रेलवे के टीआरडी डिपार्टमेंट का भ्रष्टाचार आया सामने, विभाग में सीनियर-डी के चहेते ओ0एस संतोष के कारनामों का हुआ खुलासा, अवैध वसूली करके कराता है मनमानी ट्रांसफर पोस्टिंग, सीनियर-डी के रहमो करम पर फल फूल रहा है धंधा
आखिर साबित हो ही गया टीआरडी विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग में खुलेआम होती है सौदेबाजी ,कार्यालय अधीक्षक संतोष कुमार की खुल गई है पोल ।
👉 टावर वैगन का प्राथमिकता के आधार पर नहीं किया है स्थानांतरण । मामले में जांच किया है आवश्यकता की गई है हेरा फेरी । न्यायालय में कराई गई रेलवे प्रशासन की किरकिरी ।
👉 सरकारी राजस्व का हो रहा है दुरुपयोग ,रेलवे में ईमानदार कर्मचारियों का हो रहा है वर्षों से उत्पीड़न
👉 न्यायालय जाने पर लोग होते हैं मजबूर ,रेलवे में चल रही है अफसरों की तानाशाही और अपनी बनाते हैं प्रतिष्ठा का विषय
👉 सरकारी संसाधनों का हो रहा है दुरुपयोग ,रेलवे में खड़ी है वकीलों के एक लंबी फौज ,प्रत्येक माह वकीलों को होता है लाखों रुपए भुगतान
👉 अभी तक नहीं किया गया है ओएस संतोष कुमार का स्थानांतरण, सीनियर डी के रहमों करम पर फल फूल रहा है धंधा ।
प्रयागराज रेल में अभी भी अफसरों की तानाशाही रुकने का नाम नहीं ले रही है । यहां पर जो कर्मचारी ईमानदारी से काम करता है और नियम कानून की बात करता है उसको यह अधिकारी हजम नहीं कर पाते हैं और उसे सजायाफ्ता कैदी की तरह उसको यातना देते है और उसका मानसिक एवं आर्थिक उत्पीड़न करते हैं । यह सिलसिला बरसों से प्रयागराज में मंडल एवं एनसीआर जोन में चल रहा है जिसके कारण कर्मचारी न्यायालय में जाने के लिए विवश हो जाता है । ऐसा ही एक मामला सामने आया है ।
बता दें कि रेलवे डीआरएम ऑफिस में टीआरडी विभाग के अंतर्गत कार्य करने वाला संतोष कुमार नामक ओ0एस ने विभाग में कई साल से जमा है और अपनी पोस्ट का मनमानी दुरुपयोग कर रहा है । यह सारे उसके कारनामे सीनियर डी-दिवाकर कुमार के संज्ञान में होते हुए भी इस पर कोई आज तक कार्रवाई नहीं हुई है ।
बता दें कि अभी हाल ही में संतोष कुमार ने रिश्वत लेकर डिपार्टमेंट के एक कर्माचारी का स्थानांतरण प्राथमिकता के आधार पर प्रार्थना पत्र लेखन गलत तरीके से ट्रांसफर करा दिया और जिसकी पहले की प्राथमिकता लगी हुई थी उसको दरकिनार कर दिया । अपने परिचित कर्मचारी से मोटी रकम लेकर ट्रांसफर करने का काम किया है और अब वर्तमान में उसी कर्मचारी को एसएसई के द्वारा साजिश रच कर उस कर्मचारी का ट्रांसफर रूरा स्टेशन पर करा दिया है । उसके स्थान पर पूर्व कर्मचारी लल्लू राम का ट्रांसफर सोनभद्र करा दिया है जो जांच का विषय है ।
सवाल यह उठता है कि सबसे पहले देने वाले कर्मचारी के प्रार्थना पत्र पर कार्रवाई ना करके आखिर उसके बाद वाले का ट्रांसफर संतोष कुमार ने किस नियम के तहत कराया यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है ।
विभाग मे जब पीड़ित कर्मचारी की सुनाई नहीं हुई तो वह न्यायालय में जाकर अपनी फरियाद रखी और अर्जी दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने स्थानांतरण के मामले को संज्ञान में लिया और उसके मामले में उस के पक्ष में फैसला दिया है । जब कार्मिक विभाग द्वारा वरीता एवं प्राथमिकता के दस्तावेज की मांग की तो उसमें मामले का खुलासा हुआ है । इस मामले मे यह पाया गया कि प्रथम कर्मचारी का ट्रांसफर के मामले में प्रियर्टी का प्रार्थना पत्र गायब है । जब कार्मिक विभाग में इस मामले में दबाव बनाया तो यह प्रार्थना पत्र विभाग से प्राप्त हुआ और उसने नियमों की अनदेखी कर मनमानी तरीके से ट्रांसफर किया गया जबकि हम दूसरे लोगों की प्रार्थना पत्र वर्षों से लगे हुए हैं और उनको पैसा ना मिलने के कारण सीनियर डी को गुमराह करते कर्मचारियों का उत्पीड़न होता है । यह सब काम टीआरडी विभाग में तैनात संतोष कुमार का बाएं हाथ का खेल है । इस प्रकरण से मंडल रेल प्रबंधक एवं प्रशासन की जमकर किरकिरी हुई है और अभी तक संतोष कुमार के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई । इस मामले में विजिलेंस विभाग को संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है । अब देखना यह है इस तरह के तमाम मामलों में विजिलेंस विभाग क्या कार्रवाई करता है या जांच का विषय है ।
सूत्रों की मानें तो टीआरडी विभाग में तैनात संतोष कुमार के खिलाफ कई मामले ट्रांसफर पोस्टिंग कराने के और पैसे के लेनदेन के मामले खुलेआम चर्चा में है लेकिन विभागीय उच्च अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हैं । इस मामले में विभागीय उच्च अधिकारियों को संज्ञान न लेने के मामले मे कहीं न कहीं संलिप्ता नजर आ रही है ।
इसी प्रकार बहुत से ऐसे कर्मचारी हैं जिनको आज भी उत्पीड़न किया जा रहा है । रेलवे के यह अधिकारी कुछ कर्मचारियों को लियन से हटाकर ऑन लोन उनको मनमानी तरीके से सजा देने के लिए दूसरे विभागो मे ट्रांसफर इसलिए कर देते हैं कि उसको पनिशमेंट दिया जा सके । ऐसे कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा एवं स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को अनदेखी कर दूरदराज स्टेशनों पर ट्रांसफर किया जा रहा है । यदि मामला रेल मंत्री और प्रधानमंत्री तक पहुंचा तो रेलवे के इन सब मामलों एवं अधिकारियों के कारनामों की जांच कराई तो कार्रवाई होना तय है । देखा जाए तो कोरोना काल में अधिकारियों का ट्रांसफर पोस्टिंग रोक रखा गया है लेकिन नीचे स्तर के कर्मचारियों का ट्रांसफर पोस्टिंग मनमानी तरीके से किया गया है जो चर्चा का विषय है। देखा जाए तो रेलवे के पास वकीलों की एक लंबी फौज है जिनको प्रत्येक माह लाखों रुपए केवल अधिकारियों के प्रतिष्ठा बचाने के लिए और अपने ईगो रखने के लिए बर्बाद किया जाता है और कर्मचारियों का शोषण किया जाता है इस तरह के मामलों में कर्मचारियों का स्वयं का पैसा बर्बाद होता है और उनका मानसिक उत्पीड़न भी होता है जिस पर रोक लगाने की आवश्यकता है ।
यदि ट्रांसफर से पूर्व जो कमेटी बनाई जाती है ,उस पर मंडल रेल प्रबंधक एवं महाप्रबंधक वास्तविकता की जांच कराते हुए अपना अनुमोदन पारित करें तो ट्रांसफर पोस्टिंग मे गडबड़ी के मामले में कमी आ सकती है और रेलवे कर्मचारियों का उत्पीड़न भी रुक सकता है । वहीं दूसरी तरफ रेलवे राजस्व का नुकसान भी रोका जा सकता है । है ।