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कुशल राजनीतिज्ञ उच्च शिक्षित किसानों, मजदूरों के मसीहा, पाखंड और अंधविश्वास के घोर विरोधी थे धर्मवीर भारती, उनकी जयंती पर लोगों ने किया कोटि कोटि नमन

जातिवादी नेताओं की वजह से 1980 में मुख्यमंत्री की सपथ नहीं ले पाए थे धर्मवीर भारती ।

प्रयागराज। स्वर्गीय धर्मवीर भारती जी का जन्म 30 सितंबर 1934 को इलाहाबाद जिले के रम्मन का पूरा सुलेम सराय में हुआ था इनके पिता जी का नाम श्री राम भरोसे लाल और माता जी का नाम श्रीमती राम प्यारी देवी था स्वर्गीय धर्मवीर भारती जी राजनीति शास्त्र से एम0ए और एलएलबी पास थे । एम0ए एलएलबी के अतिरिक्त अन्य शैक्षिक योग्यताएं भी थी । इनका विवाह श्रीमती इंदिरा देवी से हुआ था। पिता श्री राम भरोसे लाल जी मिलिट्री की इंजीनियरिंग विंग में तैनात थे । इनके दादा भैरोदीन पासी ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सूबेदार थे । इनके मामा शारदा प्रसाद पासी जी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र आनंद भवन के केयर टेकर रहे । धर्मवीर भारती जी के जीवन पर सेना के अनुशासन और देश भक्ति का गहरा प्रभाव था। स्वर्गीय धर्मवीर भारती जी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और सरल स्वभाव के धनी थे। इनकी शिच्छा दीच्छा इलाहाबाद में हुई जिसमें पिता राम भरोसे लाल जी का पूर्ण सहयोग मिला। चूंकि इनका पूरा परिवार आर्य समाजी था और शिच्छायुक्त, नशामुक्त और अंधविश्वास रहित समाज के निर्माण हेतु समाज को जगाने का कार्य करते थे । उसका प्रभाव इनके जीवन पर भी पड़ा और छात्र जीवन से ही आर्य समाज की सभाओं में शामिल होते और भजन के माध्यम से समाज में चेतना जागृत करते थे।

1958 में पहली बार नगर निगम में पार्षद निर्वाचित हुए दूसरी बार भी पार्षद निर्वाचित हुए। 1967 में मेजा से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए और अपनी कर्मठता के बल पर जनता और कांग्रेस पार्टी के चहेते बन गए और 1969 में पुनः मंझनपुर से विधायक निर्वाचित हुए और उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री बने । 1971 में प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बनाए गए। 1974 में तीसरी बार मंझनपुर से विधायक निर्वाचित हुए और उत्तर प्रदेश सरकार में गृह मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए गए। 1978 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए और इन्हीं के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव 1980 में लड़ा गया।

विश्व में आयरन लेडी के नाम से पहचान बना चुकी देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा प्रदेश अध्यक्ष श्री धर्मवीर भारती से कहा गया कि प्रदेश में पूर्ण बहुमत से कांग्रेस की सरकार बननी चाहिए। धर्मवीर भारती द्वारा पारदर्शिता के साथ विधानसभा का टिकट दिया गया और कुशल रणनीति के साथ चुनाव की बागडोर संभाली और स्वर्गीय धर्मवीर भारती जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विधानसभा की 425 सीटों में से कांग्रेस पार्टी को 308 सीटों पर जीत मिली। उत्तर प्रदेश में प्रचंड जीत के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी और संजय गांधी ने कुशल राजनीतिज्ञ और दमदार नेता धर्मवीर भारती जी को मुख्यमंत्री नामित कर शपथ ग्रहण करने के लिए दिल्ली से लखनऊ भेजा गया, किंतु उत्तर प्रदेश के जातिवादी मानसिकता से ग्रसित नेताओं में भूचाल आ गया टेलेंट की बात करने वाले लोग टेलेंट का ही विरोध सिर्फ इसलिए करने लगे की पासी जाति अनुसूचित जाति का व्यक्ति मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण न कर सके। मुख्यमंत्री पद की शपथ के लिए जैसे ही कांग्रेस नेतृत्व ने धर्मवीर भारती जी के नाम पर मुहर लगाई उसी समय जातिवादी मानसिकता के गुलाम नेताओं के सीने पर सांप लोटने लगा कि पासी अनुसूचित जाति का व्यक्ति मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहा है, एक दूसरे के धुर विरोधी नेता भी सब एक हो गए और धर्मवीर भारती जी का विरोध करने लगे । विवाद बढ़ता देख कांग्रेस विधायक मंडल दल की बैठक में पर्वेच्छक के रूप में आए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री राम लाल ने तत्काल दिल्ली नेतृत्व से बात कर धर्मवीर भारती जी को दिल्ली वापस बुलाने का सुझाव दिया जिसे केंद्रीय नेतृत्व ने स्वीकार कर लिया ।

इस प्रकार जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त नेताओं की वजह से 1980 में स्वर्गीय धर्मवीर भारती जी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से वंचित हो गए। विधायक दल की बैठक में अपने राजनैतिक विरोधियों को शुभकामना देते हुए बिना किसी समझौते के दिल्ली वापस चले गए। 1980 में उत्तर प्रदेश के किसानों, मजदूरों, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए स्वर्णिम अवसर था जिसे जातिवादी मानसिकता के लोगों ने मिलकर विफल कर दिया था। जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी आज तक उत्तर प्रदेश में भुगत रही है। 1980 में ही धर्मवीर भारती जी राज्यसभा में सदस्य बने, 1981 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में उप श्रम मंत्री बने । 1982 में श्रम राज्यमंत्री बने, 1983 में श्रममंत्री और 1984 में श्रममंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए गए । धर्मवीर भारती के रूप में चमकता हुआ सितारा 22 दिसंबर 1984 को अस्त हो गया । 49 वर्ष की अल्पायु में स्वर्गवास होने से उनके परिवार के साथ साथ भारतीय राजनीति और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का बहुत नुकसान हुआ है। वर्तमान समय में उनकी राजनैतिक विरासत को उनके पुत्र पूर्व सांसद पूर्व मंत्री शैलेन्द्र कुमार और पूर्व विधायक सत्यवीर मुन्ना  सम्हाल रहे हैं  ।

अमरनाथ झा – चीफ एडीटर – ( 8318977396 )

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