागीय परीक्षा में बनेगा एक रैकेट, जिसमें होगी जमकर धन उगाही ।
👉 पर्सनल डिपार्टमेंट में वर्षों से व्याप्त भ्रष्टाचार, काम चोरों की है लम्बी फौज ,अभी भी टीआरडी विभाग में मौजूूद है डिपो मे दो-तीन टावर वैगन ड्राइवर । आखिर कब लेेंगेेे उच्च अधिकारी संज्ञान
👉 महिलाओं के यौन शोषण के मामले में सुर्खियों में रहा है यह डिपार्टमेंट ,यदि हुई उच्च स्तरीय जांच तो नपेंगे कई अधिकारी, सिविल लाइन थाने में दर्ज है एफआईआर ।
👉 आखिर ओ0एस और सीओएस बनाने का अधिकारियों ने क्या बना रखा है पैमाना, क्या है इसकी चयन प्रक्रिया यह जांच का विषय ।
इसी तरह सीनियर-डी टीआरडी ने फैला रखा है क्षेत्रवाद ,अपने अधीन बाबू संतोष कुमार को बनाया है सचिव ,बना रखा है अवैध उगाही का माध्यम , 4 वर्षों से एक ही जगह पर तैनात नहीं हुआ आज तक ट्रांसफर । किसी को 3 महीने में किया अस्थाई ट्रांसफर तो किसी को सालों साल लटका रखा है ट्रांसफर। स्पेशल केस बनाकर करता है अपने पावर का दुरुपयोग, मामला जांच का विषय ।
प्रयागराज । मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय का पुराना इतिहास रहा है कि समय-समय पर यहां विशेष वर्ग का बोलबाला रहा है । जिसके कारण 60 से 80 परसेंट उसी एक जाति विशेष के लोगों का यहां हमेशा कब्जा रहा है और उन्होंने रैकेट बनाकर इतना धन उगाही की है कि रिटायरमेंट के बाद भी करोड़ों का मकान बनाकर व्यापार कर रहे हैं । आय से अधिक लूट कर संपत्ति बनाई है , यह कारनामा वर्षों से लगातार चलता रहा है । बहुत सारे डीआरएम आए और चले गए लेकिन आज तक इस व्यवस्था को समाप्त नहीं कर पाए और अपना कार्यकाल किसी तरीके से पूरा करके जान बचाकर चले गए है । जिसका खामियाजा कर्मचारी आज तक भुगत रहे और कितने वर्ष बीत जाने के बाद भी किसी भी कर्मचारी का सर्विस रिकॉर्ड ,छुट्टी खाता व पेंशन पूर्ण रूप से व्यवस्थित नहीं हो पाई है । लोग आज भी बाहर से आते हैं और डीआरएम ऑफिस का चक्कर काटकर वापस लौट जाते हैं ,केवल आंकड़ों मे दिखाया जाता है की बहुत सुचारू रूप से कार्य चल रहा है । दिन प्रतिदिन हर विभाग कमाई के नए-नए धंधे अपना रहा है । आलीशान चेंबर बनाकर एसी लगा कर लोगों को मौज कराया जा रहा है । जो लोग तिकड़मी ,चापलूस या अधिकारियों के करीबी चाटुकार हैं उनको मलाईदार पोस्टिंग शुरुआत से ही देकर रिटायरमेंट तक का इंतजाम कर दिया गया है । और जो लोग बाहर लाइन स्टेशनों पर पडे हुए हैं उनका कोई माई बाप या जुगाड़ ना होने के कारण वहीं से रिटायर हो जाते हैं । वह कभी डीआरएम ऑफिस का मुंह नहीं देख पाते और ना ही अपनी पोस्टिंग करा पाते हैं ।
बता दें कि यह बड़े खेद की बात है कि जब लोग लंबे लंबे समय तक एक ही जगह रहते हैं तो उनकी स्थानीय राजनीति पकड़ इतनी मजबूत हो जाती है कि यदि कोई डीआरएम ट्रांसफर पॉलिसी लागू करना चाहता है तो नेतागिरी करके उसको मजबूर कर देते हैं और अपने प्लान में सफल हो जाते हैं । यहां यह भी देखा गया है कि अधिकतर लोग यूनियन से जुड़कर काम कम और तिकड़म ज्यादा करते हैं । यही वजह है कि रेलवे डीआरएम ऑफिस में राजनीति करने वालों की फौज दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है और काम करने वाले कम हैं । यहां तक कि लोगों ने विभागीय ठेके ले रखे हैं ,लोगों की गाड़ियां चल रही है और व्यापार भी चल रहा है । नौकरी ना करके सिर्फ वह यूनियन में रहकर राजनीति करते हैं और दूसरे लोगों को तिकड़म में फंसाने का काम करते हैं । इसीलिए अच्छे कर्मचारियों का यहां पर चयन नहीं हो पाता है और ना ही यह लोग उसे टिकने देते हैं ।
यदि देखा जाए तो अभी कुछ माह पहले डीआरएम आफिस मे एक महिला के यौन शोषण के मामले में पर्सनल डिपार्टमेंट सुर्खियों में रहा है । यहां तक कि उसने विभागीय अपने उच्च अधिकारियों तक शिकायत पत्र लिखा उसके बावजूद भी उसके साथ इंसाफ नहीं किया गया है । जिसमें वह मजबूर होकर सिविल लाइन थाना में डीआरएम ऑफिस के तीन कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है, जिसकी वर्तमान समय में जांच चल रही है । उसमें एक वरिष्ठ अधिकारी का भी नाम शामिल है जिसकी शह पर इतना बड़ा निक्सेस चल रहा था और उसने महिला के साथ शिकायत मिलने पर भी न्याय नहीं किया है । इसके पूर्व में भी रह चुके अधिकारी महोदय ने कुछ महिलाओं के प्रति इतनी हमदर्दी और वरदान दिया है कि 3-3 साल में उसे ओएस बना दिया है जिसका झांसी में बग्घी में बैठा कर सेवा निवृत्त कर स्वागत किया गया है ।
अब देखना यह है कौशांबी वाइस की खबर का संज्ञान लेकर उच्च अधिकारी और रेल मंत्रालय कोई कार्यवाही करता है या फिर ऐसे ही एक विशेष वर्ग का डीआरएम ऑफिस में वर्चस्व चलता रहेगा यह जांच का विषय है ।