प्रयागराज मे 2 जुलाई को डीआरएम ऑफिस पहुंची सीबीआई टीम, जांच कर बैरंग लौटी सीबीआई, एक करोड़ रेलवे की खाते से गमन के मामले की कर रही है जांच ,नहीं हुआ है कोई भी पैसा रेलवे का गमन, विजिलेंस विभाग की भी है मिलीभगत ,सूचना मिलने पर क्यों नहीं की कोई जांच
👉 2019 में अकाउंट के सैलरी से ट्रांसफर हुए एक करोड़ रुपए की जांच करने पहुंची सीबीआई
👉 जांच कर बैरंग लौटी वापस सीबीआई, चार-चार लोगों की आईडी हैक करके की गई थी गड़बड़ी
👉 अकाउंट के बाबू की आईडी से ट्रांसफर हुए थे एक करोड रुपए लेकिन पुनः बाद में वापस आ गए थे खाते में पैसे ,नहीं हुआ था कोई गमन
👉 इस मामले में केेेवल एपीओ को ही जा रहा है फंसाया जबकि तीन अन्य बाबुुओं को जा रहा बचाया
👉 सीबीआई एपीओ के यहां से लैपटॉप, 4 मोबाइल एवं अन्य सामान ले गई साथ ।
👉 भोपाल से भी बदली गई है बेसिक पे दिनांक 10 अप्रैल 2019 को और इलाहाबाद में एपीओ की आईडी से हुई है कंफर्म ,जबकि जब तक कोई भी बेसिक पे चेंज होने के लिए रहता है लंबित नहीं हो सकती है आईडी ट्रांसफर लेकिन यहां पर हुई है जो जांच का है विषय.. बेसिक पे 21000 से बढ़ाकर 78800 किया गया भोपाल से..
जितने भी लोगों में चेंज हुआ है पे-बिल ,उनको लोको पायलट ही बना कर चेंज किया गया ऐसा क्यों आखिर क्या कर रही है विजिलेंस ,क्यों नहीं कर रही है जांच..
प्रयागराज रेलवे के डीआरएम ऑफिस में 2 जुलाई को सीबीआई ने छापा मारा है जहां पर 2019 में 1करोड़ रुपए एक खाते से दूसरे खाते में सैलरी खाते में लगाया गया था । जिसकी जांच करने के लिए सीबीआई टीम को जांच सौंपा गया है । सीबीआई ने 2 दिन रह कर एपीओ लवकुश के ऑफिस, घर और गांव तक में पूरी जांच कर एक एक चीज को खंगाली लेकिन सीबीआई को बैरंग वापस लौटना पड़ा है ।
बता दें कि 2019 में दिनेश सिंह नामक बाबू की आईडी से टी0ए लगाया गया जोकि 99 हजार के हिसाब से 100 बार लगाया गया है । उसके बाद उसे हटा दिया गया और हटाकर फिर लगाया गया है । यह प्रक्रिया 24 घंटे मे 3 बार किया गया है । जब यह जानकारी एपीओ को हुई तो उन्होंने सारी डिटेल निकालकर रिकवरी हेतु कोशिश किया और अपने उच्च अधिकारियों को अवगत कराए । पैसा कुछ घंटों में ही पुनः रेलवे के खाते मे वापस आ गया है । कोई भी पैसा गमन नहीं हुआ है । जिस गमन की बात आज कई दिनो से अखबारों में छप रही है या जो लोग एक करोड़ गमन की बात कर रहे हैं वह पैसा गमन हुआ ही नहीं है, तो फिर गमन किस बात का हुआ है, यह बात भी चर्चा का विषय बना हुआ है ।
बता दें कि एपीओ ने मई 2019 में एक बाबू दीपक के गलत कारनामों से उसे उस सीट से हटा दिया था जिसके बाद खुन्नस खाए उक्त बाबू ने यह सारा कृत किया है ऐसा चर्चा का विषय बना हुआ है ।
बता दें कि इसके पहले विभाग में एक ही व्यक्ति को कई-कई सैलरी मिल रही थी जिसे रोकने के लिए एपीओ ने 2018 मे अपने उच्च अधिकारियों को बताते हुए कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर ( कृस ) में संशोधन की बात कही थी । 2019 में इस तरह के कार्यों पर प्रतिबंध लगना शुरू हो गया ,जिससे बाबुओं की होने वाली अवैध इनकम पर रोक लग गई । यही वजह है कि बाबू लोग नाराज होकर अपने उच्च अधिकारी को फंसाने के लिए आईडी हैक करके इस तरह का खेल खेलने का कार्य किया गया है । अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस दिनेश सिंह बाबू की आईडी से 99 हजार के हिसाब से 100 बार सैलरी टी0ए लगाया गया है और उसके बाद उसके दूसरे बाबू प्रफुल पांडे जो सैलरी प्रोसेस करता है उसने भी बिना चेक किए आगे के लिए फॉरवर्ड कर दिया है। जबकि प्राइमर जिम्मेदारी प्रफुल पांडे की है कि एक-एक चीज को चेक करके उसके बाद उसे आगे प्रोसेस में भेजना चाहिए। उसके बाद तीसरा बाबू अर्थात लेखा विभाग ने भी बिना वाउचर भरे ,देखें और बिना जांच किए ही उसे आगे अपने उच्च अधिकारी डीएफएम को भेज दिया है । डीएफएम ने भी बिना देखे और जांच किए ही बैंक मे आगे भेजने के प्रोसेस को कर दिया है । उसके बाद जैसे ही एपीओ को जानकारी हुई तत्काल इसको देखते हुए वेलफेयर इंस्पेक्टर विजय राज शर्मा को कानपुर भेजा गया और पैसे को पुनः खाते में रिकवरी कराया गया है । इस तरह से देखा जाए तो 4 से 5 लोगों के प्रोसेस से गुजरने वाला यह कार्य हुआ है लेकिन सीबीआई मात्र सिर्फ एपीओ लवकुश को ही निशाना बना रही है आखिर क्यों क्योंकि लव-कुश एक दलित समाज का व्यक्ति है इसलिए और बाकी इस प्रोसेस को शुरू करने वाले और कई टेबल से गुजरने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है ऐसा क्यों यह मामला भी सुर्ख़ियों में हैं । इस जांच में रेलवे के उच्च अधिकारी और विजिलेंस विभाग तथा सीबीआई आखिर क्यों विजिलेंस इंस्पेक्टर बी0एन मिश्रा तथा चार अन्य लोगों को बचाने का काम कर रही है, यह सबसे बड़ा सवाल है ।
सूत्रों की माने तो इन सब पर 2018 में ही एपीओ ने उच्च अधिकारियों को लिखित में एवं मैसेज देकर विभाग में हो रही गड़बड़ी और अकाउंट की गड़बड़ी के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया था लेकिन विजिलेंस विभाग को लिखने के बावजूद भी कोई जांच नहीं हुई है यह सबसे बड़ा जांच का विषय है ।
बता दें कि बिजलेंस विभाग में तैनात बी0एन मिश्रा सीवीआई जो वर्तमान में आरआरबी सूबेदारगंज में पोस्ट है । इस व्यक्ति ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में एक बहुत बड़ा रैकेट बना.रखा है । देखा जाए तो डीआरएम ऑफिस के दीपक कुमार और प्रफुल्ल पांडे जैसे दर्जनों लोगों का एक गिरोह है जो इस तरह का कार्य करते हैं । इनकी आय से अधिक और तमाम करोड़ों की बेनामी संपत्ति है यदि इसकी जांच कराया जाए तो करोड़ों से ज्यादा की आय से अधिक की संपत्ति निकलेगी जो सबसे बड़ा जांच का विषय है । लेकिन आज तक इनके खिलाफ ना तो उच्च अधिकारियों ने संज्ञान लिया है और ना ही इनकी कोई सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है ,यह एक बहुत बड़ा सवाल है जो लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है । बिजलेंस विभाग में तैनात होने के कारण बी0एन मिश्रा नीचे करेप्शन फैलाने वालों को संरक्षण दे रखा हैं । इसी प्रकार बी0एन मिश्रा ने 179 लोगों को गलत तरीके से पेमेंट किया है जिसकी जांच आज तक नहीं हो पाई है । जब भी इस मामले की शिकायत की गई है और वर्तमान समय में बाबुओं ने रिकवरी के लिए कार्रवाई शुरू की तो बी0एन मिश्रा ने उन्हें चार्जशीट पांच लोगों को दिला दिया है, ताकि उसके काले कारनामों की पोल ना खुल सके यह भी एक बड़ा जांच का विषय है ।
प्रयागराज में डीआरएम ऑफिस एवं जोन में एक ही जगह 15 -20 वर्षों से लोग जमे हुए हैं ,जिसकी वजह से एक पूरा रैकेट है और यूनियन में शामिल होकर रेलवे में काम न करके नुकसान कर रहे हैं । इनका पूरा रैकेट है यदि जांच हुई तो बड़ा खुलासा सामने आएगा ।