डीआरएम ऑफिस कार्यालय के कार्मिक विभाग में फिर शुरू हुआ भ्रष्टाचार, मोतीलाल मिश्रा एंड कंपनी द्वारा फैला भ्रष्टाचार, सीनियर डीपीओ का प्राप्त है संरक्षण, अवैध वसूली की मोटी रकम सभी में होती है बंदरबांट
👉 जहां एक तरफ लोगों के पडे हुए हैं तमाम ट्रांसफर के लिए प्रार्थना पत्र ,बिना रुपए दिए नहीं हो रहा है किसी का काम ।
👉 वहीं जिसने पकड़ाया मोटी रकम ,उसका हो रहा धड़ल्ले से काम । उदाहरण तौर पर डी-कैटराइज्ड हुए एक टेक्निकल स्टाफ को पर्सनल डिपार्टमेंट में बनाया गया बाबू ।
👉 मोतीलाल मिश्रा एंड कंपनी के गुर्गों ने इस घटना को दिया है अंजाम और वसूले हैं लाखों रुपए ।
👉 इसी प्रकार वर्षों से चल रहा है लंबी रकम का लेनदेन का सिलसिला, इस रैकेट में शामिल गुलाब सिंह व पर्सनल विभाग के लगभग आधा दर्जन लोग ।
👉 वर्षों से एक ही जगह, एक ही सीट पर है जमे, मोतीलाल मिश्रा की फर्म को दे रहे हैं अंजाम , सीनियर डीपीओ के संरक्षण में वर्षों से फल- फूल रहा सारा कार्य ।
प्रयागराज । एनसीआर के मंडली कार्यालय डीआरएम ऑफिस इलाहाबाद में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है । यहां पर तैनात पर्सनल डिपार्टमेंट में मोतीलाल मिश्रा व इनके आधा दर्जन गुर्गों द्वारा भ्रष्टाचार इस कदर से फैला है कि बगैर मोटी रकम के चढ़ावा चढ़ाए कोई कार्य होना मुश्किल है । इस कार्य को संरक्षण देने में सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा की भूमिका अहम है क्योंकि इस अवैध काली कमाई का पैसा सब लोगों में बंदरबांट होता है । रेलवेेेेेे की गाइड लाइन के मुताबि 3 वर्षों से अधिक कोई भी कर्मचारी या अधिकारी एक जगह नहीं रह सकता लेकिन यहां 15-20 वर्षों से एक ही जगह पर लोग जमे हुए हैं और कई करोड़ की अवैध काली कमाई से आय से अधिक एवं बेनामी संपत्ति बना कर रखे हैं जिनकी जांच विजिलेंस विभाग कभी नहीं करता है। आखिर क्यों यह एक बहुत बड़ा सवाल है।
बता दें कि कर्मचारियों की ट्रांसफर ,पदोन्नति और अन्य कामों के लिए लंबी-लंबी डील की जाती है और बिना मोटी रकम लिए किसी का कोई काम नहीं किया जाता है । इस भ्रष्टाचार का अहम कारण यह भी है कि यहां पर 15-20 वर्षों से मोती लाल मिश्रा एवं इनके आधा दर्जन लोग एक ही जगह पर, एक ही सीट पर वर्षों से जमे हुए हैं । जबकि कई बार कौशाम्बी वाइस मीडिया के माध्यम से इनके भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है लेकिन फिर भी रेलवे गाइडलाइन के मुताबिक आज तक इनका ट्रांसफर नहीं हुआ है । अभी वर्तमान में जो इनके चाटुकार लोग हैं उनको ट्रेनिंग के नाम पर बाहर घूमने के लिए 14 से 15 लोगों को भेजा गया है । वह सब लौट कर आने के बाद भी उनको कोई भी ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ है, केवल घूम फिर, मौज ,मस्ती करके रेलवे का टी0ए कमाने का काम करके वापस आ गए हैं । जबकि विभाग के ईमानदार और अच्छे कर्मचारियों, बाबुओं को इस तरह की ट्रेनिंग में नहीं भेजा जाता है ।
बता दें कि टीआरडी विभाग में 2 कर्मचारी जो डी-कैटराज्ड हाल ही में हुए हैं, उनमे से एक जो लाखो रू0 की मोटी रकम दी उसको पर्सनल डिपार्टमेंट में बाबू के पद पर पोस्टिंग की और जिसने उनके डिमांड के मुताबिक पैसा नहीं दिया उसको रूरा में पोस्टिंग कर दिया गया है । जिसमें मोती लाल एंड इनकी कंपनी के लोग इस तरह के पैसे को लेकर आपस में बंदरबांट करते हैं । यह सारा कार्य सीनियर डीपीओ के नाक के नीचे वर्षों से उनके संरक्षण में खुलेआम चल रहा है । लेकिन सीनियर डीपीओ अपनी ईमानदारी का चोला पहनकर लोगों मे सफाई का ढिंढोरा पीटते रहते हैं । इसी प्रकार और अन्य जगहों पर भी अन्य स्रोतों से भी लंबी- लंबी कमाई की जा रही है ।
यदि ऐसा ना होता तो सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा के गृह जनपद उरई में पिछले कुुछ माह पहले इनकी पत्नी के नाम एक करोड़ 99 लाख का की संपत्ति की डील कैसे हुई है ,यह अभी जांच का विषय है एवं इसकी जांच होना अभी बाकी है । सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा ने कोरोना काल मे रेलवे से करोड़ रुपए भ्रष्टाचार करके अवैध तरीके से कमाया है एवं एक महिला कर्मचारी रिसिका सिंह के यौन शोषण के मामले में हमेशा सुर्खियों में रहे हैं । जब इनके भ्रष्टाचार और महिला कर्मचारी का मामला सुर्खियों में जोर पकड़ा और मीडिया हमें छाया तो उसे सीनियर डीपीओ और मोतीलाल मिश्रा ने मिलकर चंडीगढ़ ट्रांसफर कर दिया, ताकि मामला को दबाया जा सके । इस पर अभी ना तो बिजलेंस विभाग और ना तो सीबीआई जांच की है, बल्कि आंख मूंदकर- हाथ पर हाथ रखे बैठे हुए हैं । यदि यही मामला किसी एक साधारण कर्मचारी य किसी छोटे अधिकारी के साथ होता तो अब तक उसे बलि का बकरा बना दिया जाता । अब देखना है कि कौशांबी वॉइस कि खबर का संज्ञान लेकर उच्च अधिकारी इन सारे प्रकरणों की जांच करवाते हैं या फिर सब फाइलों में दब के रह जाएगा यह एक बड़ा सवाल है ।