Mon. May 12th, 2025

जीवित को पुलिस ने बनाया मृतक,अपराध रजिस्टर में मृतक फगुवारे पर भी लोकसभा चुनाव में हुई शांति भंग की कार्यवाही

फगुवारे हकीकत में जीवित है और अदालत की पत्रावली में मृतक घोषित है ,

जाँच कराई जाए तो फगुवारे की मृत्यु का प्रमाण देने वाले तत्कालीन थानेदार पर भी अभियुक्त को संरक्षण देने का मुकदमा दर्ज होगा ।

कौशाम्बी । जिले के पश्चिम सरीरा पुलिस रजिस्टर में जिस फगुवारे को मृतक घोषित किया गया है और उसी फगुवारे पर लोकसभा चुनाव में शांति भंग की कार्यवाही पश्चिम शरीरा पुलिस ने कर दी है । देश में गजब की कानून और न्याय व्यवस्था चल रही है । तीन दशक पूर्व तमंचा कारतूस के साथ फगुवारे को पश्चिम शरीरा थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था । जेल से जमानत पर छूटने के बाद फगुवारे अदालत में हाजिर नहीं हुआ जिस पर अदालत में गिरफ्तारी वारंट जारी कर पश्चिम शरीरा पुलिस को निर्देशित किया कि आरोपी फगुवारे को गिरफ्तार कर अदालत में हाजिर करें । अदालत से गिरफ्तारी वारंट आने के बाद थाना पुलिस ने अदालत को सूचना भेज दी कि फगुवारे की मौत हो गई है , जिससे तमंचा के आरोपी फगुवारे के मुकदमे की पत्रावली पर सुनवाई बन्द हो गई । थाना के पुलिस रजिस्टर में भी फगुवारे मृतक होगा लेकिन फगुवारे तो जिंदा है और अभी भी जिंदा है और अब शांति भंग की कार्यवाही के बाद उप जिला अधिकारी की अदालत में भी जीवित होकर हाजिर होगा ।

बता दें कि अदालत से मृतक घोषित होने के 15 वर्षों बाद तक वह थाना के सामने चाय बेचता रहा है । पुलिस को चाय पिलाता रहा, पुलिस थाने के कई उपनिरीक्षक और सिपाहियों से उसके गहरे सम्बंध है । इतना ही नहीं मतदाता सूची में उसका नाम दर्ज है ,वह लगातार मतदान कर रहा है ।  राशन कार्ड में उसका नाम है ,मोदी योजना के राशन का लाभ उठा रहा है ,विधानसभा लोकसभा चुनाव में मतदान कर चुका है और  थाने की तहरीर लिखता है । लोगों की जमीन कब्जा करता है, लोगों से झगड़ा लड़ाई करता है और इस बार के लोकसभा चुनाव में भी अदालत से मृतक फगुवारे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान करेगा लेकिन अदालत से मृतक घोषित कराने वाली पश्चिम शरीरा पुलिस फगुवारे को फिर गिरफ्तार कर जेल भेजने को तैयार नहीं है । प्रकरण पर जाँच कराई जाए तो फगुवारे की मृत्यु का प्रमाण देने वाले तत्कालीन थानेदार पर भी अभियुक्त को संरक्षण देने का मुकदमा दर्ज होगा । इसी के चलते पुलिस महकमा अदालत से मृतक फगुवारे की पत्रावली की जांच कर मामले की सच्चाई उजागर नहीं करना चाहती है ।  फगुवारे हकीकत में जीवित है और अदालत की पत्रावली में मृतक घोषित है जिससे पुलिस महकमे के अपराधियों से गहरे संबंधों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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