विधायकों द्वारा विधायक निधि का पैसा विद्यालयों को किया गया मनमानी तरीके से बंदरबांट, पूर्व भाजपा विधायक संजय गुप्ता ने बांटे तमाम विद्यालयों को विधायक निधि का पैसा,कब होगी जांच
👉 सूत्रों की माने तो 40 से 50 परसेंट तक लिया गया है स्कूलों से कमीशन ,विधायकों द्वारा अधिकतर पैसा स्कूलों को ही क्यों दिया जाता है यह एक बड़ा सवाल है ।
👉 बिना शर्त पूरी किए ही जारी कर दी जाती है प्रथम व दूसरी किस्त, 13 बिंदुओं की जांच करने के बाद ही स्कूलो को किस्त जारी करने का है प्रावधान ।
कौशांबी। जिले मे यदि देखा जाए तो चायल से भाजपा विधायक रहे संजय गुप्ता ने अपने निधि का पैसा कई स्कूलों को दिया है ,जिसमें सरोजिनी नायडू बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज महमूदपुर मनौरी ,डॉ0 राम लखन हाई स्कूल सैयद सरावा में एक शिक्षा कक्ष वा बरामदा निर्माण हेतु , छत्रपति शाहूजी महाराज स्मारक हाई स्कूल फरीदपुर चक ताजपुर कौशांबी में एक शिक्षण कक्ष का निर्माण हेतु , उदय प्रकाश हाई स्कूल सिरसी चरवा कौशांबी में एक शिक्षण कक्ष का निर्माण हेतु , बाबू लल्लू सिंह स्मारक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय काजू में भूतल पर एक कक्ष व बरामदा तथा प्रथम तल पर एक शिक्षण कक्ष व बरामदा निर्माण हेतु ,बाबूलाल सिंह स्मारक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय काजू में भूतल पर एक कक्ष व बरामदा तथा प्रथम तल पर एक शिक्षण कक्ष का निर्माण हेतु 2021-22 में निधि से पैसा दिया गया है । इस निधि से सामाजिक और गांव एवं बेरोजगार युवाओं के विकास के लिए कई दर्जन योजनाएं व समस्याओं पर खर्च करने का प्रावधान है लेकिन उन्हें विधायकों द्वारा नजरअंदाज किया जाता है।
इसी तरह जिले के अन्य विधायकों ने भी अपने-अपने विधानसभा में विद्यालयों को मनमानी तरीके से पैसा बांटा है । यदि इन विद्यालयों को दिए गए निधि की जांच करा ली जाए तो उक्त दिए गए पैसों के मुताबिक कार्य नहीं हुआ है । सूत्रों का कहना है कि विद्यालयों को दिए जाने वाले पैसे में 40 से 50% कमीशन लेकर के ही विधायकों द्वारा पैसा दिया जाता है ,यही कारण है कि समाज के अन्य विकास कार्यों को छोड़कर सबसे ज्यादा विधायक गण स्कूलों को ही पैसा देते हैं । राज्य में बेरोजगार युवाओं के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के लिए आवंटित न्यूनतम 10% निधि का उपयोग जरूरी होना चाहिए लेकिन ऐसा किसी विधायक ने नहीं किया है ।
बता दें कि सांसद और विधायक तथा एमएलसी निधि का पैसा कोई इनका व्यक्तिगत निधि नहीं होती है । यह आम जनता का पैसा है जो इनको जनता के हित के लिए खर्च करने के लिए मिलता है लेकिन यह विधायक और जनप्रतिनिधिगण इसमें अपना स्वार्थ देखते हुए जनता का स्वार्थ ना देख कर मनमानी तरीके से खर्च करते हैं ,जिस पर रोक लगनी चाहिए और विधायकों द्वारा किए गए इन मनमानी खर्चों की जांच भी करानी चाहिए ताकि विधायक निधि को अपनी निधि समझने वाले विधायकों को यह पता चले कि यह पैसा जनता का है और जनता के हित के लिए जनता की मांग पर खर्च होनी चाहिए । विधायक निधि से खर्च होने पैसे में कमीशन खोरी पर लगाम लगनी चाहिए ताकि कोई भी कार्य पारदर्शिता के साथ हो सके । जहां विद्यालयों में मनमानी तरीके से पैसे बंदरबांट किए जाते हैं और उनसे मोटे कमीशन लिया जाता है, यही वजह है कि विद्यालयों का काम पूरी तरीके से नहीं हो पाता है लेकिन इसकी जांच कभी नहीं कराई जाती है । कहने को तो विधायक गण यह कहेंगे कि यह पैसा कार्यदाई संस्था को जाता है और कार्यदाई संस्था ही कार्य करवाती है लेकिन इसके पीछे का राज्य है कि यह जिस कारदायी संस्था को काम मिलता है उससे के माध्यम से ही कमीशन वसूली करते हैं जो जांच का विषय है ।
अमरनाथ झा पत्रकार