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कौशांबी में वन विभाग और प्रशासन की मिलीभगत से हो रही अवैध पेड़ों की कटाई, दो महीने में काटे गए सैकड़ों हरे पेड़ , कोइलहा ग्राम समाज की जमीन से कटे 11 महुआ के विशाल हरे पेड़ गायब, जिम्मेदार अधिकारियों पर उठे सवाल

👉 कौशांबी में हरे पेड़ों की अवैध कटाई, वन विभाग पर गंभीर आरोप ,ग्राम समाज की जमीन से 11 महुआ के पेड़ काटे गए, प्रशासन मौन 

👉 बिना एसडीएम की अनुमति कैसे कट गए हरे पेड़? जांच की मांग, वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से चल रहा अवैध कटान का खेल ग्रामीणों का विरोध, जिलाधिकारी से दोषियों पर कार्रवाई की मांग

👉 अगर यही हाल रहा, तो कौशांबी जल्द बन जाएगा रेगिस्तान , ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकर्षित करा कर की कार्यवाही की मांग… 

कौशांबी ब्यूरो रिपोर्ट— अमरनाथ झा…9415254415

कौशाम्बी। जिले में वन विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध रूप से पेड़ों की कटाई का खेल खुलेआम जारी है। बीते दो महीनों में जिले भर में सैकड़ों हरे-भरे पेड़ काट दिए गए, जिनमें से कुछ को वन विभाग की परमिशन लेकर काटा गया, जबकि दर्जनों पेड़ अवैध रूप से गिरा दिए गए। सबसे ताजा मामला चायल तहसील के कोइलहा गांव का है, जहां ग्राम समाज की जमीन पर लगे 11 विशाल महुआ के हरे पेड़ों को कथित परमिशन के आधार पर काट दिया गया।

बिना एसडीएम की अनुमति कैसे कटे पेड़?

ग्राम सभा की जमीन पर लगे पेड़ों की जिम्मेदारी उप जिलाधिकारी (SDM) की होती है। नियमों के अनुसार, इन पेड़ों को काटने से पहले—

  • एसडीएम द्वारा नीलामी कराई जाती है
  • पेड़ों का सही मूल्यांकन होता है
  • विज्ञापन जारी किया जाता है

लेकिन इस मामले में बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए 11 हरे महुआ के पेड़ों को काट दिया गया। स्थानीय ग्रामीणों ने जब इस पर सवाल उठाए, तो वन विभाग और प्रशासन के अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

वन विभाग की भूमिका संदिग्ध, अधिकारी मौन

जब इस मामले में उप जिलाधिकारी, चायल से पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि ग्राम समाज की जमीन पर लगे पेड़ काटने की अनुमति वन विभाग नहीं दे सकता। अगर वन विभाग ने ऐसा किया है तो यह पूरी तरह अवैध है और इसकी जांच कराई जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि अगर अनुमति नहीं दी गई थी, तो फिर ये 11 पेड़ कैसे कटे?

जब वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने जवाब देने से बचने की कोशिश की। कभी कहा गया कि “हमें जानकारी नहीं है”, तो कभी “परमिशन दी गई थी” का तर्क दिया गया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक साथ 11 हरे महुआ के पेड़ों को काटने की परमिशन आखिर क्यों दी गई?

वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत उजागर

स्थानीय लोगों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी, चायल रेंजर, डिप्टी रेंजर और हल्का वन कर्मचारियों की मिलीभगत से यह बड़ा खेल खेला गया। डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) कौशांबी की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।

पर्यावरण को हो रहा भारी नुकसान

अगर इसी तरह हरे पेड़ों की कटाई जारी रही, तो आने वाले वर्षों में जनपद कौशांबी एक रेगिस्तान की तरह नजर आएगा। जिले में पहले से ही वन क्षेत्र बहुत कम है और ऐसे में इस तरह की अवैध कटाई पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।

ग्रामीणों की मांग—जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई हो

ग्रामीणों ने जिलाधिकारी कौशांबी से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर समय रहते अवैध कटान पर रोक नहीं लगाई गई, तो बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस अवैध कटान पर कोई सख्त कदम उठाता है या फिर भ्रष्टाचार का यह खेल यूं ही जारी रहेगा। यह एक बड़ा सवाल है ।

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