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पाशुपालन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, जिले के आला अधिकारियों के संरक्षण में पल रहा भ्रष्टाचार, सही काम करने वालों को नहीं पसंद करते अधिकारी, इसीलिए डॉ0 सीमा का किया गया गैर जनपद ट्रांसफर,

 जिले में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार का अड्डा बना पशुपालन विभाग ,नही है जानवरों की उचित खान- पान की व्यवस्था,

👉 गौशालाओं में तड़प तड़प कर मर रहे हैं पशु ,जिम्मेदार कौन ? जिले के अधिकतर गौशालाओं का है बुरा हाल ।

👉 कई बार कराया गया भूसा का टेंडर ,प्रक्रिया रही फेल । यदि हुआ भी एक टेंडर तो एजेंसी ने खड़े किए हाथ ,अब जिला प्रशासन भूसा – दान के लिए करा रहा है कार्रवाई ।

👉 CVO के कारनामों में है बड़ा उलटफेर, डॉ0 सीमा ने विभाग में भ्रष्टाचार की उठाई थी आवाज- तो कर दिया गया डिमोशन और ट्रांसफर करके दिखाया बाहर का रास्ता

कौशांबी । हवा हवाई साबित हो रहा पशु पालन विभाग का शीप सेंटर , वर्षों से बंद पड़ा सेन्टर । सालो-सालो तक नहीं आते शीप सेंटर के कर्मचारी । भेड़ो के इलाज व देख रेख हेतु सरकार ने खोले है शीप सेंटर । कर्मचारी लगा रहे है सरकार को चूना, घर बैठे ले रहे है तनख्वाह । अझुवा ,सिराथू समेत जिले मे कई जगह बनाए गए है कई शीप सेंटर । जिले के आला अधिकारी मौन, विभाग को लूट की दे रखी है खुली छूट ।

बता दे कि कौशांबी जनपद में पशुपालन विभाग का भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है । इस जनपद में पहले सीवीओ रहे वी0पी पाठक द्वारा भ्रष्टाचार के तहत फर्जी पशुओं का डाटा एवं मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत फर्जी डाटा सुपुर्दगी का भेजते रहे हैं और यह कई वर्षों तक चलता रहा है । जब दिसंबर में डॉक्टर सीमा को सीबीओ को चार्ज मिला तो विभाग में हो रहे तमाम भ्रष्टाचार उजागर हुआ । डॉक्टर सीमा ने इन फर्जी डाटा पर रोक लगाया और व्याप्त भ्रष्टाचार पर नकेल लगाने की कोशिश की तो तत्कालीन सीडीओ शशिकांत त्रिपाठी एवं जिलाधिकारी के मिलीभगत से तमाम आरोप-प्रत्यारोप लगाकर डॉ सीमा को चार्ज से हटा दिया गया और और उनके ही एक जूनियर डा0 यशपाल को चार्ज दे दिया गया ,अभी हाल ही में उसे चरखारी महोबा ट्रांसफर कर दिया गया है । इसी तरह विभाग में नमसा योजना के तहत तमाम भ्रष्टाचार हुआ है इसके तहत वसूली गई धनराशि भी विभाग में नहीं जमा कराई ।

बता दें कि डॉ0 सीमा का लगभग डेढ़ साल का कार्यकाल रह गया है और इस कम समय में किसी का भी ट्रांसफर इतना दूर न करके उसके गृह जनपद के करीब किया जाता है लेकिन यहां अधिकारियों ने डॉ0 सीमा को दलित महिला के होने के नाते परेशान करने के लिए यह कार्य किया है, जिसकी जांच होना चाहिए और इस मामले में तो महिला आयोग और एससी / एसटी आयोग को जांच कर कार्रवाई भी करनी चाहिए। जिले की नौकरशाही इस तरह से बेलगाम हो गई है ,इस सरकार में कि भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं हो रहा है । जो भी अधिकारी भ्रष्टाचार में जितना लिप्त है और जितना ही ज्यादा लूट घसोट कर ऊपर के अधिकारियों को नजराना पेश करते हैं उन्हें ही चार्ज देकर लूटने की खुली छूट दी जाती है । ऐसा ही कुछ काम कौशांबी जनपद के कई डिपार्टमेंट में चल रहा है, यही कारण है कि जनता परेशान है और आम लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है । जनता में जिला प्रशासन के इस तरह के हो रहे कारनामों के खिलाफ एक आक्रोश फैल रहा है और लोग इस भ्रष्ट तंत्र में फंसकर अपने को घुटा महसूस कर रहे हैं ।

कौशांबी जनपद में अभी तक भूसे का टेंडर नहीं हो पाया है , अधिकारी भूसा दान से काम चला रहे हैं । देखा जाए तो जिले में लगभग 73  गौसलाये हैं और 9000 से ज्यादा पशु हैं । इस तरह से जिले में पशुपालन विभाग की तमाम योजनाएं दम तोड़ रही है, यहां पर जो डॉक्टर हैं खासकर सिराथू और कड़ा , सरसवा में पोस्टमार्टम के नाम पर किसानों से ₹5000 वसूल करते हैं । विभाग का शिप सेंटर हवा हवाई है, कहीं सेंटर नहीं चल रहे हैं ,विभागीय योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं मिल पा रहा है और अधिकारी मलाई काट रहे हैं । ऐसा कोई भी गौशाला नहीं होगा जहां कई दर्जन पशु मौत के मुंह में समा जाते हैं तो वहीं गौशाला में ही जेसीबी से खुदवा कर गढ़वा दिया जाता है । भूखे प्यासे जानवर तड़प रहे हैं, धूप में छाया की व्यवस्था नहीं है ,ना चारा की व्यवस्था है ,ना पानी की व्यवस्थाएं हैं । जानवरों के नाम पर सिर्फ लूट मची हुई है और अधिकारी एसी में बैठ कर मुख्यमंत्री के महत्वपूर्ण इस विभाग को पलीता लगा रहे हैं। यदि जांच हुई तो कौशांबी में पशुपालन विभाग का भ्रष्टाचार खुलकर सामने आएगा ।

अमरनाथ झा पत्रकार

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