कब रुकेगा रेलवे में फैला भ्रष्टाचार,टूंडला का चिकित्सालय भ्रष्टाचार का बना अड्डा,महंगी दवाइयां महगें इंजेक्शन को फर्जी बिल वाउचर में किया जा रहा शामिल ,फल फूल रहा है जोरो पर रिफरल का धंधा
👉 एनसीआर जोन में चिकित्सा विभाग में टूंडला का चिकित्सालय भ्रष्टाचार का बना है अड्डा । 20 वर्षों से एक ही स्थान पर बना है डॉक्टर अविनाश ।
👉 एडीएमओ से लेकर एसीएमएस तक पदोन्नति पाने के बाद भी टूंडला में ही है स्थापित । रेलवे बोर्ड में ऊंची पहुंच रखने के कारण नहीं हो रहा है ट्रांसफर। एमएस (मेडिकल सुप्रीटेंडेंट) टूंडला के पद पर नहीं की जा रही है किसी की पोस्टिंग- आखिर क्यों, बड़ा सवाल…
👉 आगरा के रेलवे अस्पतालों से अनुबंधित प्राईवेट हिस्पिटलो एवं उनके बिलों के निस्तारण मे डा0 अविनाश द्वारा हो रहा है खेल । जबकि सीएमएस इलाहाबाद समन्वय तथा सीएमएस कानपुर का है जूरिडिक्शन और फाइनल बिलों पर यही करते हैं काउंटर हस्ताक्षर ।
👉 करोड़ों – करोड़ों का है फैला भ्रष्टाचार ,कब होगी जांच । जबकि पूर्व में की गई शिकायत पर मंगवाए गए थे कानपुर में प्राइवेट अनुबंध अस्पतालों के बिल , आखिर किस सक्षम अधिकारी द्वारा किया गया है बिलों की स्कूटनी ।
👉 किस अधिकारी द्वारा कानपुर के द्वारा स्कूटनी कराए जाने पर कैसे लगी रोक। ऊंची पहुंच रखने के कारण नहीं हो रहा है बरसों से जमे डा0 अविनाश का ट्रांसफर । प्रति माह बिलों मे हो रही है लाखो की कमीसनखोरी, इसमें कार्यालय, फार्मासिस्ट और डॉक्टर अविनाश की है मिलीभगत।
👉 महंगी दवाइयां और महंगे महगें इंजेक्शन को फर्जी बिल वाउचर में किया जा रहा है शामिल, आखिर कब होगी इन भ्रष्ट लोगों पर जांच कर कार्यवाही बड़ा सवाल । फल फूल रहा है जोरो पर रिफरल का धंधा , डाक्टर की कमी का बनाते हैं बहाना।
प्रयागराज। रेलवे के इलाहाबाद ज़ोन में स्वास्थ्य विभाग का भ्रष्टाचार इन दिनों चरम पर है, खासकर टूंडला रेलवे अस्पताल में। डॉक्टर अविनाश पिछले 20 वर्षों से इस अस्पताल में बने हुए हैं, और उनकी पदोन्नति के बावजूद उनका ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है। एडीएमओ से एसीएमएस तक की रैंक में पदोन्नत होने के बावजूद, वे अभी भी टूंडला में स्थापित हैं। रेलवे बोर्ड में उनकी ऊंची पहुंच होने के कारण उनका ट्रांसफर न होना बड़े सवाल खड़े करता है।
👉 एमएस (मेडिकल सुपरिटेंडेंट) के पद पर कोई नियुक्ति नहीं, आखिर क्यों? बड़ा सवाल…
सबसे बड़ा सवाल यह है कि टूंडला के अस्पताल में मेडिकल सुपरिटेंडेंट (एमएस) के पद पर वर्षों से किसी की नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही है? यह पद खाली होने से प्रशासनिक मामलों में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर अविनाश जैसे लोग मनमाने तरीके से अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।
👉 प्राइवेट अस्पतालों और बिलों में हो रही घोटाला
आगरा के रेलवे अस्पतालों से अनुबंधित प्राइवेट अस्पतालों और उनके बिलों के निस्तारण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। डॉक्टर अविनाश के नेतृत्व में प्राइवेट अस्पतालों के बिलों में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। महंगी दवाइयां और इंजेक्शन के फर्जी बिल बनाकर हर महीने लाखों की कमाई हो रही है। इन बिलों को कानपुर और प्रयागराज के सीएमएस द्वारा काउंटर सिग्नेचर के साथ फाइनल किया जाता है, जिससे करोड़ों रुपये का घोटाला किया जा रहा है।
👉 विजिलेंस विभाग की चुप्पी और ट्रांसफर नीति की उड़ी धज्जियां
इस घोटाले पर विजिलेंस विभाग की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। ट्रांसफर नीति के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन विजिलेंस विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। फर्जी बिलों की स्क्रूटनी पर किस अधिकारी द्वारा रोक लगाई गई, यह अब तक रहस्य बना हुआ है। विजिलेंस की निष्क्रियता से यह स्पष्ट है कि इस भ्रष्टाचार में ऊपर तक पहुंचने वाले लोग शामिल हैं, जो जांच और कार्रवाई को प्रभावित कर रहे हैं।
👉 अनुबंधित प्राइवेट अस्पतालों का रैकेट है हावी…
रेलवे द्वारा अनुबंधित प्राइवेट अस्पतालों का यह रैकेट केवल टूंडला तक सीमित नहीं है, बल्कि कानपुर, प्रयागराज, गाजियाबाद और इलाहाबाद के मंडलीय अस्पतालों में भी फैल चुका है। कई निजी अस्पताल, जो उच्च अधिकारियों और मंत्रियों से जुड़े हैं, फर्जी बिलों के माध्यम से रेलवे को अरबों रुपये का चूना लगा रहे हैं। गाजियाबाद के यशोदा हॉस्पिटल का मामला खास तौर पर चर्चा में है, क्योंकि इसे सत्ताधारी मंत्री का अस्पताल बताया जाता है, जहां भ्रष्टाचार खुलकर फल-फूल रहा है।
👉 चल रहा है आउटसोर्सिंग का धंधा और रिफरल केस
रिफरल के नाम पर निजी अस्पतालों में मरीजों को भेजने का धंधा जोरों पर है। रेलवे के डॉक्टर इलाज करने के बजाय मरीजों को बाहरी अस्पतालों में रेफर करके कमीशनखोरी कर रहे हैं। डॉक्टरों की कमी का बहाना बनाकर रिफरल की संख्या बढ़ाई जा रही है, जिससे निजी अस्पतालों और रेलवे के अधिकारियों के बीच अवैध धन का लेन-देन हो रहा है।
👉 जन शिकायतें और प्रशासन की आखिर अनदेखी क्यों…
रेलवे कर्मचारियों और मरीजों द्वारा बार-बार की गई शिकायतों के बावजूद, प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा। जन सूचनाओं की मांग के बावजूद भ्रष्टाचार में शामिल लोगों का ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि रेलवे के उच्च अधिकारियों में भी मिलीभगत है, और भ्रष्टाचार का यह रैकेट वर्षों से बिना किसी डर के चल रहा है।
👉 अरबों का घोटाला – कब होगी जांच? बड़ा सवाल
सूत्रों के अनुसार, यदि रेलवे के प्राइवेट अस्पतालों से जुड़े इन बिलों की गहन जांच कराई जाए, तो करोड़ों नहीं बल्कि अरबों रुपये का घोटाला सामने आ सकता है। रेल मंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की बात कही जाती है, लेकिन धरातल पर इसका पालन होता नहीं दिख रहा। डॉक्टर अविनाश और उनके जैसे अन्य अधिकारियों का वर्षों से एक ही स्थान पर बने रहना, इस पूरे भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी करता जा रहा है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या रेलवे के उच्च अधिकारी इस भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेंगे या फिर यह घोटाला यूं ही चलता रहेगा। इस स्थिति में रेल मंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि एनसीआर के रेलवे अस्पतालों में फैले इस भ्रष्टाचार का अंत हो सके और रेलवे की छवि को फिर से सुधारा जा सके।
अब देखना है कि कौशांबी वाइस (kaushambi voice) की खबर का संज्ञान लेकर उच्च अधिकारियों द्वारा इस मामले पर जांच कर कार्यवाही होगी या फिर सबकुछ ऐसे ही चलता रहेगा यह एक बड़ा सवाल है…
अमरनाथ झा पत्रकार – 9415254415