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महाशय मसूरिया दीन पासी जी की 2 अक्टूबर को मनाई गई जयंती, महान क्रांतिकारी के रूप में इनके द्वारा किए गए कार्य सदैव याद किए जायेंगे,ब्रिटिश हुकूमत द्वारा लगाए गए काले कानून के विरुद्ध इन्होंने उठाई थी आवाज, 200 जातियों को जरायम एक्ट से कराया था मुक्त

शोषितों और गरीबों में शिक्षा की ज्योति जलाने वाले आजादी के दीवाने महान क्रांतिकारी,क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के मुक्ति दाता महाशय मसूरिया दीन पासी जी की जयंती पर लोगों ने किया उन्हें कोटि कोटि नमन

देश के कोने कोने में मनाई गई महाशय मसूरिया दीन की जयंती, उनके कार्यों को सदैव समाज रखेगा याद

प्रयागराज। महाशय मसूरिया दीन पासी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1911 को जोधवल तेलियरगंज इलाहाबाद में हुआ था । यही स्थान इनकी जन्मभूमि, कर्मभूमि है। इनके पिता विंदेश्वरी प्रसाद जी थे और माता श्रीमती पार्वती देवी जी थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर में रहकर हुई बाद में गवर्नमेंट स्कूल कटरा में शिक्षा ग्रहण किए। बचपन से ही शिक्षा के प्रति इनका विशेष रुझान था। वे किसी भी क्रांति के लिए शिक्षा को एक मजबूत हथियार मानते थे। उनका मानना था की शिक्षा और क्रांति एक दूसरे के पूरक हैं। सन 1919 तक इलाहाबाद क्रांतिकारियों का गढ़ कहा जाने लगा था। इनके ऊपर क्रांतिकारियों का ऐसा प्रभाव पड़ा कि 13 वर्ष की आयु में ही क्रांतिकारियों की टीम में शामिल हो गए । 1928-29 तक इलाहाबाद स्वतंत्रता संग्राम में पूरी तरह रम चुका था और क्रांतिकारियों की गिनती में महाशय मसूरिया दीन पासी जी अग्रिम पंक्ति में आते थे।इसी दौरान मोतीलाल जी ने मसुरिया दीन जो को कांग्रेस पार्टी में शामिल कर लिए और यहीं से इलाहाबाद में नए युग का प्रारंभ हुआ और मोतीलाल जी तथा मदन मोहन मालवीय आदि के साथ मसूरिया दीन पासी जी का वैचारिक आदान प्रदान होने लगा।

आजादी की क्रांति में मजबूती लाने के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ पर्चे छपवाने एवम् उसे चस्पा करने का काम करने लगे। इन पर्चों में क्रांतिकारी संदेश हुआ करते थे। महाशय मसूरिया दीन पासी जी स्वयं क्रांतिकारी विचारों को कंपोज कर हांथ से टाइप करते थे। धीरे धीरे क्रांतिकारी विचारों का संग्रह बड़ा होने लगा तो हांथ मशीन की जगह पैडल वाली मशीन से छपाई करने लगे और छपाई की गोपनीयता बनाए रखने के लिए छपाई और चस्पा का कार्य स्वयं करते थे। इनका विवाह श्रीमती राम प्यारी से हुआ था इनके चार पुत्र थे। क्रांतिकारी विचारों को एकत्र कर छापने के जुर्म में अंग्रेजों द्वारा जेल में डाल दिया गया, जेल में रहते इनकी पत्नी का निधन हो गया। अंग्रेजों ने शर्त रखी कि यदि मसूरिया दीन पासी अपनी गलती स्वीकार कर भविष्य में क्रांतिकारी लेखों का लेखन, संग्रह एवम् छपाई तथा चस्पा न करने की लिखित हामी भरते हैं तो कारागार से मुक्त कर दिया जाएगा, परंतु मसूरिया दीन पासी जी ने ऐसा करने से मना कर दिया और जेल में रहना स्वीकार किया, जिससे वे पत्नी की अंत्येष्ठि में भी नहीं पहुंच पाए । बाद में जब जेल से रिहा हुए तो पुनः छपाई का कार्य गोपनीय तरीके से करने लगे। यह कार्य कटरा में स्थित एक मकान के तहखाने में किया करते थे। जहां पर आज भी एक प्रेस विद्यमान है, जिसका संचालन इनके परिवार के सदस्यों द्वारा किया जा रहा है।

1932 से 1944 के बीच मसूरिया दीन पासी जी का अधिकतर समय जेल में व्यतीत हुआ। 1935 में ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लास लीग में शामिल हो गए और विभिन्न जाति सूचक अधिनियमों के विरुद्ध आवाज बुलंद की। इन्हीं अधिनियमों में एक अधिनियम क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट था । जिसे पासी जाति के साथ कई अन्य जातियों पर लागू किया गया था। इन जातियों को अपराधी माना जाता था और अपराधी जैसा व्यवहार करते थे। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा लगाए गए इस काले कानून के विरुद्ध महाशय मसूरिया दीन पासी जी ने आवाज उठाई और संघर्ष किए इस आंदोलन में बहुत सारे लोगों ने इनका साथ दिया। संघर्ष के कारण ही आजादी से पूर्व कई जातियों पर लगा काला कानून हटा दिया गया लेकिन पासी जाति समेत कई जातियों पर आजादी के बाद भी क्रीमिनल ट्राइब्स एक्ट लागू रहा, जिसके लिए आपने संसद के अंदर एवम् संसद के बाहर आवाज उठाई तथा कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के समक्ष अपना विरोध प्रकट किए, इस कार्य में संसद के अंदर एवम् संसद के बाहर आपको भरपूर सहयोग मिला, लंबे संघर्ष के उपरांत ही पासी जाति समेत कई अन्य जातियों को भी इस एक्ट से मुक्ति मिली और समाज की मुख्य धारा में शामिल हो गए।

इनके पिता विंदेश्वरी प्रसाद ने इनके बच्चों की परेशानियों को देखते हुए इनका दूसरा विवाह श्रीमती लक्ष्मी देवी के साथ करा दिए जिनसे पांच पुत्रियां तथा दो पुत्र हुए इन्हीं में से एक पुत्र स्वर्गीय शशि प्रकाश दसवीं लोकसभा में चायल से सांसद निर्वाचित हुए थे।आप 1936 में शहर कांग्रेस कमेटी के उपाध्यछ और 1947 में शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए। 1948 में आपने इलाहाबाद में हरिजन हॉस्टल की स्थापना की । आप हरिजन प्राइमरी पाठशाला जो ईश्वर शरण इंटर कॉलेज के बगल में है उसके संस्थापक भी रहे। हरिजन वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के सदस्य रहे। एम ई एस यूनियन इलाहाबाद,पोस्टमैन यूनियन इलाहाबाद तथा ऑल इंडिया पासी महासभा के अध्यक्ष रहे। 1940 -50 के दशक में अनुसूचित जाति के बच्चो की पढ़ाई के लिए शहर के धनाढ्य लोगों से उनके गृह दान में लिए और उसे हॉस्टल के रूप में परिवर्तित किया और संस्था बनाकर समाज कल्याण से अनुदान दिलवाया जिनमें से एक डी सी हॉस्टल बालसन चौराहे पर आज भी क्रियाशील है। यह वही दौर है जब इलाहाबाद को तीन M के नाम से जाना जाने लगा। मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय और मसुरियादीन पासी जी । 1946 में इन्हे यू पी (यूनाइटेड प्रोविश्नल) लेजिस्लेटिव असेंबली में सदस्य बनाया गया।

1947-50 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे। सन 1950-52 तक प्रोविजनल पार्लियामेंट के सदस्य रहे।1952 के प्रथम लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद की सुरछित सीट से मसुरियादीन पासी जी एवम् सामान्य सीट से पंडित जवाहरलाल नेहरू चुनाव जीते थे। दूसरी लोकसभा से लेकर चौथी लोकसभा ( 1971) तक इलाहाबाद की चायल लोकसभा सीट का प्रतिनिधत्व किए। इनके संघर्ष और कार्य की बदौलत ही प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इन्हें सम्मान से महाशय कहकर बुलाते थे राजनीतिक पार्टियों के साथ साथ आम व्यक्ति भी महाशय मसूरिया दीन के नाम से ही जानते हैं। आपकी पत्नी श्रीमती लक्ष्मी देवी आज भी एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपना धर्म निभा रही हैं। शिक्षा के छेत्र में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा। महाशय मसुरियादीन इंटर कालेज आज भी शंकर घाट मार्ग तेलियरगंज में इनके पोते सचिन द्वारा संचालित किया जा रहा है कई अन्य विद्यालय भी इनकी याद में चलाए जा रहे हैं । वे समाज की राजनैतिक,सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहते हुए 21 जुलाई 1978 को स्वर्गवासी हो गए, लेकिन इनके संघर्ष और इनके द्वारा किए गए कार्य सदैव स्मरण दिलाते रहते हैं।

अमरनाथ झा -चीफ एडीटर, 9415254415,8318977396

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