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नहीं थम रहा है रेलवे के मण्डल कार्यालय में भ्रष्टाचार, मोतीलाल मिश्रा का रैकेट है हावी, विभागीय परीक्षाओं में सेटिंग से कैंडिडेट को कराते हैं पास, ईमानदार कर्मचारियों की नहीं हो पा रही पदोन्नति

👉  रेलवे में होने वाली विभागीय परीक्षाओं में की जा रही है गड़बड़ी, क्यों नहीं हो पाती है योग्य कर्मचारियों की पदोन्नति ।

👉 सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा् का हुआ ट्रांसफर ,मनीष खरे बने सीनियर डीपीओ , वर्षों से कई मामले के सुर्खियों में रहे राजेश शर्मा ,हमेशा लगते रहे भ्रष्टाचार के आरोप, नहीं हुई मामले में जांच ।

👉 सेटिंगबाज कैंडीडेटों का चयन प्रक्रिया में अधिकारियों का होता है सारा खेल, एक ओर पैसा चाहते हैं और दूसरी ओर अपने व्यक्तिगत सेवा सत्कार करने वाले कैंडिडेट को कराते हैं चयन, जिसमें महिलाएं भी हैं शामिल । यह तीसरी बीमारी आज भी मौजूद है

👉 12 अप्रैल को होने वाली परीक्षा में सारी गणित बैठाने की कार्रवाई अधिकारियों द्वारा कर दी गई है फिट और पैसे का लेनदेन का चैनल बहुत दूर-दूर तक किया गया है सेट ,जिसमें कई अन्य विभाग भी है शामिल ।

👉 डीआरएम ऑफिस कार्यालय में मोतीलाल मिश्रा इस भ्रष्टाचार का महत्वपूर्ण व्यक्ति है मौजूद । कई बार हो चुकी है उच्च अधिकारियों से शिकायत, अभी तक नहीं हटाया गया क्यों- यह एक बड़ा सवाल ?

प्रयागराज । रेलवे में इन दिनों भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है बता दें कि डीआरएम ऑफिस में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ें इस कदर से गहरी हो गई है कि जिसे तोड़ पाना अधिकारियों के लिए नामुमकिन सा लग रहा है । एनसीआर के इलाहबाद मण्ड्ल में जो वर्तमान में डीआरएम ऑफिस के कार्मिक विभाग में मोतीलाल मिश्रा एंड कंपनी के नाम से फर्म चल रही है और उसमें 10 -15 वर्षों से एक ही जगह जमे हुए कर्मचारियों का शामिल होना चर्चा का विषय बना है । यह लोग या तो किसी संगठन के पदाधिकारी हैं और या फिर मोतीलाल मिश्रा के रैकेट के मुख्य संचालन करता है जो भ्रष्टाचार के सारे कार्यों को अंजाम देते हैं । इनके लेनदेन के तार दूसरे विभागों से बाकायदा खातों तक जुड़े हुए हैं और उसी माध्यम से पैसों का लेनदेन होता रहता है । उदाहरण के तौर पर चिकित्सा विभाग के लोग भी नेटवर्क मे शामिल है । जिसमें मेडिकल बोर्ड से लेकर इन लोगों की परीक्षा का लेन देन इसी माध्यम से किया जाता है । ऐसे कई डिपार्टमेंट और भी भ्रष्टाचार में शामिल हैं, जिनके माध्यम से पैसों का आदान-प्रदान किया जाता है और वही सतर्कता विभाग सीवीओ अंधेरे में हाथ पर मारती है , क्योंकि वह इस चैनल तक या तो जा नहीं पाती है या फिर जान बूझकर अनजान बनी है ।

बता दें कि सतर्कता विभाग के सामने भी कई ऐसे मामले हैं जिनको सतर्कता निरीक्षकों ने लंबा पैसा लेकर मामले को कमजोर करके या तो रफा-दफा कर दिया या फिर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया है । अभी हाल ही में इसी प्रकार से तीन विजिलेंस के सीवीओ को पैसा लेने के मामले में पकड़ा भी गया था । रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने पकड़ा है जो सुर्खियों में रहा है । जब भी आरटीआई के द्वारा कोई सवाल पूछा जाता है तो इस मामले में गोलमोल जवाब दिया जाता है या फिर थर्ड पार्टी बताकर मामले को टरका दिया जाता है । क्योंकि एक आम आदमी के साथ प्रशासन जिस तरीके से क्रूर व्यवहार करता है लेकिन सिस्टम में चल रहे रैकेट के कर्मचारी को खुली छूट देते हैं और कार्रवाई करने से बचता है और उसको संरक्षण भी देते हैं ।

उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो मोतीलाल मिश्रा का मामला अस्पष्ट है । जिस पर प्रशासन द्वारा SF-5 जांच नियुक्त की गई है आज कई वर्षों से उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और प्रशासन उसको अपनी दृष्टि से बहुत मेहनतकश और अनुभवी बताता है जबकि यह व्यक्ति नियमों को ताक पर रखकर रात के 10 बजे तक अकेले डीआरएम ऑफिस कार्यालय में बैठक यह क्या करता है, यह जांच का विषय है । यदि वास्तव में प्रशासन को कार्य की आवश्यकता है तो क्यों नहीं नियम बनाकर एक द्वितीय पाली चलाने का कार्य करने का आदेश क्यों नहीं रेल प्रशासन पारित करता है यह एक बड़ा सवाल है ।

जबकि सूत्रों की मानें तो मोतीलाल मिश्रा के द्वारा भ्रष्टाचार कई वर्षों से इस कदर से विभाग मे फैला हुआ है कि इसके रैकेट को तोड़ना अधिकारियों के लिए आसान नहीं है । मोतीलाल मिश्रा की पत्नी द्वारा की गई शिकायत दूसरी पत्नी को रखने के मामले में कई बार उच्चाधिकारियों तक मामला पहुंचा है । जिसमें जांच भी हुई है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है यह मामला भी सुर्खियों में है ।

वर्तमान महाप्रबंधक ने हालही मे एक सराहनीय कार्य किया है जो सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा को लाइन में लगाने का काम किया है लेकिन जो भ्रष्टाचार फैलाने के मामले में सारे मामलों को संचालित करता है मोतीलाल मिश्रा, उसको अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है । लोगों को महाप्रबंधक से यह उम्मीद है कि मोतीलाल मिश्रा के नेक्सेस को समाप्त करने के लिए जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई करेंगे, तभी जाकर मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय भ्रष्टाचार से मुक्त हो सकेगा ।

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