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अमरनाथ झा की सोशल एक्टिविस्ट दिवाकर नाथ त्रिपाठी से हुई खास बात,यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मुद्दे को लेकर फिर गरमाई राजनीत , झारखंड के मुख्यमंत्री पर उठ रहे सवाल की तरह डिप्टी सीएम मौर्य पर भी लग रहे है आरोप

👉 झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का लग रहा आरोप ।

👉 इसी के तहत 9 फरवरी 2022 को केशव प्रसाद मौर्य का सिराथू विधानसभा 251 में नामांकन पत्र निरस्त कराने पहुंचे थे दिवाकर नाथ त्रिपाठी ।

कौशाम्बी । डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मुद्दे को लेकर फिर एक बार राजनीति गरमा गई है । बता दें कि अभी हाल में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर जहां बीजेपी ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मुद्दे को लेकर मामले को उठाया है , वहीं कौशांबी जनपद निवासी केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम उत्तर प्रदेश को लेकर सवाल उठने लगे हैं । कौशांबी केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद है ,वह सिराथू से पहली बार विधायक चुने गए फिर फूलपुर प्रयागराज से सांसद चुने गए । उत्तर प्रदेश में जब बीजेपी की सरकार बनी तो उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया ।

2022 में सिराथू विधान सभा से प्रत्याशी रहे केशव प्रसाद मौर्य के नामांकन में भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मुद्दे को दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने निर्वाचन आयोग के सामने मुद्दा उठाया था और इनके निर्वाचन को रद्द करने की मांग की थी । डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव तो हार गए लेकिन सत्ता में फिर उनको डिप्टी सीएम बनाया गया है । एक बार फिर दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मुद्दे को लेकर संविधान के अनुच्छेद 102 (1) ए सांसद / विधायक के अयोग्य होने का मुद्दा उठाया है । अनुच्छेद 191 के तहत लाभ के पद पर रहते हुए कोई भी व्यक्ति किसी संस्थान या संस्था से अन्य लाभ नहीं ले सकता है ।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के नाम कौशांबी के सिराथू विधानसभा कशिया ग्राम सभा में कामधेनु फिलिंग स्टेशन पेट्रोल पम्प है ,इसके अलावा इनके नाम प्रयागराज के ग्राम भटौती –  तहसील मेजा में जमीन है जहां पर खनन आदि प्लांट चल रहा है । यदि संविधान के गाइडलाइन के तहत देखा जाए तो अपेंडिक्स 4 में LOI फोल्डर के द्वारा एक शपथ पत्र दिया जाता है कि हम किसी सेवा में वेतन ,भत्ता अन्य आर्थिक लाभ नहीं लेंगे । वह चाहे केंद्र सरकार की हो या राज्य सरकार की हो अथवा प्राइवेट संस्थान से हो तो भी लाभ का पद होता है । पेट्रोल पम्प की गाइडलाइन के अनुसार एपेंडेक्स XA मे दिए गए उपबंधो के द्वारा अगर वह किसी संस्थान से वेतन, भत्ता ले रहा है तो उसे संस्थान से इस्तीफा देकर उसके विभाग द्वारा इस्तीफा स्वीकार होने के बाद मूल प्रति की शीघ्र अतिशीघ्र घोषणा करता है और उसका सपथ पत्र भी देना पड़ता है ।

इस प्रकार से देखा जाए तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य वेतन नहीं ले सकते थे, इनका वेतन लेना गैर संवैधानिक है । इस प्रकार से उनको दोहरा लाभ नहीं लेना चाहिए था । उनके खिलाफ निर्वाचन आयोग को अपराधिक मुकदमा भी दर्ज करना चाहिए और दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने उनकी सदस्यता समाप्त होने की मांग की है । उन्होंने बताया कि कौशांबी जनपद मे संजय गुप्ता को पैट्रोल पंप मिला था,इसकी जिलाधिकारी से एनओसी भी प्राप्त हो गई थी परंतु पेट्रोल पंप की शुरुवात नहीं हो सका क्योंकि वह चायल के विधायक बन गए थे । इसलिए पेट्रोलियम कंपनी ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का हवाला देते हुए पेट्रोल पंप का कमिश्निंग (सुरूवात ) करने से मना कर दिया था । ठीक उसी प्रकार हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री झारखंड भी ऑफिस आफ प्रॉफिट के अंतर्गत आए हैं तो कौशांबी निवासी केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के तहत आते हैं । इसके लिए तमाम उच्च अधिकारियों को 1 सितंबर को रजिस्टर्ड पत्र भेजते हुए उनकी सदस्यता समाप्त करने की आवाज दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने उठाई है ।

दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने उतर प्रदेश 2022 के विधानसभा चुनाव में 251 सिराथू विधानसभा से चुनाव लड़ रहे केशव प्रसाद मौर्य का नामांकन पत्र निरस्त कराने के लिए भी 9 फरवरी को रिटर्निंग के अफसर के पास गए थे । त्रिपाठी ने केशव प्रसाद मौर्य की फर्जी डिग्री एवं ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मुद्दे को लेकर रिटर्निंग ऑफिसर से लिखित शिकायत दिए थे जिस पर रिटर्निंग अफसर ने यह कहकर उनकी बात टाल गए कि वह स्कूटनी के समय के मुताबिक लेट हो चुके हैं और उन्होंने उनकी शिकायत सुनने से इनकार कर दिया था । फिलहाल उन्होंने निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश और भारत सरकार को पत्र और मेल के माध्यम से इस बात की शिकायत किया था । अब देखना यह है कि इस मुद्दे में क्या होता है ।

इसी मुद्दे को लेकर दिवाकर नाथ त्रिपाठी से संवाददाता अमरनाथ झा से हुई खास बात….

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