Thu. Apr 17th, 2025

केंद्रीय चिकित्सालय मे मंडल के एक अधिकारी के इशारे पर शुरू हुआ फिर महिला का उत्पीड़न,महिला को बुलाकर बुरी तरह चेंबर में सीएमएस ने डांंटा और दी धमकी,महिला हुई बेहोश,अपने जासूसों के महिला की कराई जाती है दिनभर जासूसी

👉 महिला पर शोषण के लिए बनाया जा रहा है दबाव , सीएमएस की शुरू हुई तानाशाही ,नौकरी के नाम पर देता है धमकी ।

👉 सदमे में है महिला कर्मचारी, डीआरएम ऑफिस के एक अधिकारी के इसारे पर हो रहा मानसिक उत्पीड़न ।

👉 जबकि पूर्व में हनुमान मिश्रा इंम्बर्समेंट के एक बाबू को सीएमएस ने कर रखा है आजाद और अपना बना रखा है मुखबिर ।

👉 हनुमान मिश्रा के चार्ज का भी काम महिला पर अतिरिक्त सौंपा है भार, नहीं है महिला के पास फाइलो को रखने की सुुुविधा ना है कोई इंंतजाम ।

👉 इसी तरह कई अन्य हैं कर्मचारी ,जो करते हैं सीएमएस के इशारे पर महिला की जासूसी ,उनको आजाद करके जा रहा है घुमाया ,उनको नहीं दे रखा है कोई कार्य ।

👉 सीएमएस को अपनी बहन का एमडी होने का है घमंड ,अस्पताल के कई कर्मचारी हैं इनसे परेशान , नहीं हो सका अब तक कोई समाधान ।

👉 दवाइयों एवं मरीजों की जांचों व रिफरल के नाम पर लाखों रुपए की हो रही है कमीशन खोरी, डॉक्टरों की अवैध कमाई की बंदरबांट से सीएमएम भर रहे हैं अपनी तिजोरी ।

👉 इस समय सीएमएस डॉ0 सुमंत बहल और ऑर्थोपेडिक्स डॉक्टर शिव नायक का चल रहा है केंद्रीय चिकित्सालय में बोलबाला और लम्बा खेल । अगर जांच हुई तो निकलेगी आय से अधिक एवंं करोड़ों की बेनामी संपत्ति ।

👉  डॉक्टर नायक के खिलाफ रेलवे बोर्ड में हुई है शिकायत, वर्षों से एक ही जगह जमे हैं नायक ।

👉 बिना रिश्वत के नहीं करते हैं कोई भी ऑपरेशन, आखिर क्यों नहीं किया जा रहा है इन लोगों का स्थानांतरण ,रेलवे गाइडलाइन की उड़ा रहे हैं धज्जियां ,रिश्वत का माध्यम बने हैं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ।

👉 बाहरी व्यक्तियों से मेडिकल बोर्ड के कराए जाते हैं लेनदेन और टेंडर के सारे कार्य ,इसके एवज में दिया जाता है भारी-भरकम रकम ।

प्रयागराज । रेलवे एनसीआर के केंद्रीय चिकित्सालय एवं मंडल चिकित्सालय में इन दिनों एक महिला कर्मचारी के मानसिक उत्पीड़न का मामला फिर सुर्खियों में आ रहा है । क्योंकि उक्त महिला का उत्पीड़न मंडल के एक अधिकारी के इशारे पर सीएमएस के माध्यम से कराया जा रहा है । जबकि सीएमएस भी एक रंगीन मिजाजी व्यक्ति है । इसलिए उस महिला को 6 अगस्त 2021 को अपने चेम्बर मे बुलाकर बहुत बुरी तरह डांटा और नौकरी करने के बहाने धमकी दी है, जिससे महिला कर्मचारी डरी और सहमी हुई है  । सीएमएस की बेवजह डांट सुनकर महिला कर्मचारी के होश उड गए और वह गश खाकर गिर पड़ी । जिस तरह से रिमबर्समेंट केस के बहाने उसे बहुत बुरी तरह डांंटा और उससे पोजीशन मांगी यह अस्पताल में चर्चा का विषय बना हुआ है । जबकि महिला कर्मचारी के पास एक अन्य कर्मचारी हनुमान मिश्रा के भी कार्यो का बोझ भी ओ0एस महिला कर्मचारी पर ही सौंप दिया गया है । उस हनुमान मिश्रा को सीएमएस ने जासूसी करने के लिए लगा रखा है, उससे कोई काम ना लेकर उसे फ्री आजाद छोड़ दिया गया है । इसी प्रकार और अन्य कर्मचारी भी हैं जिससे सीएमएस सुमंत बहल सिर्फ लोगो की जासूसी करवाते हैं और उनका भी कार्य जो वास्तव में ईमानदार और सीधे साधे कर्मचारी है उन पर बोझ डाल कर करवाया करता है । यह तानाशाही केंद्रीय चिकित्सालय में खुलेआम चल रही है ।

बता दें कि चिकित्सा विभाग ने 17 पोस्टों में 12 पोस्ट को ड्राइवर डी-कैटराइज पोस्टों से भर रखा है और यह काम के नाम पर बहुत बड़े कामचोर है और काम करने के नाम पर यह भागते रहते हैं । यह प्रक्रिया कार्मिक विभाग के द्वारा पोस्टिंग की गई है जिससे वास्तविक कार्य करने वाले बाबू का उत्पीड़न और सीनियरिटी का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है । इस प्रकार से देखा जाए तो ईमानदार और मेहनत से कार्य करने वाले बाबू को सजा भी यही अधिकारी दे रहे हैं और जो नक्कारा एवं कामचोर टाइप के जो बाबू हैं उनको खुला व आजाद छोड़ रखा गया है , जिनसे सिर्फ जासूसी कराने का काम किया जा रहा है ।

बता दें कि इसी प्रकार डॉक्टरों के पास चिकित्सा परिचारक वर्षों से लगे हुए हैं । वह सिक-फिट के नाम पर लगे हैं जो 100 रु0 प्रतिदिन के हिसाब से कर्मचारियों को फर्जी सिक पर रखकर महीने में हजारों रुपया डॉक्टरों को कमा कर देते हैं और शाम को चिकित्सालय में ही दारू पार्टी होती है । इतना ही नहीं एक आर्थोपेडिक सर्जन शिव नायक का नाम रिश्वतखोरी के मामले में बहुत चर्चा में है । यह छोटे से छोटे मामले में 50 हजार से नीचे बात नहीं करता है और बिना पैसा लिए इलाज नहीं करता हैं । जो मरीज इनको पैसा नहीं देता है उनका यह इलाज नहीं करता हैं और उसे महीनों टरकाता रहता हैं । जबकि इस रिश्वतखोर डॉक्टर की शिकायत रेलवे बोर्ड स्तर पर भी कर्मचारियों द्वारा की गई है । यह कई वर्षों से केंद्रीय चिकित्सालय प्रयागराज में ही अपने रिश्वतखोरी की कमाई की दौलत को ऊपर के उच्च अधिकारियों में बंदरबांट कर यहीं पर जमा हुआ है, जिसका ट्रांसफर आज तक नहीं हुआ – आखिर क्यों ?.. यह एक बड़ा सवाल है । यह रेलवे की गाइडलाइन का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन हैं । अब देखना यह है बोर्ड स्तर पर डीजीआरएचएस क्या निर्णय लेते हैं और इन पर क्या कार्रवाई करते हैं यह जांच का विषय है ।

बता दे कि चिकित्सा विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा वर्षों से बना हुआ है और इतनी शिकायत होने के बावजूद वर्षों से जमे डॉक्टरों को स्थानांतरण नहीं किया गया है । आखिर चुन- चुन कर ही क्यों स्थानांतरण किया जा रहा है एक कॉमन पालसी क्यों नहीं अपनाई जाती है । इससे यह साबित होता है कि यह काली कमाई का पैसा उच्च स्तर तक पहुंचाया जाता है जिससे ऊपर बैठे हुए लोग इस मामले को दबा देते हैं और रेल मंत्रालय तक एवं रेल मंत्री तक इन मामलों की खबर नहीं जाती है, यही वजह है कि इन सब मामलों पर संज्ञान नहीं लिया जाता है ।

सूत्रों की मानें तो डीआरएम ऑफिस में तैनात एक महिला कर्मचारी का यौन शोषण करने के उद्देश्य एक अधिकारी सहित कई बाबू लगे हुए थे । जिसकी महिला ने विभाग मे शिकायत करके न्याय की गुहार लगाई थी लेकिन उस मामले मे विभाग से आरोपियों को क्लीन चिट दे दिया गया था । बाद में महिला कर्मचारी ने परेशान होकर सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कराया है जिसकी विवेचना फिलहाल चल रही है । अब उस पर मुकदमा वापस लेने के लिए अधिकारी और कर्मचारी ने बहुत दबाव बनाया है और उस पर झूठी शिकायत भी की गई है लेकिन जब मामला नहीं हल हुआ तो उस महिला कर्मचारी को परेशान किया जा रहा है । डीआरएम ऑफिस के अधिकारी के इशारे पर महिला कर्मचारी को फिर से परेशान करने के लिए सीएमएस के माध्यम से मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है । महिला परेशान,डरी और सहमी हुई है । सीएमएस के डांटने और धमकी की वजह से महिला कर्मचारी सदमे में है क्योंकि सीएमएस ने धमकी दी है । ऐसा लगता है कि उस महिला कर्मचारी की नौकरी सीएमएस के ही हाथों में रखी हुई है लेकिन भ्रष्टाचार के इस आलम में जिस प्रकार से सीएमएस और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत का जो कारनामा चल रहा है फिलहाल इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है । फिलहाल महिला कर्मचारी ने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर अपने साथ हो रहे उत्पीड़न की शिकायत की है । अब देखना यह है कि डीआरएम ऑफिस के अधिकारी के इशारे पर सीएमएस केंद्रीय चिकित्सालय मे जिस प्रकार से महिला कर्मचारी कि उत्पीड़न कर रहे हैं, इस मामले में क्या कार्रवाई होगी या जांच का विषय है ।

फिलहाल महिला कर्मचारी ने अपने साथ हो रहे उत्पीड़न के मामले में डीआरएम ऑफिस में तैनात अधिकारी और सीएमएस के गठजोड़ की वजह से यह उत्पीड़न हो रहा है । उसने कहा कि यदि मेरे साथ न्याय नहीं होगा तो मैं खुदकुशी कर जान दे दूंगी और जिसके पीछे केंद्रीय चिकित्सालय के सीएमएस और डीआरएम ऑफिस के अधिकारी का हाथ है ।

यह महिलाओं का उत्पीडन का मामला पिछले एक दशक से चला आ रहा है ,जो आज तक रुका नहीं है । इस मामले में पीड़ित महिला कर्मचारी ने डीआरएम से मिल कर अपनी पीड़ा सुनाई और उनसे वहां ऑफिस से हटाकर अन्य जगह ट्रांसफर करने की फरियाद की थी ।जिस पर उस महिला कर्मचारी का ट्रांसफर सुरक्षित और सहयोग देने के उद्देश्य केंद्रीय चिकित्सालय मे ट्रांसफर कर दिया है ।  डीआरएम एक ईमानदार और नेक इंसान हैं जिन्होंने महिला की फरियाद सुनी और उसका निस्तारण किया । लेकिन केंद्रीय चिकित्सालय में भी उस महिला कर्मचारी का उत्पीड़न बंद नहीं हो रहा है , इसके पीछे किन लोगों का हाथ है यह जांच का विषय है ।

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