आखिर कब रुकेगा रेलवे के टीआरडी विभाग का भ्रष्टाचार, 160 कि0मी0 के नाम पर नई-नई करतूतों को दिया जा रहा है अंजाम,नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां, कोरोना के नाम पर बिजलेंस भी साध रखी चुप्पी
👉 टीआरडी विभाग के कई डिपो में की गई है दो टावर वैगन ड्राइवर की नियुक्ति , मनमानी तरीके से चार्ज किया जाता है किलोमीटर एवं रनिंग एलाउंस
👉 जिनका मनमानी से हो रहा है इस्तेमाल, चुन-चुन कर कुछ टावर वैगन ड्राइवरों को जरूरत से ज्यादा दिया जा रहा यात्रा भत्ता
👉 टावर वैगन ड्राइवर के प्रमोशन में हुई है व्यापक तरीके से धांधली और उनकी पोस्टिंग एवं स्थानांतरण में वसूल की गई है लंबी रकम
👉 वर्तमान में सूबेदारगंज, टूंडला और सोनभद्र के स्थानांतरण में व्यापक स्तर पर किया गया है घोटाला, क्यों ना इसकी कराई जाए जांच ।
प्रयागराज । उत्तर मध्य रेलवे मण्डल के कर्षण विभाग में व्यापक तरीके से भ्रष्टाचार व्याप्त है ।
बता दें कि इस डिपार्टमेंट में टावर वैगन ड्राइवर की जो पदोन्नति एवं स्थानांतरण किए गए हैं उसमें लल्लूराम एवं सीताराम यादव तथा सूबेदारगंज के टावर वैगन ड्राइवर का स्थानांतरण नियमों को ताक पर रखकर मोटी रकम लेकर पदोन्नति एवं स्थानांतरण किया गया है । यह मामला पूरे मण्डल के डिपार्टमेंट में चर्चा का विषय बना हुआ है । जबकि नियमानुसार पदोन्नति में रेलवे बोर्ड की यह गाइडलाइन है कि कर्मचारी को उसके पैतृक निवास से करीब ही पोस्टिंग की जाए । जिससे कि वह अपने परिवार की देखरेख करके सुचारू रूप से नौकरी कर सके और रेलवे राजस्व के द्वारा कम्पोजिट भत्ता कम से कम दिया जाय उसको भी बचाया जा सके लेकिन ऐसा ना करके डिपार्टमेंट मे बैठे बाबू एवं SSE इसके विपरीत कार्य कर रहे हैं । इस डिपार्टमेंट का इतना बुरा हाल है कि कर्मचारियों से अवैध वसूली के लिए पूरब के आदमी को पश्चिम और पश्चिम के आदमी को पूरब में पदोन्नति एवं स्थानांतरण किया जाता है ।
बता दें कि इस पदोन्नति एवं स्थानांतरण से कर्मचारी इतना दुखी और परेशान है कि पूरब के कर्मचारी को पश्चिम भेजा जाता है और पश्चिम के कर्मचारी को पूरब भेजा जाता है, जिससे कि मजबूर होकर एक भारी-भरकम चढ़ावा दलालों के माध्यम से लिया जाता है और नियमों को ताक पर रखकर स्थानांतरण किया जाता है जो जांच का विषय है । यह सभी मामले को सीबीआई के द्वारा जांच कराया जाना अत्यंत आवश्यक है ।
इसी तरह 160 किलोमीटर के नाम पर दो टावर वैगन की नियुक्ति वर्तमान में की जा रही है लेकिन किसी- किसी डिपो में यह देखा जा रहा है कि एक टावर वैगन को एक माह 35 हजार रुपए का वेतन है और 38 हजार रू0 का उसको यात्रा भत्ता दिया जा रहा है । जबकि दो ड्राइवर होने पर अल्टरनेट लगाया जा सकता है और दोनों को बराबर से अवसर दिया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है । यहां तक कि जो टावर वैगन ड्राइवर रिलीविंग में नौकरी करने जाता है उसको 1 दिन पहले स्पेयर किया जाता है और अपना यात्रा भत्ता वह दूसरे दिन का क्लेम करता है । यही नहीं टावर वैगन ड्राइवर के द्वारा जो डीजल ईसू नोट पर हस्ताक्षर लेकर उपलब्ध कराया जाता है उस हस्ताक्षर मे भी घोटाला है ।
इसी तरह एक टावर वैगन द्वारा इस घोटाले में शामिल ना होने पर उसका एसएसई ने खुन्नस रखकर साजिश के तहत अनावश्यक स्थानांतरण किया गया है यह जांच का विषय है । अधिकारी को जो सूचना दी गई है उसमें वास्तविक दोषी का कहीं भी नाम निशान नहीं है और जिस कर्मचारी का उस मामले से कोई लेना-देना नहीं है उसका अनावश्यक स्थानांतरण करके उसको एवं उसके परिवार को उत्पीड़न करने का कार्य किया गया है । क्योंकि 6 माह पूर्व उक्त कर्मचारी अपने माता-पिता और न्यायालय के केस से संबंधित स्वयं के अनुरोध पर स्थानांतरण होकर आया था और 6 माह बाद ही उसका ट्रांसफर करके रेल राजस्व को कम्पोजिट अलाउंस के रूप में ₹40000 का चुना लगाया गया जो जांच का विषय है ।
इसी प्रकार ओमप्रकाश बिंद के साथ भी ऐसा ही उत्पीड़न करने का काम किया गया है । यहां पर कहीं ना कहीं जातिवाद का खेल खेलने की बू आती है जिससे कि अच्छे कार्य करने वालों को जानबूझकर परेशान और उत्पीड़न किया जा रहा है ।
इसी प्रकार इस विभाग में एसएसई के द्वारा कर्मचारियों को सी0आर और ओडिआर एवं छुट्टियां जिस प्रकार से उपस्थिति पंजिका में दर्शाई जाती है वह भी लम्बा खेल है । उपस्थित पंजिका मे फ्लूड लगाकर ओवर राइटिंग और काट-छाट करके हेरफेर किया जाता है । यदि उपस्थिति पंजिका एवं मास्टर रोल तथा बुकिंग रजिस्टर का मिलान कर लिया जाए तो बहुत बड़ा फर्जीवाडा का खुलासा होना तय है । इससे एसएसई की काली करतूत का कारनामा का उजागर होना तय है जो विजिलेंस एवं ऑडिट विभाग के लिए जांच का विषय है । लेकिन इसको कोई जांच नहीं करने आता है, इतना ही नहीं जिस कर्मचारी को टावर वैगन ड्राइवर के साथ क्लीनर के काम के लिए बुक किया जाता है उसको भी कहीं अन्य जगह ब्रेकडाउन और यात्रा भत्ता दिलाने का कार्य किया जाता है । इतना ही नहीं टावर वैगन के लाग बुक तथा निरीक्षण फार्म पर एसएसई के हस्ताक्षर होना आवश्यक होते हैं ,वहां पर जे0ई0 ट्रेनिंग का हस्ताक्षर कराया जाता है जो कि गलत है । यह भी एक बड़ा भ्रष्टाचार है एवं संदेह का विषय है ,जिसकी जांच होना आवश्यक है । इससे रेलवे में बैठे जो भ्रष्ट और कामचोर हैं कर्मचारी एवं एसएसई हैं उनकी काली करतूत का खुलासा होना तय है ।
अब देखना है कि (Kaushambi voice) की खबर का संज्ञान लेकर उच्च अधिकारी उनके काले कारनामों की जांच कराते हैं या फिर भ्रष्टाचार के इस आलम में सब ऐसे ही चलता रहेगा या जांच का विषय है ।