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एनसीआर के डीआरएम ऑफिस में भ्रष्टाचारियों पर कब होगी कार्यवाही, साक्ष्यों की अनदेखी कर रहे हैं उच्च अधिकारी, अपने काले कारनामों को छुपाने में लगा सीनियर डीपीओ और मोती लाल मिश्रा, बेड रेस्ट कर्मी को बिना फिटनेस कराया जा रहा नौकरी

👉 डीआरएम ऑफिस में भ्रष्टाचारियों पर नहीं हो रही कार्रवाई, सीनियर डीपीओ एवं मोतीलाल मिश्रा के नाम की हो रही है लोगों मे चर्चा …

👉 मेडिकल बेड रेस्ट पर रहे कर्मचारी का कैसे बिना फिटनेस के कराई जा रही ड्यूटी, जांच का विषय

👉 सीनियर डीपीओ ने सहमति पत्र में डीआरएम का भी है हस्ताक्षर ,सही है या गलत इसकी भी जांच होनी जरूरी ।

प्रयागराज । एनसीआर के मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय इन दिनों भ्रष्टाचार के कई मामलों में सुर्खियां बटोर रहा है । यहां सीनियर डीपीओ और उनका ओएसडी मोतीलाल मिश्रा एवं इनके कई लोगों का एक रैकेट तैयार है जो मनमानी तरह से लोगों को परेशान करके अवैध वसूली व काली कमाई से करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर कर लिए हैं । यह लोग कई वर्षों से एक ही जगह तैनात होने के कारण इनका रैकेट इतना मजबूत है रेलवे राजस्व को दीमक की तरह चाट रहे हैं । यह अपने उच्च अधिकारियों को गुमराह करके 15-20 सालों से एक ही जगह पर फल फूल रहे हैं ।

सूत्रों की माने तो कई भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त ओ0एस रिसिका सिंह के प्रकरण को दबाने में सीनियर डीपीओ का अहम रोल रहा है । यही वजह है कि उसके काले कारनामों का खुलासा ना हो सके और मामला जब सुर्खियां पकड़ने लगा तो उसे चंडीगढ़ स्थानांतरण कर दिया गया है । जिस रिषिका सिंह के यौन उत्पीड़न मामले में  कृपा शंकर शुक्ला के खिलाफ विशाखा कमेटी गठित हुई और जांच के बाद विशाखा कमेटी ने उसे दोष मुक्त किया है । उसी यौन उत्पीड़न केस में भौकाली सिनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा भी आरोपी थे आखिर क्यों इनके खिलाफ विशाखा कमेटी की जांच नहीं गठित की गई, यह एक बड़ा सवाल हैैैैै और इस मामले सीनियर डीपीओ अब भागते नजर आ रहे हैं । यह अपने अपराधो को छुपाने के लिए नाना प्रकार के हथकंडा अपने रहे है । वहीं दूसरी तरफ यदि किसी कर्मचारी पर इस प्रकार के आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं तो उसके खिलाफ तुरंत जांच कमेटी बैठा दी जाती है और जांच करके कार्रवाई भी की जाती है लेकिन जब भी किसी अधिकारी के खिलाफ आरोप लगता है तो उसकी जांच क्यों नहीं होती है यह एक बड़ा सवाल है ।

इन पर तो पुलिस अधिकारी मणिलाल पाटिल कि तरह कारवाई होनी चाहिए । इनके आवास से लेकर आफिस तक तथा नैनी जेल के मोबाइल लोकेशन और काल डिटेल और नार्को टेस्ट कराया जाय तो तमाम चौंकाने वाले खुलासे होंगे । यहां तक की सीनियर डीपीओ द्वारा उरई पंडित के हत्या की साजिश रचने वाले मामले सहित सभी आरोपो के अपराध का भी पर्दाफास हो सकेगा ।

बता दे की दिनांंक 18 मार्च 2021 में  प्रभाकर गर्ग ड्यूटी से अनुपस्थित रहे और बीमार बेड रेस्ट पर पड़े हुए थे , तो फिर कैसे सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा ने अपने को बचाने के लिए अपने पक्ष में प्रभाकर गर्ग से कैसे डीआरएम आफिस में बुलाकर स्टांप पेपर सहित सभी आरोपो को अपने पक्ष मे लिखवाया था, यह एक बहुत बडा भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है जो जांच का विषय है । यदि प्रभाकर गर्ग और राजेश कुमार शर्मा का नारको टेस्ट कराया जाए तो षड़यंत्रकारी अधिकारी के अपराधों का पर्दाफाश हो सकेगा ।

यहां यह भी बताना आवश्यक की प्रभाकर गर्ग 24 मार्च 2021 से बिना किसी डॉक्टर के फिटनेस बनाए चिकित्सा प्रमाण पत्र में बिना फिट किए ही आखिर सीनियर डीपीओ द्वारा कैसे नौकरी कराया जा रहा है ,यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है जो जांच का विषय है। देखा जाए तो सीनियर डीपीओ के इस लीपापोती प्रकरण में डीआरएम मोहित चंद्रा का भी सहमति पेपर में हस्ताक्षर अंकित है और मोहर भी लगी है आखिर यह कैसे संभव हो सकता है । क्या डीआरएम का वास्तव में यह किया गया हस्ताक्षर और मोहर है या फिर उनके नाम पर किसी ने फर्जी साइन और मोहर इस्तेमाल किया है यह तो जांच के बाद ही असलियत का खुलासा हो सकेगा।

बता दें कि प्रभाकर गर्ग दिनांक 5 मार्च 2021 से दिनांक 23 मार्च 2021 तक चायल सरकारी अस्पताल पर बेड रेस्ट मे रहे और ड्यूटी से अनुपस्थित थे । इनको बेड रेस्ट की स्थिति में किस अधिकारी के आदेश से परमीशन लेकर डीआरएम ऑफिस बुलाया गया और किस साधन से बुलाया गया ,इनको बुलाने के पीछे क्या उद्देश था यह भी जांच का विषय है ।

उधर अप्राकृतिक दुष्कर्म का आरोप झेल रहे मोतीलाल मिश्रा को दो पत्नी रखने के मामले की जांच मे पुष्टि के0एल जैसवाल मंडल कार्मिक अधिकारी ने कर दिया है । उन्होंने दिनांंक 16 फरवरी 2021 को जारी अपने पत्र में मोती लाल मिश्रा को दो पत्नी रखने को स्वीकार कर चुके है, फिर भी भौकाली सिनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा ने मोती लाल मिश्रा को अभी तक रेल सेवा से बर्खास्त नही किया है ।

इस मामले मे सिनियर डीपीओ के विरुद्ध जांच कराई जाय । आखिर क्यों जॉच के बाद उसे दबाकर अपराधो का संरक्षण दिया जा रहा है यह जांंच का विषय है ।

रेलवे मे भ्रष्टाचार के तमाम काले कारनामों को कौशाम्बी वाइस लगातार प्रकाशित कर रहा है लेकिन रेलवे को दीमक की तरह चाट रहे यह भ्रष्ट अधिकारी अपने उच्च अधिकारियों को भी गुमराह करते हुए रेलवे राजस्व को चूना लगा रहे हैं । इतना ही नही रेलवे की बदनामी भी करवा रहे हैं ,क्या रेलवे के उच्च अधिकारी इस भ्रष्टाचार में लिप्त एवं कई वर्षों से एक ही जगह जमे हुए और अपना रैकेट बनाए हुए मोतीलाल मिश्रा जो मनमानी तरीके से कार्यो को अंजाम देते हैं ,आखिर इन पर क्या कार्रवाई होगी यह जांच का विषय है ।

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