रेलवे एनसीआर मे कब रुकेगा व्याप्त भ्रष्टचार,कमर्शियल विभाग में चल रहा है अंधा खेल,एसीएम वा डिप्टी सीटीएम अपने चहेतों को ही क्यों बार बार वीआईपी ट्रेनों में लगाते हैं ड्यूटी
👉 कमर्शियल विभाग में चल रहा है अंधा खेल, टूंडला में डीटीएम के हादसे के बाद जो आपस में सुरू हुई थी जंग बहुत से चेकिंग विभाग के कर्मचारी हुए शहीद।
👉 रेलवे बोर्ड का हवाला देते हुए लोगों के किए गए प्रीआर्डिकल ट्रांसफर। इसमें बढ़ती गई भारी अनियमितता।
👉 मण्डल रेल प्रबन्धक कार्यालय के वाणिज्य विभाग से हुआ लम्बा खेल। ट्रांसफार सूची में की गई धांधली।
👉 जिन लोगों ने पहुंचाया मोटी रकम उनका नहीं हुया ट्रान्सफर, सताब्दी और प्रीमियम ट्रेनो में चयन प्रक्रिया में हुई जमकर धांधली।
👉 एसीएम वा डिप्टी सीटीएम अपने अपने चहेतों को ही बार बार इन ट्रेनों में लगाते हैं ड्यूटी। यही लोग विजलेंस से मिलकर कराते हैं छापेमारी। एससी, ओबीसी माईनर्टी के नए चयनित कर्मचारियो को कराते हैं उत्पीड़न।
प्रयागराज। रेलवे एनसीआर के तीनों मंडलों में जिस प्रकार से वाणिज्य विभाग में उच्च स्तर से संगठित रुप से विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला चल रहा है । इसमे कर्मचारियों की पोस्टिंग मलाईदार जगह और सीएमआई लोगों की पोस्टिंग जो वरीयता सूची में भी नही आते है और ना ही योग्यता रखते हैं उनको चुन- चुन कर मलाईदार जगह पर पोस्ट किया गया है। इसी तरह खानपान निरीक्षक जो वरीयता सूची में नही आते है और कोई योग्यता भी पूर्ण नहीं रखते हैं, उनको मनमानी तरीके से ड्यूटी पर न लगाकर उन्हें गाड़ियों में पेंटीकार के माध्यम से प्रोटोकाल ड्यूटी लगाकर तथा अवैध कमाई की वसूली कराई जाती हैं। इसी क्रम में अपने चहेतों को प्रयागराज से झांसी और झांसी से आगरा मनमानी पोस्टिंग करके अवैध वसूली कराकर खुलेआम लूट जारी है । जिसका उदाहरण एनसीआर के सभी रेलवे स्टेशनों के स्टालो पर देखा जा सकता है। दिवाली करीब होने के कारण अवैध वेंडिंग ट्रेनों में जमकर आरपीएफ व सीएमआई और सीएचआई के संरक्षण मे यह कार्य खुलेआम करया जा रहा है ।
बता दें कि बहुत से सीएमआई और सीएचआई एक ही स्टेशनों पर कई वर्षों से जमे हुए हैं । जिनका मुख्य कारण है की वे लोग कुछ उच्च अधिकारियों के चहेते बने हुए हैं। उनके लिए रेलवे बोर्ड तथा विजलेंस का नियम मायने नहीं रखता है। जबकि दवाई चोरी के कांड में एवम स्टोर की हेराफेरी में पकड़े जाने के बाद भी ट्रान्सफर शहर के बाहर नहीं किया गया है। क्योंकि इन सभी लोगों ने अपने लम्बे लम्बे कारोबार शहर में डाल रखे हैं और राजनीतिक पकड़ भी बना रखी है तथा यूनियन मे पदाधिकरी भी बने बैठे हैं। उदाहरण के तौर पर अलीगढ़ का फार्मासिस्ट, चुनार का फार्मासिस्ट व अन्य कई लोग ऐसे ही एक ही जगह जमे हुए हैं। इसी कड़ी में अलीगढ़ और टूंडला के डॉक्टर भी कई वर्षों से अपना झंडा एक ही जगह पर गाड़े हुऐ हैं, जिनका रेलवे बोर्ड भी नही हिला सका है,यें सब मामले जांच का विषय है। यदि इन सभी मामलों से सम्बन्धित जनसूचना मांगा जाता है तो ये भ्रष्ट अधिकारी सही सूचना भी नही देते हैं क्योंकि ऐसी लोगो को इनका संरक्षण प्राप्त है ।
इसी तरह कुछ ऐसे महारथी है जिनका इतिहास खोला गया तो मिलेगा की उनकी अधिकांस ड्यूटी सताब्दी वा स्टेशन सीआईटी तथा प्रशासन मे रहकर पूरी नौकरी कानपुर में ही काट दी है और ये वही लोग हैं जो विजलेंस से मिलकर एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कराते हैं और अधिकारियो से मिलकर उन्हें सजा दिलाते है ताकि कोई इन मलाईदार पोस्टों पर काम करने की हिम्मत न जुटा सके।
- विभाग के लोगों की माने तो रेलवे बोर्ड के सर्कुलर के अनुसार शताब्दी एक्सप्रेस में कार्य करने वाले कर्मचारियों का 2 साल में प्रिडिकल ट्रांसफर होना आवश्यक है, परंतु वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के की मेहरबानी एवं साथ साठगांठ महीना बंधा होने के चलते वर्षों से लगातार गाड़ी संख्या 12003/4__ 12033/34 , चुनिंदा कर्मचारी कार्य करता है । उनकी सेटिंग विजिलेंस एवं सहायक वाणिज्य प्रबंधक कानपुर सेंट्रल से बंधी व्यवस्था होने के कारण ट्रांसफर होने के बाद भी स्पेयर नहीं करना कर्मचारियों में चर्चा को विषय बना हुआ है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईमानदार रेल मंत्री के सपने को बंदी व्यवस्था के चलते चकनाचूर अधिकारी के द्वारा किया जा रहा है प्रिडिकल ट्रांसफर में भी सीनियरिटी का कोई महत्व नहीं है,जो लोग बंदी व्यवस्था से दूर ईमानदारी से काम करते हैं, उन्हीं लोगों को किया गया है । विजिलेंस की कार्रवाई और बिजनेस इंस्पेक्टर से धक्का मुक्की इस बात का प्रतीक है कानपुर सेंट्रल के गिने-चुने कर्मचारी किसी भी हद तक जा सकते हैं ।