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एनसीआर मे भ्रष्टाचारियों पर नहीं हो रही कार्रवाई, पूर्व मे तैनात विजलेंस विभाग के सीवीआई बी0एन मिश्रा का रहा सुर्खियों मे नाम,179 लोगों का कराया था गलत पे-फिक्सेशन और की मोटी धन उगाही,अब RRB मे है तैनात

एनसीआर जोन के प्रयागराज मंडल में बी0एन मिश्रा का नाम भ्रष्टाचार के मामले में बना चर्चा का विषय ।

👉 इस चर्चित कर्मचारी पर आखिर क्यों नहीं हो रही  विभागीय कार्रवाई एवं जांच, 2012 में था मामूली लिपिक, अपने कार्यकाल में 189 लोगों को कराया था गलत पे-फिक्सेशन ।

👉 आखिर किसके संरक्षण में सतर्कता विभाग में हुआ इसका चयन, यह जांच का है विषय , इसी के बाद मंडल का यह बना खलनायक ।

👉 सतर्कता विभाग में चयन से पूर्व बीएन मिश्रा के चरित्र की आखिर क्यों नहीं हुई जांच ।

👉 उस पद पर कर्मचारी का चरित्र साफ सुथरा होना होता है आवश्यक, आखिर किसकी मेहरबानी से और किसकी छत्रछाया में बीएन मिश्रा का हुआ सीवीआई में चयन ।

👉  अपने कार्यकाल के काले कारनामो को दबाने का किया है प्रयास, उसपर पर्दा डालकर अन्य कर्मचारियों को कराया गया दंडित ।

👉 कुछ दिन के लिए बना सीएलए और फिर जल्दी बना दिया गया सीवीआई ।

वर्तमान समय में आरआरबी सूबेदार गंज में है महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत, अपने किए गए काले कारनामों को छुपाने के लिए इमानदार कर्मचारियों को दिलाया चार्जसीट और दंड ,मामला जांच का विषय ।

👉 इसके बचाने के पीछे कौन सी लगी है बड़ी ताकत, जो रेलवे बोर्ड तक और विजिलेंस विभाग बना हुआ है नपुंसक, आखिर क्यों नहीं हुई इसके काले कारनामों की अब तक जांच ।

👉 यदि हुई इसकी जांच तो  इसको बचाने वाले कई अधिकारियों की गर्दन फंसना तय और बी0एन मिश्रा जाएंगे जेल ।

प्रयागराज । उत्तर मध्य रेलवे जोन के प्रयागराज मंडल में बी0एन मिश्रा नामक कर्मचारी का काला कारनामा चर्चा में है । यह व्यक्ति 2012 से डीआरएम ऑफिस में मामूली कलर्क के रूप में तैनात था और अपने कार्यकाल में इसने रैकेट बनाकर के 179 कर्मचारियों का गलत ढंग से वेतन निर्धारण कराया था और इसके बाद सतर्कता विभाग मे चला गया । जबकि सतर्कता विभाग इसके कार्यकाल में किए गए काले कारनामों की शिकायत उच्च अधिकारियों को की गई है लेकिन विजिलेंस विभाग द्वारा इस मामले में जांच नही की गई है । इसके जिन कार्यों में कार्रवाई होनी चाहिए उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है और अब तक यह फाइल धूल फांक रही है ।

इसके बाद इसने सतर्कता विभाग निकली वैकेंसी के तहत अपना आवेदन दिया और वहां पर भी किसी बड़े अधिकारी का संरक्षण प्राप्त था जो सतर्कता विभाग के नियमों को ताक पर रखकर इसका चयन करा दिया है । क्योंकि सतर्कता विभाग में किसी के चयन होने से पहले उसका चरित्र और सर्विस रिकॉर्ड पूरा खंगाला जाता है । यदि कर्मचारी के विरुद्ध किसी प्रकार का कोई आरोप नहीं है तो ही उसका चयन बिजलेंस डिपार्टमेंट में होता है । यदि शिकायत या आरोप होता है तो उसका चयन नहीं होता है लेकिन यहां पर सारे नियमों को ताक पर रखकर बी0एन मिश्रा का चयन किया गया है जो जांच का विषय है ।

बता दें कि बी0एन मिश्रा अपने चयन होने के पश्चात अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए तथा विजिलेंस विभाग में जो इसके खिलाफ शिकायत की गई थी उसको दबाने के लिए ईमानदार कर्मचारियों को मोहरा बनाकर उनको दंडित कराने का कार्य किया है । लगातार 8 वर्षों से यह विजिलेंस विभाग में बना हुआ है । इसका कार्यकाल 5 वर्ष का समाप्त हो जाने के पश्चात भी इसके ऊपर एक्सटेंशन उच्च स्तर पर जाति विशेष को लेकर संरक्षण दिया गया है और बार-बार इसके कार्यकाल को एक्सटेंसन दिया गया है ।

ऐसे आरोपित कर्मचारी को रेल भर्ती परिषद में आखिर किसके संरक्षण में एवं सहयोग से चयन किया गया है । जबकि आरआरबी  रेलवे का महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट है जिस पर साफ-सुथरी छवि के  लोगों का चयन होना चाहिए । पूर्व में किए गए बी0एन मिश्रा के गलत कार्यों का दंड दो कर्मचारियों को डीआरएम ऑफिस में चार्जशीट दी गई है । जब उन्होंने इसका विरोध किया तो मामले को दबाने के लिए एपीओ ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने का कार्य किया है ,ताकि बीएन मिश्रा को कहीं ना कहीं संरक्षण देकर बचाया जा सके । साजिश के तहत संकीर्ण मानसिकता के कारण जब अजीत सिंह को उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार से सम्मानित करने का अवसर आया तो वहां पर भी बीएन मिश्रा के चाटुकारो ने उसको पुरस्कार ना मिल सके इसलिए अजीत सिंह एवं दूसरे साथी को दंड दिलाने का कार्य किया गया है, इसमें भी बहुत बड़ी साजिश है ।

आखिरकार बी0एन मिश्रा मे पूरे जोन के अंदर ऐसी कौन सी विशेष योग्यता है जो महत्वपूर्ण पदों पर अपना चयन करवा लेता है । जरूर कोई ना कोई अधिकारी है जो उसको संरक्षण दे रहा है, जिसकी वजह से यह लगातार महत्वपूर्ण पदों पर रहा हैं।

इसी प्रकार कुछ दिन पूर्व रेलवे बोर्ड द्वारा एक सुझाव दिया गया था कि आई-पास में जोन के अंदर जो कर्मचारियों का वेतन बनाया जाता है ,उसमें पारदर्शिता लाने के लिए कर्मचारियों की संख्या एक फॉर्मेट स्पष्ट किया जाए । कर्मचारी  वास्तव में कार्यरत है या फिर अनुपस्थित चल रहा है या घर मे बैठकर वेतन ले रहा है, या किसी दूसरे जोन में ट्रांसफर हो चुका है, इन सारे मामलों  में पारदर्शिता लाने के लिए एक अधिकारी ने फॉर्मेट 49 एक पाठ का मसौदा तैयार किया था जिससे डुप्लीकेसी और काले कारनामों एवं बित्तीय गड़बड़ी को रोका जा सके ।  आज भी 999 बिल युनिट मे ऐसे तमाम लोग मिलेंगे जो फर्जी तरीके से वेतन ले रहे हैं । लोगों का वेतन बनाया जा रहा है ,यह भी विजिलेंस और सीबीआई के लिए जांच का विषय है । आज तक सतर्कता विभाग ने ऐसे तमाम मामलों पर कोई भी जांच नहीं की है, जबकि  ऐसे कई दर्जन मामले हैं जो ए0के सिंह वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक के कार्यकाल में किए गए हैं । यदि इसका खुलासा सीबीआई के द्वारा किया गया तो बहुत से कदाचारी बाबू की नौकरी जाना एवं जेल जाना तय है, जिसमें बी0एन मिश्रा की भूमिका भी संदिग्ध है ।

यह उनके लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि ऐसे भ्रष्ट और कामचोर अधिकारियों को मलाईदार सीटों पर पोस्ट किया जाता है और घूम फिर कर इलाहाबाद मंडल में कई वर्षों से अपनी राजनीतिक पकड़ होने के कारण लोग कुर्सी पर जमे बैठे हुए हैं । जिनके  करोड़ों के आलीशान बंगले लखनऊ जैसे शहर में गोमती नगर, इंद्रा नगर,आशियाना जैसे अन्य मोहल्लों में आय से अधिक और बेनामी संपत्ति है, यदि इनकी जांच हुई तो बहुत से अधिकारियों पर गाज गिरना तय है ।

पिछले कई वर्षों से स्वीकृत पद पर कार्यरत कर्मचारी एवं उनके बनाए जाने वाले वेतन का मिलान किया जाए तो कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार का राज खुलना तय है। ऐसे तमाम कर्मचारियों का बाबू द्वारा वेतन अधिक बनाया गया है और इसके बदले में उनसे मोटी रकम वसूल कर बंदरबांट की जाती थी, यह बातें भी लोगों के जुबान पर चर्चा मे बना है ।

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