घटनाओं को झूठा बता कर पचाने और अफसरों को गुमराह करने मे माहिर है पुलिस, दलालों के इशारे पर चलता है थाना ,क्षेत्र में माफियाओं की है दहशत और पुलिस का प्राप्त है संरक्षण, इलाके मे बढ़े अपराध, नहीं दर्ज होता मुकदमा, चर्चाओं पर जाए तो सिर्फ लूट मचा रखी है पुरामुफ्ती पुलिस
👉 आखिर कब ध्यान देंगे उच्च अधिकारी थाना पूरामुफ्ती पुलिस के कारनामों का पर ध्यान ,क्षेत्रीय जनता है परेशान
👉 सीआरपीसी 41 का पुलिस करती है खुलेआम उल्लंघन, ऐसे में सीआरपीसी 49 के तहत 1861 अधिनियम के धारा 29 के तहत पुलिस पर बनती है कार्यवाही, लेकिन इन बेलगाम बिगड़ैल पुलिस वालों पर अधिकारियों ने आज तक नहीं की कभी भी कोई कार्यवाही… यही कारण है कि पुलिस आम आदमी के मानवाधिकारों का करती है खुलेआम उल्लंघन..
क्षेत्र में माफियाओं की है दहशत और पुलिस का प्राप्त है संरक्षण, इलाके मे बढ़े अपराध, नहीं दर्ज होता मुकदमा, चर्चाओं पर जाए तो सिर्फ लूट मचा रखी है पुरामुफ्ती पुलिस
👉 माफियाओं से हैं पुरामुफ्ती पुलिस के गहरे संबंध , इसीलिए माफियाओं के है थाना क्षेत्र में हौसले बुलंद, आए दिन देते हैं बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम लेकिन पुलिस नहीं दर्ज करती रिपोर्ट ।
👉 घटना no 1 – बता दें कि एक मामला थाना क्षेत्र के बम्हरौली गांव का है जहां पर दलित पीड़िता श्रीमाला की चार भैंसों की चोरी हो जाती है और शिकायत करने गई महिला के पति को पुलिस ने बंद कर रात भर थर्ड डिग्री से यातना इस लिए दी की वह दलित अनुसूचित जाति का व्यक्ति था ,इतना बुरी तरह रात में पिटाई किए की वह चोट दिखाने के लायक नही है । थाना प्रभारी ने उसकी रिपोर्ट नहीं दर्ज की और यह कहा कि तुम्हें जहां भी जाना जाओ रिपोर्ट नहीं दर्ज करूंगा ,यदि दबाव में दर्ज भी करूंगा तो एफआर लगा दूंगा । फिलहाल आज तक एक महीना से ज्यादा बीतने के बाद भी थाना प्रभारी ने मुकदमा नहीं दर्ज किया है और घटना को झूठ बता रहे हैं ।
👉 घटना no 2 – इसी तरह 26 जुलाई को फैसल निवासी मरियाडीह के घर पर अतीक के गुर्गों ने रात में बमबाजी की जिससे पूरा इलाका दहल गए । यहां तक कि घर की दीवारें दरक गई, उस मामले में भी आज तक थाना प्रभारी ने मुकदमा नहीं दर्ज किया है और इस मामले को भी झूठा बता रहे हैं ।
👉 घटना no 3 – इसी प्रकार तीसरी घटना उमरी गांव में रईस के यहां घटी है लेकिन चुकी रइस के परिवार में काफी गंभीर चोटे आई थी और डॉक्टरी हो जाने के बाद उच्च अधिकारियों का दबाव पड़ने के बाद अ0स0 – 328 मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है ।
👉 घटना नंबर 4 – इसी प्रकार थाना क्षेत्र के सल्लाहपुर चौकी अंतर्गत पावन गांव में अतुल यादव के घर पर चढ़कर दिलीप सिंह यादव ने चाकू मार दिया जिसकी अंतरी बाहर निकल आई । बताया जाता है कि दिनांक 24 नवंबर को घटना के दौरान उसकी अंतरी बाहर निकाल आई तो उसको लाकर आनन-फानन में पुलिस ने भारत हॉस्पिटल में भर्ती करा कर इलाज कराया, पीड़ित ने जब तहरीर दिया तो पुलिस ने दबाव बनाकर तहरीर मे बदलवा कर साधारण मारपीट की घटना दिखा कर एनसीआर नं0 347 धारा 323, 504,506 मुकदमा तो दर्ज कर लिए लेकिन इस मामले में भी 3 दिन तक दिलीप यादव को थाने में बैठाए रखा गया और बाद में कल सेटिंग के बाद 151 में चालान कर दिया गया । इस मामले को भी पुलिस पचा गई और लंबा खेल कर गई । सूत्रों की माने तो यह हिस्ट्रीशीटर के मामले के बीच में हुए विवाद को पुलिस पहले तो मुकदमा ही नहीं लिखना चाह रही थी । ऐसे तमाम कारनामे आए दिन थाना क्षेत्र में होते रहते हैं और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल रहा है, ना तो उनकी रिपोर्ट दर्ज की जाती है और थाना प्रभारी द्वारा उच्च अधिकारियों को गुमराह कर दिया जाता है । यदि एक तरह से कहा जाए तो बेहतर सेटिंगबाज है पूरामुफ्ति पुलिस ।
सूत्रों की माने तो थाना पूरामुफ्ति इलाके में हुई बड़ी-बड़ी घटनाओं को पुलिस पचा जाती है और इन मामलों में मोटी डील होती है, यही वजह है कि अपराधियों के हौसले बुलंद है ।
थाना पुरामुफ्ती के उमरी मे 15 दिन पहले अतीक के गुर्गों ने ढाया एक परिवार पर कहर । 11 नवंबर को रईस अहमद निवासी उमरी के यहां दर्जनों असलहा से लैस बदमाशों ने किया मारपीट और फायरिंग, इस मामले में भी पुलिस नही दर्ज की रिपोर्ट, उच्च अधिकारियों के दबाव में 15 नवंबर को लिखी गई रिपोर्ट । s मामले में भी अभी तक पुलिस ने नहीं की आरोपियों पर कोई कार्रवाई जबकि पीड़ित परिवार गांव छोड़कर बाहर रहने को मजबूर है । पीड़ित की माने तो अतीक के गुर्गों का है आतंक ,लगभग चार दर्जन दर्ज है ऐजाज अख्तर पर मुकदमे – फिर भी थाना प्रभारी का प्राप्त है संरक्षण,नही कर रहे उन पर कोई कार्यवाही ।
बता दें कि उच्च अधिकारियों के दबाव के बाद रईस अहमद की 5 दिन बाद, घटना दिनांक 11 नवंबर को हुई थी लेकिन पांचवें दिन 15 नवंबर को दबाव में रिपोर्ट तो दर्ज कर लिया गया है । क्राइम नंबर 0328 धारा 147, 148, 452 ,323 ,504 ,506, 427 ,307 और 386 के तहत रिपोर्ट तो दर्ज हो गई है लेकिन कार्रवाई करने में पुलिस कतरा रही है और अपराधी पीड़ित को धमकी दे रहे हैं ।
जहां एक तरफ सरकार अतीक के संपत्तियों और उनके गुर्गों पर ढूंढ कर कर रही है कार्रवाई, वहीं थाना प्रभारी के संरक्षण में माफिया ढा रहे हैं उमरी मे कहर। पीड़ित ने उच्च अधिकारियों को पत्र भेजकर जानमाल की सुरक्षा एवम थाना प्रभारी के कारनामों से बचाने की लगाई गुहार ।
पूरामुफ्ति पुलीस को खेल करने में इसलिए भी आसानी होती है कि पूरामुफ्ती थाना के अंदर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हुए हैं ,इसलिए पुलिस जब चाहती है – जिसको चाहती हैं जितने दिन तक मर्जी होती है थाने में लाकर लॉकअप में बंद कर देती है या फिर ऑफिस में बैठा रखती है । कोई कहने, सुनने और देखने वाला नहीं है । बताया जाता है कि गरीबों, लोगों को 4- 5 दिन तक लाकर थाने मे बैठाया जाता है और जब डील हो जाती है तो छोड़ दिया जाता है , डील नहीं होती है तो किसी न किसी मामले में फंसा कर चालान कर दिया जाता है । पुरामुफ्ती पुलिस खुलेआम मानवाधिकार का उल्लंघन कर रही है, लोगों के निजी अधिकारों एवं सीआरपीसी 41 का खुलेआम उल्लंघन कर रही है और अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हुए हैं आखिर कब पूरामुक्ति पुलिस के कारनामों से जनता को न्याय मिलेगा यह एक बड़ा सवाल है । इतना ही नहीं अभी हाल ही में कई आबकारी के मामले में लिखे गए मुकदमा में पुलिस फर्जी फर्द बनाती है और यह दिखाती है कि मौके पर शराब के साथ पकड़ा गया, जहां पर मौके पर ही फर्द बनाई गई और जामा तलाशी ली गई, सीआरपीसी 41 के कोरम को पूरा गया आदि झूठी चीजें दिखाकर लिखापढ़ी मे अधिकारियों को भी गुमराह करती है ताकि उनकी कोई जांच ना की जा सके यह सिलसिला खुलेआम चल रहा है ।
अमरनाथ झा पत्रकार – 9415254415