Sun. May 12th, 2024

डीआरएम ऑफिस में तैनात सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा का सुर्खियों में कारनामा, कई भ्रष्टाचार के मामले में है लिप्त, रेलवे को दीमक की तरह चाट रहा है सीनियर डीपीओ, कब होगी जांच, खबर की खुन्नस से पत्रकार पर लिखाया मुकदमा

रेल विभाग को दीमक की तरह चाट रहे हैं भ्रष्ट अधिकारी ,रेलवे के काली कमाई से खड़ा किए अरबों का सम्राज्य – जो बना चर्चा का विषय ।

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👉  सीनियर डीपीओ के साथ भ्रष्टाचार में शामिल है मोतीलाल मिश्रा, 15-20 वर्षों से है एक ही जगह तैनात ,कई बार लग चुके हैं गंभीर आरोप ,कब होगा इसका तबादला ,रेलवे गाइड लाइन का नहीं हो रहा है पालन ।

👉 इलाहाबाद डीआरएम ऑफिस मे तैैैनात सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा का कारनामा आया लोगों के सामने, अपनी पत्नी के नाम एक करोड़ 99 लाख की संपत्ति का कराया एग्रीमेंट ।

👉 बिना रेलवे की अनुमति लिए हुुुआ एग्रीमेेंंट, क्या अपनी संपत्तियों की दी है विभाग मे सूचना ,आखिर कहां से आई इतनी बड़ी रकम ,2012 से नौकरी में आया है राजेश कुमार शर्मा ,मामला जांच का विषय 

👉अपने काले कारनामों से बचने के लिए सीनियर डीपीओ ने सिविल लाइन थाना में चार लोगों सहित पत्रकार ए0एन झा पर लिखया झूठा मुकदमा ,बना रहा दबाव ।

👉 सुर्खियों में रहा है राजेश शर्मा का कई कारनामा ,अपने जिले उरई में एक पंडित की कराना चाहता था हत्या ,जब रेलवे के कर्मी ने नहीं दिया साथ तो उसे आत्महत्या करने के लिए किया मजबूर और नौकरी से भी निकाला , इस मामले मे कराया जाए राजेश शर्मा और कृपाशंकर शुक्ला का नारकोटेस्ट – ताकि हो सके खुलासा ।

झूठा मुकदमा लिखाने में माहिर है राजेश कुमार शर्मा ,झूठ बोलकर एवं भौकाल बनाकर लोगों पर बनाता है प्रभाव ,30 जनवरी को विवाद दिखा कर लिखाया फर्जी तरह से मुकदमा ।

प्रयागराज । एनसीआर के रेेेल मण्डल कार्यालय इलाहाबाद  में सीनियर डीपीओ के पद पर तैनात राजेश कुमार शर्मा का कारनामा काफी दिनों से सुर्खियों में है । चर्चाओं पर जाएं तो राजेश कुमार शर्मा जब से प्रयागराज में सी0 डीपीओ के पद पर आसीन हुए हैं तब से इनके भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारनामो का चर्चा हमेशा रहा है और मीडिया में भी अक्सर सुर्खियों में यह रहे हैं । अभी पिछले दो माह पहले प्रयागराज से गायब होकर सीनियर डीपीओ ने अपनी पत्नी चेतनाा शर्मा को बीजेपी से टिकट दिला कर विधायकी के चुनाव लडाने के लिए लगेे रहें लेकिन टिकट ना मिलने पर इनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया । इनकी तमाम भ्रष्टाचार सेे संबंधित खबर लिखने की वजह से तथा इनके विभाग में जो इनके भ्रष्टाचार को उजागर करता है उस पर दबाव बनाने के लिए अपने विभागीय चार लोगों के साथ -साथ पत्रकार ए0एन झा पर भी प्रयागराज के सिविल लाइन थाने में मुकदमाा लिखाया है ताकि दबाव बना सकें।

सूत्रों की मिने तो राजेश कुमार शर्मा लोगों लोगों में कभी अपने आप को यू0पी में सी0ओ होने का तथा राजस्थान में एसडीएम के पद पर तैनात होने की बातें बता कर लोगों में भौकाल बनाने का की चर्चा सुर्खियों में है । जबकि इनकी राजस्थान में इनकम टैक्स में एक बाबू के पद पर तैनात होने की बात कही जा रही है । लोगों की माने तो राजेश कुमार शर्मा जन्मतिथि 1986 में है और 2012 में 22 साल उम्र हो रही है तथा 2012 में इन्होंने रेलवे में नौकरी पाई है तो आखिर कब यह यूपी में सी0ओ के पद पर कहांं रहे और राजस्थान में एसडीएम के पद पर तैनात कहा रहेे हैं । इनकी वायरल हुई ऑडियो की जांच कराकर इन पर फर्जी तरह से लोगों में भौकाल बनाने की बात की जांच कराकर 420  का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

बता दें कि राजेश कुमार शर्मा डीआरएम ऑफिस में लगभग 2 साल से कार्यरत हैं लेकिन इन 2 साल के अंदर में इनके भ्रष्टाचार व कारनामों से जहां एक तरफ कर्मचारी पीड़ित है, वही इन्होंने कई करोड़ की संपत्ति यहां से काली कमाई करके अवैध तरीके से कमाया है जिसकी चर्चा हमेशा होती रही है । राजेश शर्मा जालौन जिला के उरई के रहने वाले हैं और 2012 में इनको रेलवे में नौकरी मिली है । इसने प्रयागराज रेलवे मंडल में रहकर अपना इतना बड़ा भाव काल बनाया कि लोगों का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया और अपने भौकाल से अवैध काली कमाई करके अपनी पत्नी के नाम ₹1 करोड़ 99 लाख की एक जमीन की डील की है । इस डील में राजेश कुमार शर्मा की पत्नी चेतना शर्मा के नाम लिखित एग्रीमेंट हुआ है ।

बता दें कि सुरेंद्र कुमार पुत्र रामस्वरूप निवासी ग्राम अकोली दुबे परगना उरई व जिला जालौन की एक कृषि योग्य जमीन थी, जिसका खसरा नंबर 288 रकबा 4.819 हेक्टेयर का आधा हिस्सा मौजा पहाड़पुर जालौन उरई राष्ट्रीय नेशनल हाईवे पर उपलब्ध है । जिसे राजेश कुमार शर्मा ने ₹100 के स्टाम्प पर एक लाख रुपये बयाना एसबीआई चेक के माध्यम से देकर एक करोड़ 99 लाख की जमीन अपनी पत्नी चेतना शर्मा के नाम एग्रीमेंट लिखाया है । पता मकान नंबर 325 राजेंद्र नगर ,उरई जालौन एवं हाल मुकाम F/17-A मकान नंबर 2 सिविल लाइंस जबलपुर मध्य प्रदेश के नाम से एग्रीमेंट कराया है और कब्जा दखल भी प्राप्त होना बताया है । अब सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी रकम से हुई डील के बारे में क्या राजेश कुमार शर्मा सीनियर डीपीओ इलाहाबाद ने लेने से पहले क्या विभागीय अनुमति ली, यह एक बड़ा सवाल है । बताया तो यह भी जाता है कि राजेश शर्मा सुरेंद्र कुमार की भी जमीन हथियाना चाहता था और उस पर फर्जी तरीके से एससी /एसटी का मुकदमा लिखवा कर दबाव बनाया था लेकिन ईमानदार पुलिस अधिकारियों की जांच से मामला खत्म कर दिया गया था ।

सूत्रों की मानें तो राजेश शर्मा जब से इलाहाबाद आए है कई करोड भ्रष्टाचार करके कमाया है । वह चाहे कोरोना काल में भ्रष्टाचार फैलाने का मामला रहा हो या विभाग में डी-कैैटराइज्ड करके ड्राइवरों को डीआरएम ऑफिस के कार्मिक विभाग में बाबू बनाकर पोस्टिंग करने का मामला हो , या विभागीय परीक्षाओं में अवैध वसूली करके लड़कों को पास कराने एवं परीक्षा में हेराफेरी करने का मामला रहा हो, इस तरह के इनके दर्जनों भ्रष्टाचार के मामले हमेशा सुर्खियों में रहे रहे हैं । इनके कार्य मे सहयोग देने वाला सबसे बडा घाघ मोतीलाल मिश्रा का बहुत ही अहम रोल रहा है । क्योंकि भ्रष्टाचार फैलानेेेे के मामले में इसका रैकेट कई वर्षोंं से मजबूत हैै, क्योंकि यह 15-20 वर्षों से एक ही जगह पर पोस्टिंंग पर जमा है । जिससे एक ऐसा नेक्सेेस तैयार कर लिया है जिसे तोड़ पाना अधिकारियों के भी वश का नहींं है ।

राजेश कुमार शर्मा पर कोरोना काल मे करोड़ो रुपए का घोटाला करने की खबर सुर्खियों में रही है और रेलवे में विभागीय कर्मचारियों की डिपार्टमेंटल एग्जाम के मामले में भी अवैध वसूली का मुद्दा लोगों के जुबान पर छाया रहा है । इतना ही नहीं राजेश कुमार शर्मा पर यौन उत्पीड़न का मामला भी मुद्दा रहा है , जिसकी एक विभागीय महिला कर्मचारी ने लिखित रूप से शिकायत भी की थी लेकिन राजेश कुमार शर्मा ने अपने पद व रसूख के दम पर उस महिला से जबरन अपने पक्ष मे एक दो अधिकारी से मिलकर अपने पक्ष में बयान भी बदलवाकर जबरन लिखवाया है जो मामला सुर्खियों में रहा है । इस मामले को तूल पकड़ता देख राजेश कुमार शर्मा ने उस महिला कर्मचारी को डीआरएम ऑफिस से रेलवे के केंद्रीय चिकित्सालय इलाहाबाद में चीफ ओएस पद पर ट्रांसफर करा दिया था । उसके बाद फिर वहां से भी चंडीगढ़ के लिए ट्रांसफर करा दिया है ताकि मामला सब शांत हो जाए लेकिन अभी भी यह मामला राजेश कुमार शर्मा का पीछा नहीं छोड़ रहा है ।

राजेश कुमार शर्मा ने अपने मातहत एक कर्मचारी कृपाशंकर शुक्ला को नौकरी से निकाल दिया है और जब उक्त कर्मचारी ने उसके काले कारनामों को उजागर करना शुरू किया तब राजेश कुमार शर्मा ने कृपाशंकर शुक्ला व टी0पी सिंह तथा ए0के पांडे के साथ ए0एन झा पत्रकार के नाम सिविल लाइन थाने में पुलिस से मिलीभगत कर एक मनगढ़ंत कहानी बनाते हुए झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी है ।

बता दें कि राजेश कुमार शर्मा की बीजेपी सरकार में ऊंची पहुंच होने की वजह से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है । उनके काले कारनामों पर हमेशा पर्दा डालकर इनको बचाया गया है और जिन लोगों ने उनके काले कारनामों का खुलासा करने का प्रयास किया है उन पर झूठे मुकदमा लिखा कर एवं धमकी दिला कर या फिर नौकरी से निकाल कर परेशान करने का कार्य कराया जा रहा है । यदि रेलवे के उच्च अधिकारियों ने राजेश कुमार शर्मा के काले कारनामों की जांच कराई और इनके द्वारा किए गए करोड़ों रुपए की जमीन के एग्रीमेंट और आय से अधिक और बेनामी संपत्ति की जांच कराई तो राजेश कुमार शर्मा पर गाज गिरना तय है । यदि उच्च अधिकारियों और ई0डी प्रवर्तन निदेशालय एवं विजिलेंस विभाग ने इनके आय से अधिक संपत्ति और अवैध काले कारनामों तथा भ्रष्टाचार में लिप्त उन मुद्दों की जांच कराई तो फंसना तय है ।

 

 

 

बता दें कि सीनियर डीपीओ के तमाम भ्रष्टाचार के मामले पड़े हुए हैं । इसी तरह राजेश कुमार शर्मा सी0 डीपीओ के आदेश के मुताबिक रिसिका सिंह की एक जांच की गई थी । जिसमें ज्योतिर्मय चटर्जी वेलफेयर इंस्पेक्टर एवं कृपाशंकर शुक्ला ऑफिस सुपरीटेंडेंट के द्वारा रिस्का सिंह चीफ ओएस के विरुद्ध जांच की गई थी । इस जांच में 4 आरोप तय किए गए थे । पहला आरोप यह था कि रिसिका सिंह ने 1 वर्ष 6 माह 14 दिन में सीनियर कलर्क की जगह चीफ ओएस पद पर पदोन्नत कर दी गई है, दूसरा यह कि रिसिका सिंह ने अनुकंपा के आधार पर कुमारी पूजा बाई मीना को 17 वर्ष में नौकरी प्रदान की थी , तीसरा मामला आया था कि जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव डिप्टी सीआईटी को एस0एफ 5 पेंडिंग रहते हुए सीआईटी के पद पर प्रोन्नति कर दी और चौथा मामला यह था कि डीसीआईटी रामबाबू का ₹4 लाख 3 हजार रूपये का वित्तीय मामला प्रकाश में आने पर रेलवे विजिलेंस प्रधान कार्यालय द्वारा भी जांच की गई थी । इन सभी आरोपों में सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा ने भारत सरकार के पद का दुरुपयोग करते हुए लीपापोती कर दिया और रिसिका सिंह पर जांच मे पाए हुए चारों आरोप पर कोई कार्यवाही आज तक नहीं की है आखिर क्यों या एक जांच का बड़ा मामला है । उसको बेदाग बरी करते हुए चंडीगढ़ ट्रांसफर कर दिया गया है ,यह भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा मामला है जिसकी जांच होना आवश्यक है ।

अब देखना यह है कि इनके तमाम भ्रष्टाचार से संबंधित मीडिया में खबर आने के बाद राजेश कुमार शर्मा पर कार्रवाई होती है या फिर भ्रष्टाचार के इस आलम में सब कुछ फाइलों में दब कर रह जाएगा यह एक बड़ा सवाल है ।

अमरनाथ झा- पत्रकार

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