एनसीआर के डीआरएम ऑफिस मे भ्रष्टाचारियों पर कब होगी जांच,सुर्खियों मे है भौकाली सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा का नाम,र्चचाओं मे है यौन शोषण, मांस्क सैनिटाइजर घोटाला,उरई पंडित की हत्या की साजिश रचना आदि मामला
इंटर डिवीजन ट्रांसफर में कर्मचारियों द्वारा दिए गए आवेदन पत्र पढ़े हो पेंडिंग । कई सालों से कर रहे हैं आदेशों की प्रतीक्षा, वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी को नहीं है कोई शुध ।
👉 गोवर्धन, गुलाब, इरफान इन प्रार्थना पत्रों को दबाकर है बैठा ,आखिर क्या चाहते है सिनियर डीपीओ जो अभी तक रेलवे बोर्ड के चार्ट के द्वारा नहीं हुआ निस्तारण, लोग मायूस होकर अपने परिवार में जाने को है वंचित
👉 आखिर क्या चाहता है मोतीलाल मिश्रा का रैैैकेेेट, सीनियर डीपीओ का डेेेली कार्य करने का आखिर क्या है पैमाना, कौन करेगा इसकी मानिटरिंग, यह एक बड़ा़ सवाल…?
👉 रेलवे में भ्रष्टाचार का खुलासा करने के लिए अमरनाथ झा द्वारा डाली गई है दर्जनों आरटीआई पेंडिंग ,नहीं दिया जा रहा है आरटीआई का जवाब ।
👉 कई कर्मचारियों की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी सीनियर डीपीओ ने नहीं की कोई कार्यवाही, जांच दबा कर है बैठा, कार्यवाही का डर दिखाकर ले रहा उनसे मनमाफिक काम ।
प्रयागराज । एनसीआर के डीआरएम ऑफिस मे अभी भ्रष्टाचार का मामला थमा भी नहीं है कि सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा के कारनामे दिनो दिन लोगों से जगजाहिर हो रहे हैं । जहां एक तरफ इनके काले कारनामे का विभागीय अधिकारियों की बातचीत करने का ऑडियो वायरल हो रहा है,वही कोरोना काल में करोड़ों रुपए की अवैध कमाई करने एवं इनके गृृृह टाउन एरिया उरई से मास्क, सैनिटाइजर आदि मंगाने का मामला भी सुर्खियों में है जिसकी अभी तक कोई जांच नहीं हुई है । ऑडियो में हुई बातचीत में खुलासा हुआ कि सीनियर डीपीओ ने रिसिका सिंह को 5 लाख का उधारी का स्टांप पेपर कचहरी से बनवाने जाने का मामला एवं जिन व्यक्तियों का रिटायरमेंट एक दो महीना करीब रहता है उनकी फर्जी शिकायत करवा कर SF-5 की नोटिस देना और बाद में अवैध वसूली कर इस जांच को दबाने का मामला तथा विभागीय परीक्षाओं में सांठगांठ काल इनके रैकेट के सरगना मोतीलाल मिश्रा एंड कंपनी द्वारा अवैध वसूली कर उम्मीदवारों को पास किए जाने का मामला चर्चा में है, इतना ही नहीं इन पर एक महिला कर्मचारी के यौन शोषण का आरोप एवं उरई में एक पंडित की हत्या की साजिश रचने उसके लिए प्लानिंग करना,अपने बंगले पर दो बाहरी व्यक्तियों को चोरी से रखने एवं नैनी जेल बंद लोगों से सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा का संबंध रखना-उनसे मोबाइल पर बातचीत करना तथा अन्य कई मामले सुर्खियों मे है , जिसकी विजिलेंस द्वारा क्या जांच हुई यदि नहीं तो इसकी उच्च स्तरीय जांच एजेंसी सीबीआई से जांच होना आवश्यक है ताकि एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों का खुलासा हो सके ।
चर्चाओं पर जाएं तो सिनियर सीडीपीओ राजेश कुमार शर्मा पर विभागीय महिला कर्मचारी रिशिका सिंह ने लिखित रूप से आरोप लगाया था जिसकी जांच अभी तक नहीं हुई है । दिनांक 20 अगस्त 2021 ऑडियो रिकॉर्ड में खुलासा हुआ है सिनियर डीपीओ 3 महिलाओं का शोषण करते हैं जिसकी शिकायत रिसिका ने सीपीओ नंदकिशोर से एनसीआर मे कर चुकी है । सीनियर डीपीओ की ऊंची पहुंच होने एवं राजनीतिक गलियारों में नेताओं से पकड़ होने के कारण वह आपने को बचाने में सफल हुए हैं । 28 अगस्त 2020 को जांच में रिशिका सिंह के विरुद्ध चार आरोप तय किए गए थे, जिस पर एक आरोप में सीनियर डीपीओ ने उसे दंडित किया है (जो पूजाबाई मीना की अनुकंपा के आधार पर नौकरी मामले में ) बाकी तीन आरोपों को दबा कर बैठे, यह मामला भी चर्चा का विषय बना हुआ है । सूत्रों की मानें तो इन सब गलत कृत्यों के मामलों को दबाने के लिए सीनियर डीपीओ ने रिसिका सिंह का केंद्रीय चिकित्सालय से ट्रांसफर चंडीगढ़ कर दिया है । वही अप्राकृतिक दुष्कर्म का आरोप झेल रहे मोती लाल मिश्रा को दो पत्नी रखने के मामले में सेवा से बर्खास्त अभी तक नहीं किया गया है । इन जांंचों को क्यों दबा कर रखा गया है ,इस मामले में सीनियर डीपीओ के खिलाफ भी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए ताकि इन सभी गंभीर अपराधों का खुलासा हो सके ।
सूत्रों की माने तो इनके नाक के नीचे बा दस्तूर मोतीलाल मिश्रा एंड इनके कंपनी का हौसला दिन-रात बुलंद है । आज तक कई वर्षों से एक ही जगह जमे होने के बावजूद भी इनका ट्रांसफर नहीं किया गया है । सीनियर डीपीओ के लिए यह रैकेट दुधारू गाय की तरह, यह सब कमाऊ पूत अवैध वसूली का काम कर रहे हैं और यह लोग मालामाल हो रहे है । मोतीलाल मिश्रा व अन्य कई कर्मचारियों की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी उन पर कार्यवाही ना करके उनकी जांच को दबाकर रखना और उनसे मनमानी तरीके से कार्य लेना सीनियर डीपीओ की आदत में शामिल है । दूसरी तरफ देखा जाए तो रात दिन रेलवे राजस्व को चूना लगा रहे हैं और अपनी अवैध काली कमाई की इनकम से सीनियर डीपीओ और मोतीलाल मिश्र की कंपनी का रैकेट मालामाल हो रहे हैं । यह भ्रष्टाचार में लिप्त लोग रेलवे की नौकरी में आने के बाद करोड़ों और अरबों का साम्राज्य खड़ा कर रखे हैं लेकिन आज तक इनकी काली कमाई से बनी आय से अधिक और बेनामी संपत्ति की जांच नहीं हो रही है ।
बता दें कि मंडल के अंदर बहुत से विभाग के कर्मचारियों ने अपने -अपने स्थानांतरण हेतु इंटर डिवीजन के लिए प्रार्थना पत्र आवेदन किए हैं । डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी लोगों को चढ़ावा चढ़ाने के बाद भी आज तक उनके आदेश नहीं पारित किए गए हैं । जब वह लोग पूछने आते हैं तो उनको यह बताया जाता है की फाइल सीनियर डीपीओ और डीआरएम के पास पेंडिंग पड़ी है ,इससे यह निष्कर्ष निकलता है सीनियर डीपीओ और डीआरएम के पास फाइलों का निस्तारण प्रतिदिन नहीं होता है क्या यह यह एक बड़ा सवाल है । कहीं ऐसा तो नहीं कि यह रैकेट डीआरएम को बदनाम करने या फिर उनके नाम पर अवैध वसूली करने की साजिश रचते है । फिलहाल ऐसा नहीं हो सकतानामों की डीआरएम के पास फाइल पहुंचने के बाद वह पेंडिंग रहे लेकिन यह बाबू और सीनियर डीपीओ डीआरएम के नाम पर मोटी रकम कमाने के चक्कर में लोगों को गुमराह कर अवैध वसूली करना चाहते हैं । यह लोग फाइलों को लटका कर रखते और इसका कोई मॉनिटरिंग करने का तरीका कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रहा है । किन-किन बाबुओं के द्वारा रोजाना कितने फायलें कितने कर्मचारियों की निस्तारित की जाती है इसका भी कोई हिसाब किताब नहीं है रहता है । इसी तरह लोग अपने अन्य मामलों के लिए भी चक्कर काटते रहते हैं जैसे कि वेतन में कटौती, यात्रा भत्ता, एमएससीपी पेंशन आदि के लिए कर्मचारी भटकते रहते है । इससे डीआरएम ऑफिस की बदनामी सार्वजनिक स्थानों पर और पूरे मंडल में चर्चा का विषय बनी हुई है ।
इसी प्रकार चर्चाओंं पर जाएंं तो रेलवे में विभागीय परीक्षा का परिणाम जो घोषित किया है उसमें उम्मीदवारों के चयन को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है की मोटी रकम लेकर उन लोगों को पास किया गया है, जिनको एक प्रार्थना पत्र भी लिखना नहीं आता है । ऐसे में वह अपने विभाग में जाकर आखिर क्या काम करेंगे केेेवल विभाग मे बदनामी के अलावा कुछ भी नही करेंगे, यह मामला भी चर्चाओं मे है जो जांच का विषय है ।
बता दें कि रेलवे में भ्रष्टाचार के खुलासे के लिए अमरनाथ झा द्वारा डाली गई दर्जनों आरटीआई का जवाब समय बीत जाने के बाद भी नहीं दिया गया है । क्योंकि इससे विभाग के काले कारनामे का खुलासा होना तय है । इसी प्रकार विभागों मे जो पद स्वीकृत है उनकी पिंग प्वाइंटिंग पदों की नहीं की गई है, जिसमें उनके स्थानांतरण करने के समय मे अवैध धन उगाही होती है । जिन लोगो से प्रशाशन खुन्नस रखता है उनको इसी प्रक्रिया के आधार पर ट्रांसफर कर देता है । यह.लोग अपने चहेतों को इसी आधार पर पोस्टिंग करके मनमानी जगह बैठा रखते है , और उनसे मनचाहा कार्य करवाते हैं जो इनके कमाऊ पूत की तरह कार्य करते हैं । फिलहाल कौशांबी वॉइस की खबरों का संज्ञान लेकर रेलवे उच्च अधिकारियों ने डीआरएम ऑफिस और जीएम ऑफिस के कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई की है जिससे रेलवे के विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मचा है लेकिन अभी बहुत से लोगों पर गाज गिरना तय है ।