एसडीएम ने कराया विधवा महिला की पुस्तैनी जमीन पर मंजू पत्नी रामसुरेश को कब्जा, कई न्यायालाय में चल रहा है मुकदमा, एसडीएम ने नही सुनी कोई फरियाद, विधवा के लड़के को भी 151 मे भेजा जेल
👉 विधवा महिला पर एसडीएम सदर आकाश सिंह ने ढाया कहर, उसकी विवादित पुस्तैनी जमीन कर कराया मंजू देवी को कब्जा, कागजात लेकर गए लडके रवी सोनी को भेजा जेल । विधवा महिला का है रो- रो कर है बुरा हाल…
👉 विवादित प्रापर्टी खरीद एसडीएम से करवाया कब्जा, नायब तहसीलदार ने भी नामांतरण आदेश को किया है निरस्त लेकिन नही हुआ अमलदरामद, रजिस्ट्री कैंसीलेसन का भी वाद संख्या 600/2021 चल रहा मुकदमा,और एसडीएम सदर कोर्ट में भी वाद संख्या T-202102420304054 इसी मामले मे पवन कुमार बनाम रामदीन का चल रहा मुकदमा ।
👉 नायब तहसीलदार मंझनपुर ने वाद संख्या 1982 धारा 34/35 में दिनांक 13 /9/2021 को रामसुरेश बनाम मंजू का नामांतरण आदेश भी किया है निरस्त ।
👉42 साल बाद भी आराजी संख्या 418,419 मे देवमन पुत्र माताबदल का वारासत आदेश के बाद भी नहीं चढ़ा खतौनी में नाम, देवमन के मृत्यू के बाद से परिजन परेशान। 2011 से अब तक 4 लोगो के पक्ष मे हो चुकी है रजिस्ट्री….
कौशांबी। जिले के मंझनपुर तहसील के करारी थाना में आयोजित समाधान दिवस में पीड़ित शिकायत कर्ता को एसडीएम सदर आकाश सिंह ने बिना उसकी बातों को सुने ही थाने मे बैठा दिया है । हद तो तब हो गई जब एसडीएम ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए 2 दिन पूर्व शिकायत कर्ता की विधवा मां की प्रार्थना पत्र को अनसुना करते हुए राम सुरेश किं पत्नी मंजू देवी की एक पक्षीय बात सुन उसे लेखपाल और कानूनगो को पुलिस की मौजूदगी में कब्जा दिलाते हुए ट्रैक्टर चलवा दिया जिससे पीड़िता को न्याय मिलता नही दिख रहा है । पुलिस ने शाम कों जब 151 के तहत रवि सोनी को चालान किया तो एसडीएम मंझनपुर में उसे जमानत न देकर जेल भेज दिया है।
बता दे कि थाना करारी के भैला मकदुमपुर गांव मे आराजी नम्बर 418,419 विमला देवी के ससुर देवमन के पिता माताबादल की मौत के बाद 23 सितम्बर 1981 में बरासत के लिए आदेश तो हुआ लेकिन खतौनी में नाम नही चढ़ सका है। इन्ही सब बातो का फायदा उठाकर विमला देवी के पट्टीदार राम जी ने अपना नाम चढवा लिया और कई वर्ष बीतने के बाद उस जमीन को 7/9/ 2011 में सफदर अली व हैदर अली निवासी बबुरा को रजिस्ट्री कर दिया । जिसने रजिस्ट्री कराया वह कब्जा नहीं पाया तो उसने भी साल भर बाद 29/9/2012 को जाकिराबेगम पत्नी अच्छे निवासी समदा के नाम रजिस्ट्री हो गई।
जब जकिरा बेगम भी कब्जा नहीं पाई तो मंजू शाहू निवासी सैता मूरतगंज के नाम 2018 मे रजिस्ट्री हो गई। मंजू शाहू को भी जब कब्जा नहीं मिला तो वह दीवानी न्यायालय में कब्जा पाने के लिए मुकदमा दायर किया और 2 वर्ष बीतने के बाद भी उसे कब्ज़ा नही मिला तो उसने भईला गांव के रामसुरेश पुत्र बच्चा लाल को 11 जनवरी 2021 में रजिस्ट्री कर दिया। एक तरह से देखा जाए तो सिर्फ पेपर पर रजिस्ट्री जमीन की खरीद फरोख्त होती रही लेकिन कब्जा विमला देवी का ही रहा है । इसी बीच कब्जे को लेकर विवाद हुआ तो विमला ने मंजू देवी सहित 6 लोगों के खिलाफ मारपीट का करारी मे मुकदमा दर्ज कराया है। मंजू देवी ने भी 5 दिन बाद फर्जी घटना दिखा कर विमला और उसके 3 लड़को के खिलाफ एससी/ एसटी के तहत कई धारा में मुकदमा दर्ज करवा दिया।
कब्जे को लेकर मामला चलता रहा लेकिन कब्जा विमला देवी का बरकरार रहा है । इसी मामले मे 2007 का मा0 हाई कोर्ट से स्टे भी पारित हुआ जो 5-6 माह पहले समाप्त हो गया लेकिन रजिस्ट्री लगातार होती रही है ।
23 सितम्बर को फिर जब थाना दिवस करारी में पहुंचा मामला । कमला देवी के लड़का रवि को लेकपाल आनंद केसरवानी द्वारा सभी कागजात लेकर थाने बुलाया गया। जैसे ही वह थाने पहुंचा एसडीएम सदर आ गए और जब रवी सभी कागजात लेकर एसडीएम के पास पहुंचा तो उसकी सुनाई नही हुई । उन्होंने रवी को थाने में बंद करवा कर मंजू देवी पत्नी राम सुरेश को लेकपाल कानूनगो और पुलिस को भेजकर कब्जा करा दिया है। गांव में काफी भीड़ लगी रही प्रशासन ने खेत को ट्रैक्टर से जोतवा दिया है ।
हद तो तब हो गई जब रवी का 151 में चालान किया गया तो एसडीएम सदर ने रवी को जमानत नहीं देकर जेल भेज दिया है । एसडीएम की इस तानाशाही से पीड़ित विधवा महीला परेशान है । उसने उच्च अधिकारियो से एसडीएम की तानाशाही रवैया की शिकायत करते हुए न्याय की फरियाद की है । जब इस मामले में …
👉 एसडीएम सदर आकाश सिंह से बात हुईं तो उन्होने कहा कि पूर्व एसडीएम प्रखर उत्तम का आदेश था,महिला पति का खतौनी में नाम है इसलिए उसको कब्ज़ा कराया जा रहा है । जबकि CH-23 में देवमन पुत्र माताबदल का नाम बरासत मे चढ़ाने का 22 दिसंबर 1981 का आदेश है । लगभग 15 साल से विवादित है यह मामला । 2007 में भी हुआ था हाई कोर्ट से स्टेटस को का ऑर्डर । इसके बाद भी कागजो पर रजिस्ट्री होती रही जमीन ।
इसी मामले में 2022 में राम सुरेश ने तथ्यों को छुपाकर मा0 उच्च न्यायालय से पत्थरगढ़ी का डायरेक्शन कराया जिसमे यह आदेश था की यदि कोई कानूनी अड़चन न हो तो पत्थरगढ़ी करा दी जाए लेकिन कई जगह मुकदमा चलने के बाद भी पत्थरगढ़ी करा दी गई थी । इस मामले में भी विमला देवी ने 6 माह पहले डायरेक्शन के खिलाफ हाई कोर्ट में वाद कर रखा है जो विचाराधीन है।