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जिलों मे चल रही एंबुलेंस 108,102 मे फर्जी मरीजों के एंट्री,कंपनी द्वारा वाहन चालकों से केस बढ़ाने का दिया जा रहा टारगेट, 40% फर्जी मरीजों का नाम,मो0 नंबर फर्जी एंट्री, अपर निदेशक ने लिखा जांच करने के लिए सीएमओ को पत्र

👉 महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश ने दिए एम्बुलेंस 108,102,के तीन माह – जनवरी,फरवरी,मार्च सन् 2022 के पीसीआर का टीम बनाकर दिए जांच आदेश ।

👉 शासन के संज्ञान में आया है कि एम्बुलेंस108,102,में झूठे(काल्पनिक)नाम दर्ज कर एम्बुलेंस सेवा प्रदाता ले रही सरकारी भुगतान।

👉 डिप्टी डायरेक्टर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने लिखा 24 मई को पत्र जनपद के सीएमओ से मांगी रिपोर्ट ।

प्रदेश में स्वास्थ विभाग में लगी एंबुलेंस 108 और 102 में फर्जी वाडा करने का मुद्दा सामने आया है । इन एंबुलेंस में तैनात कर्मचारियों को कंपनी टारगेट देकर ज्यादा केस कराने के लिए दबाव बनाती है और यही वजह है कि फर्जी मरीजों और फोन नंबर डालकर महीने में 35 से 40 प्रतिशत तक फर्जी केस एंट्री किए जाते हैं । इसी एंट्री के आधार पर प्रति मरीज ₹4500 रूट0 कंपनी को पैसा मिलता है, शिकायत होने पर अपर निदेशक ने जांच कराने की लिए पत्र लिखा है ।

निष्पक्ष जांच के समर्थन में जिला प्रयागराज के एम्बुलेंस कर्मचारी ने मुख्यचिकित्सा अधिकारी को लेटर दिया गया और जांच मदद के लिए जांच टीम का सहयोग करना चाहते है जिससे मानव सेवा में हो रहा भ्रष्टाचार को उजागर किया जा सके । कर्मचारियों ने बताया कि एम्बुलेंस सेवा प्रदाता के अधिकारी केश टारगेट देते हैं और ऐसे ना करने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। इसी क्रम का विरोध करने वाले प्रयागराज में लगभग 180 कर्मचारी को पूर्व में नौकरी से निकाल दिया गया है । आज भी वह सभी पुनः नौकरी बहाल करने की गुहार लगा रहे है ।

कर्मचारियो ने बताया की कंपनी को सरकार से प्रति मरीज को हास्पिटल से घर या घर से हास्पिटल पहुंचाने के एवज में मिलता है पैसा जिससे कंपनी कर्मचारी को मजबूर कर अधिक से अधिक फर्जी आंकड़ा पीसीआर पर दबाव से अंकित कराकर सरकार को उपलब्ध भुगतान लेती है । सबसे ज्यादा फर्जी आंकड़ा माह के 9 तारीख को HRP डे और वेलनेश डे मनाने वाले दिन/तारीख और 102 एम्बुलेंस के हास्पिटल से घर पहुंचाने वाले मरीजों में होताहै।

अगर सच्चाई से जांच की जाए और मरीज के मोबाइल नंबर पर काल और मरीज के घर जाकर पता लगाया जा सकता है और मरीज के नाम,आधार कार्ड नं,सरकारी हास्पिटल के रजिस्टर में दर्ज मरीजो के नाम और ओपीडी और आईपीडी नंबर का मिलान कराने पर फर्जी मिलेगा ।  मरीज के पुराने रिकार्ड से पुनः सुविधा में एम्बुलेंस में कार्यरत कर्मचारी के या हेल्प डेस्क या आशा के मो0 नं से एम्बुलेंस काल सेन्टर पर दर्ज कराया जाता है और बाद में मोबाइल नं पुराने उसी मरीज का दर्ज कर देते हैं । एम्बुलेंस में लगे जीपीएस सिस्टम को मूवमेंट करने के लिए एम्बुलेंस को खाली सड़क पर दौड़ाई दिया जाता है। जिससे आवश्यक मरीज को समय पर एम्बुलेंस सेवा भी उपलब्ध नहीं हो पाती है और माननीय मुख्यमंत्री जी के जीरो टार्लेस भ्रष्टाचार नीति का पालन नहीं हो पा रहा है ।

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