लेखपाल की मनमानी नाप से भैला मकदूमपुर में पैदा हुए कई भूमि विवाद तेज, सरकारी जमीन 781 को 780 आबादी बताकर करवाया जा रहा कब्जा, बिना सीमांकन के की गई नाप, गांव में बढ़ा तनाव

👉 भैला मकदूमपुर में लेखपाल की मनमानी से उपजा भूमि विवाद, ग्रामीणों ने की जांच की मांग ,गांव से गायब रहता है लेखपाल
👉 संतलाल को नियमविरुद्ध दी गई घरौनी, बन रहा मकान ,सुविधा शुल्क लेकर कब्जा रुकवाने और फिर शुरू कराने का आरोप।
👉 ग्रामीणों ने की करोड़ों की अवैध कमाई की जांच की मांग, अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल, जांच के लिए उठी आवाज़।
कौशांबी । जनपद के मंझनपुर तहसील के भैला मकदूमपुर गांव में तैनात लेखपाल ज्वाला सिंह पर गंभीर आरोप सामने आए हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि लेखपाल ज्वाला सिंह निजी स्वार्थ और आर्थिक लाभ के उद्देश्य से जब जहां चाहता है मनमानी पैमाइश कराकर गांव में विवाद की स्थिति उत्पन्न कर रहा है।
ताजा मामला भैला मकदूमपुर में सरकारी भूमि आराजी संख्या 781 का है, जिसे लेखपाल द्वारा 780 (आबादी) घोषित कर कब्जा दिलवाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि 2 जून 2025 को जंजीर चलाकर बिना सीमांकन के नाप की गई, फिर 11 जून को दोबारा टीम लेकर पैमाइश कराई गई। इस जमीन को संतलाल नामक व्यक्ति को आबादी क्षेत्र बताकर घरौनी जारी कर दी गई, जबकि 780 नंबर की आबादी पहले से बसी हुई है तथा इसमें कोई जमीन खाली नहीं है और यह 781 के दक्षिण में स्थित है जो नक्शा में देखा जा सकता है ।
ग्रामीणों का कहना है कि उक्त भूमि पूर्व में शंकर पुत्र छेदना के नाम दर्ज थी, जिसे 2012-13 में अमरनाथ द्वारा खरीदा गया था। रजिस्ट्री के बावजूद दाखिल-खारिज न होने के कारण तत्कालीन एसडीएम राम सिंह ने बिना एसडीएम परमीशन हुई रजिस्ट्री के वाद के चलते इसे ग्रामसभा की भूमि में दर्ज कर दिया था। यह मामला फिलहाल प्रयागराज कमिश्नरी न्यायालय में 2013 से विचाराधीन है।
इसी तरह गांव में ही आराजी संख्या 618, सरकारी जमीन है जिसमें करीब डेढ़ बीघा रकबा है, उस पर भी शिकायत के बाद अवैध कब्जे को लेकर लेखपाल द्वारा दो- तीन बार पैमाइश की गई। ग्रामीणों के अनुसार पहले लेखपाल ने तो कार्य को रुकवाया, फिर सुविधा शुल्क लेकर कब्जा शुरू करवा दिया। 11 जून को तीसरी बार टीम ले जाकर पुनः कार्रवाई की बात कहकर कब्जाधारक को धमकी दी गई, लेकिन बाद में चुपचाप मामला शांत कर दिया गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि लेखपाल ज्वाला सिंह जहां भी तैनात रहा, वहां पैमाइश के नाम पर अवैध वसूली कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। पैमाइश रिपोर्टें अधिकांश मामलों में उच्च अधिकारियों को नहीं भेजी जातीं, केवल खानापूर्ति कर विवादित भूमि और सरकारी भूमि पर कब्जा कराया जाता है। जबकि गांव में तमाम तलाबी नंबर और 190 आराजी खलिहान, 167 खाद गड्ढा ,590 सहित कई सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा करवाया गया है, उस तरफ खाली कराने के लिए ध्यान नहीं दिया जाता है। लेखपाल कभी भी अपने तैनात किए गए गांव में समय नहीं देता है हमेशा गायब रहता है और जब कभी उसे लाभ लेना होता है तो कही भी पहुंच जाता है और मनमानी नाप कर जंजीर चलाकर लोगों को गुमराह कर अपना स्वार्थ पूर्ति कर विवाद पैदा करवा कर निकल जाता है । यह अपने उच्च अधिकारियों को भी गुमराह करता है और कभी भी नाप या पैमाइश की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को नहीं देता है ।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उच्चाधिकारी लेखपाल ज्वाला सिंह की कार्यप्रणाली पर संज्ञान लेते हैं या फिर उसे खुली छूट जारी रहती है। ग्रामीणों ने पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच और लेखपाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।