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जिला अस्पताल मे प्राइवेट अस्पतालों के दलाल सक्रिय, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न , कई दर्जन मानक विहीन संचालित हैं प्राइवेट हॉस्पिटल

झोला छाप डॉक्टर चला रहे हैं हॉस्पिटल , डिग्री धारक डॉक्टरों लगे बोर्ड मात्र दिखावा,मरीजों का हो रहा जोरों पर धनादोहन ।

कौशाम्बी। जिला अस्पताल में प्राइवेट अस्पतालों के दलालों की सक्रियता थमने का नाम नहीं ले रही है। सुबह से ही ये दलाल अस्पताल परिसर में डेरा डालकर मरीजों को अपने जाल में फंसाने की फिराक में रहते हैं। निजी अस्पतालों से सांठगांठ कर ये दलाल मरीजों को भर्ती कराने के लिए बहकाते हैं, जिससे गरीब और असहाय मरीजों का आर्थिक शोषण हो रहा है। जिला अस्पताल के सामने से लेकर आस पास लगभग 2 दर्जन से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल संचालित है। इन मानक विहीन प्राइवेट अस्पताल की फायर एनओसी और एनबीसी एनओसी भी कंपलीट नहीं है जिनको कई बार नोटिस भी भेजा गया है। इन बड़े बड़े बड़े अस्पतालों में बिना डिग्री धारक हॉस्पिटल और अल्ट्रासाउंड सेंटर आदि चल रहे है । यहां तक कि सीएमओ के नाक के नीचे अधिकतर अस्पताल वेशमेंट में चल रहे है और विभागीय अधिकारी आंख मूंदकर क्यों बैठे है यह एक बड़ा सवाल है ।

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और गुणवत्तापूर्ण बनाने के उद्देश्य से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि मरीजों को सरकारी अस्पतालों में उचित इलाज मिल सके और उन्हें निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने की जरूरत न पड़े। इसके बावजूद, प्राइवेट अस्पतालों से जुड़े दलालों का जाल जिला अस्पताल में गहराता जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अधिकारी, सीएमओ और सीएमएस, इस स्थिति से पूरी तरह अवगत होने के बावजूद अभी तक कोई ठोस कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। सीएमओ ने कई बार निर्देश दिया है कि यदि कोई दलाल जिला अस्पताल में पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, आज तक ऐसे किसी दलाल पर कार्रवाई नहीं हो सकी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अस्पताल के कुछ डॉक्टरों और कर्मचारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है।

अलग-अलग निजी अस्पतालों के दलाल अस्पताल के महिला वार्ड में विशेष रूप से सक्रिय रहते हैं, जहां दूर-दराज से आई गर्भवती महिलाओं के परिजनों को बेहतर इलाज का झांसा देकर प्राइवेट अस्पतालों में ले जाने का प्रयास किया जाता है। इस प्रक्रिया में इन परिवारों का आर्थिक शोषण किया जाता है, जिससे मरीजों का सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से विश्वास उठता जा रहा है। कभी कभी खानापूर्ति के लिए कुछ अस्पतालों पर कार्यवाही कर दी जाती है और फिर सेटिंग गेटिंग कर पुनः चलाने कि अनुमति मिल जाती हैं ।

स्वास्थ्य विभाग को इस समस्या पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को दलालों के जाल से बचाया जा सके और उन्हें सही व सस्ती चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो।

इस मामले में जब सीएमओ संजय कुमार से बात हुई तो उन्होंने बताया कि दीपावली बाद एक टीम के तहत पूरे जिले में कार्यवाही होगी । 14 अस्पतालों पर कार्यवाही की गई है 2 अस्पतालों पर रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है । जल्द ही क्षेत्र के एसडीएम ,इंचार्ज और ब्लाक डॉक्टर की टीम बनकर कार्यवाही किया जाएगा ।

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