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उमेश पाल हत्याकांड के मामले में कौशांबी पुलिस की लापरवाही आई सामने, अखलाक अहमद की कार को पुलिस ने दाखिल किया लावारिस, एसपी ने चौकी इंचार्ज और थाना प्रभारी संदीपन घाट को किया निलंबित

👉 उमेश पाल हत्याकांड के मामले में कौशांबी पुलिस पर भी उठ रहे हैं सवालिया निशान ।

👉 पुलिस ने लावारिस कार दिखाकर मामले में किया खेल, एसपी ने चौकी इंचार्ज और संदीपन घाट थाना प्रभारी पर की कार्रवाई ।

👉 सूत्रों की माने तो कौशांबी पुलिस की संदिग्ध भूमिका में एस0पी सहित कई की उच्च स्तरीय हो रही है गोपनीय जांच

कौशांबी । प्रयागराज मे 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के मामले में लगातार कौशांबी पुलिस घिरती जा रही है । आरोप है कि शकील भट्टा को हिरासत में लेने के बाद पुलिस की ओर से 10 लाख रुपए की वसूली कर उसे छोड़ा गया है । जब अखलाक एसटीएफ की गिरफ्त में आने के बाद उसने इस बात की कबूलदारी की तो पता चला कि संदीपन घाट थाना में तैनात कांस्टेबल विजय कुमार के जरिए उससे 10 लाख रुपए की वसूली की गई थी । 6 मार्च को थाना इलाके के बसेढ़ी गांव में अखलाक अहमद शूटर साबिर और असद को लेकरपहुंचे था । बताया जाता है कि निशान कंपनी की लग्जरी कार खराब हो चुकी थी जिसके बाद उस कार को संदिग्ध अवस्था में पुलिस ने बरामद कर लिया है ।

हैरानी की बात है कि इस मामले में भी पुलिस ने लापरवाही बरती है । पुलिस ने बिना कोई कार्यवाही किए अतीक अहमद के बहनोई को छोड़ दिया और इसके एवज में भी पुलिस ने 1 लाख की वसूली की है। अब इस मामले में यूपी एसटीएफ की ओर से शासन को एक गोपनीय पत्र भेजा गया है जिसमें कौशांबी पुलिस टीम के कप्तान समेत मातहतों पर जवाबदेही तय की गई है। पुलिस सूत्रों का मानना है कि इस मामले की जांच एडीजी जोन प्रयागराज के द्वारा की जा रही है जांच के बाद दोषी पुलिस अफसरों के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

इस पूरे घटनाक्रम में हैरानी की बात यह है कि उमेश पाल शूटआउट जैसे हाईप्रोफाइल मामले में कौशांबी पुलिस संवेदनशील नहीं रही और पुलिस अधिकारियों ने भी इस मामले की गंभीरता को नहीं समझा । जिस मामले में स्वयं सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने सदन से माफिया को मिट्टी में मिलाने की बात कह रहे हो, ऐसे गंभीर मामले में पुलिस अधिकारी स्वार्थ बस कहीं ना कहीं अपराधियों को बचाने का काम कर रहे थे ।
ऐसे में सवाल बड़ा है कि आखिर दोषी पुलिसकर्मियों पर कौशांबी पुलिस टीम के कप्तान ने निलंबन की कार्रवाई करते हुए प्रारंभिक जांच के आदेश तो दिए हैं लेकिन इस लापरवाही से क्या अपने आप को बेदाग साबित कर पाएंगे यह एक बड़ा सवाल है…

 

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