उत्तर मध्य रेलवे जोन के पीसीसीएम पद का कई वर्षों से हो रहा है दुरुपयोग,करोड़ों अरबों का चल रहा है कई वर्षों से मनी लांड्रिंग का खेल ,इसमें कई अधिकारी एवं कर्मचारी अन्य जोनों के व डिवीजन के हैं सामिल
👉 एनसीआर में पीसीसीएम के द्वारा फैला भ्रष्टाचार ,एक रैकेट के रूप में दिन दूना रात चौगुना की तरह फल फूल रहा है रैकेट ।
👉 इसमें हो सकता है कि किसी मिनिस्टर का भी मिल रहा हो संरक्षण, यदि हुई उच्च स्तरीय जांच तो निकलेगा रेलवे का सबसे बड़ा घोटाला । बिना किसी उच्च स्तर के संरक्षण दिए नहीं फल फूल सकता है इतना बड़ा रैकेट ।
👉 दाऊद इब्राहिम की तरह इन रेलवे अधिकारियों का भी फैला है कई जोनो में मकड़जाल, आखिर कौन है इसका मास्टरमाइंड जांच का विषय…।
👉 यही वजह है कि रेलवे में करप्शन से छुटकारा दिलाने के लिए प्रधानमंत्री रेलवे का कर रहे हैं प्राइवेटाइजेशन ।
प्रयागराज । रेलवे एनसीआर भ्रष्टाचार की जड़े इतनी लंबी है कि जितना ही इसके अंदर जाएंगे उतना ही परत दर परत भ्रष्टाचार का खुलासा होगा और बड़े-बड़े मगरमच्छों का खुलासा हो रहा है । यह मगरमच्छ और भ्रष्ट अधिकारी एनसीआर को दीमक की तरह चाट रहे हैं और रेलवे राजस्व को चूना लगा रहे हैं तथा खुद करप्शन की काली कमाई से कई करोड़ों और अरबों के मालिक बने बैठे हैं, जिनकी जांच आज तक नहीं हुई है । यदि इनकी जांच भी करानी हो तो कम से कम ई0डी या से सीबीआई से होनी चाहिए तभी रेलवे में व्याप्त भ्रष्टाचार और अधिकारियों के रैकेट का खुलासा हो सकेगा । कौशांबी वायस रेलवे एनसीआर के भ्रष्टाचार की पोल दिनों दिन उजागर कर रहा है जिसमें सच्चाई के साथ जो भी प्रस्तुत कर रहा है, यदि इसकी निष्पक्ष जांच ई0डी या सीबीआई या सीवीसी से कराई जाय तो इन बड़े मगरमच्छों का फंसना तय है । यदि इससे कम स्तर पर जांच कराई गई तो जांच मे लीपापोती होना तय है ।
बता दें कि एनसीआर मे पीसीसीएम के भ्रष्टाचार की जड़े बहुत गहरी है और इनका इतना लंबा रैकेट है कि एनसीआर के अलावा अन्य जोनों में इनके एजेंट शामिल है । यह सरकारी और गैर सरकारी एजेंट वह हैं जो पैसे वसूलने और पार्टियों से मुलाकात कराने एवं अन्य प्रकार के लेन-देन आदान -प्रदान करने का कार्य करते हैं । इसमें शामिल एनसीआर जोन के एवं मंडल के अधिकारी एवं कर्मचारी हैं जिनका इतिहास भी वर्षों से सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त रहने का है और करोड़ों रुपए खुद कमाए हैं । इन अधिकारियों ने अपनी काली कमाई एवं आय से अधिक संपत्ति बनाने के लिए ही इस रैकेट को फलने फूलने में पूरा संरक्षण दिया है ।
एक आम कर्मचारी जो अपनी ईमानदारी से कार्य करके वेतन लेता है और वह अनावश्यक स्थानांतरण, पोस्टिंग ,प्रमोशन का शिकार होता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ इस रैकेट से जुड़े लोग वर्षों से एक ही शहर में ,एक ही पद एवं एक ही जगह पर सारी व्यवस्थाओं का मजा लूट रहे हैं । और एक ही जगह जमे हुए हैं जो रेलवे गाइड लाइन का दुरुपयोग कर रहे हैं । इसी कारण एनसीआर और डीआरएम ऑफिस का भ्रष्टाचार व्याप्त हैं और मुख्यालय से भ्रष्टाचार हटने का नाम नहीं ले रहा है । यह भी देखा जाए कि कुछ अधिकारी जो इस रैकेट से जुड़े हुए हैं, वह घूम फिर कर प्रयागराज छोड़ने का नाम नहीं ले रहे या तो मंडल में रहते हैं या मुख्यालय चले जाते हैं या फिर निर्माण विभाग में ट्रांसफर करा कर मौज करते हैं ।
बता दें कि एनसीआर मे जिस प्रकार से क्रियाकलापों का सबूत मिल रहे हैं , उसमें कुंभ मेला, कोरोना किल जैसे महामारी बीमारी व पर्व पर जनता के नाम पर अरबों रुपए जनता की संवेदना के नाम पर लुटाए गए हैं और उनका फर्जी बिल बनाकर भुगतान किया गया है । स्टेशनों को फोटो खिंचा कर रेलवे बोर्ड एवं प्रधानमंत्री कार्यालय को जो भेजे गए हैं उसमें एनसीआर को प्रशंसनीय कार्य एवं उत्कृष्ट कार्य करने का जो प्रचार किया गया और बखान किया गया है लेकिन इसमें सारा मामला ढोल में पोल है । इस महामारी के नाम पर इसी बहाने कई अधिकारी करोड़ों का वारा न्यारा कर चुके हैं । सारे नियमों की धज्जियां उड़ा कर आर्थिक रूप से रेलवे को बहुत बड़ा नुकसान किया है । वित्त विभाग भी आंखें मूंदकर बिलों को पास करने का काम किया है और अधिकारियों द्वारा बनाए गए परपोजल को आनन-फानन में पास करने का काम किया है क्योंकि इनको भी लंबा कमीशन मिलता है और ऑडिट विभाग तो नशे में चूर है जो कहीं पर कोई भी अडिट करता ही नहीं है ,केवल काजू और बर्फी खाकर के अपना स्वागत करवा कर एक दो छोटे मोटे केस बनाकर वापस चला जाता है लेकिन जोन के बड़े-बड़े गड्ढों को कभी भी उजागर नहीं करता है । यही हाल हर विभाग का है कि वर्षों से कंडम करने के लिए पुराने सामान सड गल के जंग खाकर पडे हैं पर कोई निस्तारण नहीं हुआ है और नई नई चीजें मंगाकर रेलवे राजस्व को चूना लगाया गया है, यह भी जांच का विषय है । जबकि रेलवे में स्टाक वेरीफायर का कई पद सृजित है, वह भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कभी नहीं करता है आखिर क्यों यह एक बडा सवाल है ।
सूत्रों की माने तो कोरोना काल मे जीरो नं0 की स्पेशल चलाई गई गाड़ियां को आधार बनाकर ,रेलवे बोर्ड के कई नियमों को तोड़ मरोड़ कर और ताक पर रखकर बदस्तूर आज भी भ्रष्टाचार जारी है । पैंट्री कार को बंद करके साइड पैंट्री तीन- तीन महीने के लिए कोटेशन बेसिस पर चलाई जा रही है । जिस की चयन प्रक्रिया पार्टी को आवंटित करने की किस नियम पर आधारित है उन नियमों को तोड़ मरोड़ कर अपनी मनचाही पार्टियों को शाहिद पैसे देकर अवैध वसूली प्रतिमा की जा रही आरपीएफ बिजनेस और कमर्शियल के लोग प्रतिमाह लाखों रुपए का बंदरबांट करते हैं जो ट्रेनों पर खुलेआम देखा जा सकता है । यह जांच का विषय है क्योंकि जिस प्रकार से गाड़ियों में यात्रियों से सामान के नाम पर लूटपाट हो रही है ,पानी की बोतल 20 रू और 150 रू मे खना बेचा जा रहा है । खाना सप्लाई करने वाली फर्मों का कोई अता पता नहीं है अवैध वेंडरों द्वारा बाहरी लोगों से खाना लिए जा रहा है और बेचा जा रहा है यदि ऐसे में किसी यात्री को कुछ हो जाता है इसका जिम्मेदार कौन है ।
जिस तरह से सामान मनमानी तरीके से बेचे जा रहे हैं ,इसके पीछे का राज क्या है । इस नियम को इसलिए लागू कराया जा रहा है जिससे कि साफ साफ दिख रहा है कि कहीं ना कहीं पीछे के दरवाजे से लंबा खेल हो रहा है । इसी प्रकार कई अन्य मामलों में भी जैसे स्टेशनों के बाहर साइकिल स्टैंड, अवैध वेंडरों द्वारा चोर दरवाजे से सप्लाई का कार्य कराए जा रहे हैं उसमें आरपीएफ और जीआरपी का महीना बंधा है जो रेलवे मे भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम हैं । वेंडिंग स्टाल एवं आरक्षण काउंटर पर जिस प्रकार से कार्य कराए जा रहे हैं व उनका संचालन किया जा रहा है उसमें भी कहीं ना कहीं नियमों की अनदेखी कर लाखों रुपए का वारा न्यारा हो रहा है । कर्मचारियों के द्वारा व इंस्पेक्टरों के द्वारा एवं सीआईटी के द्वारा यह सब कराया जा रहा है, जैसा की सूत्रों की मिली जानकारी में शामिल है । यदि इन सब मामलों की ई0डी, सीबीआई , या सीवीसी द्वारा जांच कराई गई तो एक एक कर्मचारी और अधिकारी का इस रैकेट में शामिल लोगों का जेल जाना तय है और रेलवे के राजस्व का भारी भरकम नुकसान की पोल खुलना तय है ।रेलवे एनसीआर में एक तरफ जहां सतर्कता विभाग की सक्रिय न होने से भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर बढ रहा है ,वहीं यदि सतर्कता विभाग के अधिकारियों ने संज्ञान लेकर जांंच किया तो डीआरएम ऑफिस और एनसीआर में दिनों दिन बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सकती है । यदि सतर्कता विभाग ईमानदारी से इन भ्रष्टाचार के मामले में जांच कर कार्रवाई करता तो शायद एनसीआर और डिवीजन कार्यालय में इतने बड़े व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार ना बढता ।
अब यह देखना है की कौशांबी वायस की खबर का संज्ञान लेकर अधिकारी इस मामले में जांच करवाते हैं या फिर भ्रष्टाचार के आलम में सब कुछ फाइलों में दब के रह जाएगा या जांच का विषय है । इस मामले में यदि प्रधानमंत्री कार्यालय या रेल मंत्रालय ने संज्ञान में लिया तो एनसीआर में तैनात पीसीसीएम एवं इनके रैकेट के खिलाफ कार्रवाई होना तय है ।