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प्रयागराज मे विश्व बौद्ध महासम्मेलन कार्यक्रम का हुआ आयोजन , भारी संख्या में रही लोगो की भीड़ ,कई प्रदेश ,देश एवं विदेशी हुए शामिल 

प्रयागराज मे विश्व बौद्ध महासम्मेलन कार्यक्रम मे उमड़ी लाखो की भीड़, कुम्भ मेले से पहले बौद्ध महासम्मेलन का हुआ आगाज

प्रयागराज के पटेल संस्थान, अलोपीबाग में विश्व बौद्ध महासम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें बौद्ध उपासकों और धर्मावलंबियों की एक विशाल भीड़ एकत्र हुई। यह महासम्मेलन न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिसमें बौद्ध धर्म की गहरी विशेषताओं और इसकी शिक्षाओं को साझा किया गया।

इस महासम्मेलन की तैयारी चार महीनों तक चली, जिसका संचालन भंते सुमित रत्न द्वारा किया गया। उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए न केवल समय, बल्कि अपने ज्ञान और अनुभव का भी भरपूर उपयोग किया। भंते सुमित रत्न ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह आयोजन बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों को जनमानस तक पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।

कार्यक्रम में देश-विदेश से बौद्ध उपासक और धर्मप्रेमी शामिल हुए। इस अवसर पर अनेक विद्वानों और विचारकों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों, जैसे अहिंसा, करुणा, और समर्पण पर गहराई से चर्चा की। इस महासम्मेलन ने न केवल बौद्ध समुदाय को एकत्र किया, बल्कि अन्य धर्मों के अनुयायियों के बीच संवाद और आपसी समझ को भी बढ़ावा दिया। इस कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य, विधायक वाचस्पति, विधायक गीता पासी और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति ने इसे और भी विशेष बना दिया। उनके विचारों ने बौद्ध धर्म के सामाजिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया। उन्होंने बौद्ध धर्म की शांति और सहिष्णुता की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इस धर्म के सिद्धांत सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं।

कार्यक्रम के दौरान, विभिन्न सत्रों में ध्यान, प्रार्थना, और चर्चा का आयोजन किया गया। बौद्ध धर्म की महत्त्वपूर्ण शिक्षाओं को सुनने और समझने के लिए उपस्थित लोगों में विशेष उत्साह देखा गया। इस अवसर पर कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी हुईं, जो बौद्ध संस्कृति और परंपराओं का परिचय देती थीं। महासम्मेलन का एक विशेष आकर्षण बौद्ध ग्रंथों का प्रदर्शन था, जिसमें न केवल प्राचीन ग्रंथ शामिल थे, बल्कि आधुनिक बौद्ध साहित्य भी प्रदर्शित किया गया। उपस्थित लोगों ने इस साहित्य को गहन रुचि के साथ पढ़ा और चर्चाओं में भाग लिया।

इस महासम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म की शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाना और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना था। भंते सुमित रत्न ने आशा व्यक्त की कि इस प्रकार के आयोजन आगे भी होते रहेंगे, जिससे बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार हो सके और मानवता को एकजुट किया जा सके। अंत में, इस महासम्मेलन ने सभी उपस्थित लोगों को एक नई प्रेरणा दी, जिससे वे अपने जीवन में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रेरित हुए। यह कार्यक्रम न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव रहा, जिसने विभिन्न संस्कृतियों और विश्वासों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया।

अमरनाथ झा पत्रकार – 9415254415

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