एनसीआर भारतीय रेल का है सबसे भ्रष्ट डिवीजन, 2-साल से नही हो पाया एचआरएमएस का कार्य पूर्ण, दर-दर भटक रहे है कर्मचारी, नही निकल रहा है पीएफ का पैसा, दिन प्रतिदिन कर्मचारियों की छीनी जा रही है सुविधाएं, लोग अपना पैसा लगाकर जा रहे है घर गांव
👉 मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय मे निकम्मों के कारण नहीं जारी हो पा रहा है ई-पास और ऑनलाइन ईपीएफ की निकासी क्योंकि डीआरएम ऑफिस में नक्कारे बाबुओं की है फौज, काम के मामले में है जीरो ।
👉 आईटी सॉफ्टवेयर के नाम पर जमकर लूटा गया है पैसा, जितने भी ऐप सॉफ्टवेयर हुए हैं लांच बाबू को नहीं है इसका ज्ञान ।
👉 नहीं कराया जाता है इसका कोई प्रशिक्षण, जबकि मंडल के पास मौजूद है संसाधन, केवल चाटुकारो चापलूसों के मिसमैनेजमेंट के कारण सिस्टम हो रहा है फेल । आखिर कब ध्यान देंगे जोन के उच्च अधिकारी ।
👉 मोदी गवर्नमेंट को फेल करने के लिए आंख मूंद कर बैठे हैं रेलवे के उच्च अधिकारी, यह बातें बनी चर्चा का विषय ।
प्रयागराज । मण्डल रेल प्रबंधक कार्यालय में इतने बड़े बाबुओं की फौज होने के बावजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ज्यादा से ज्यादा आईपास आईडी जारी की गई है । जिन विभागों में बाबू मौजूद हैं इसके बावजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को आई-पास आईडी देकर आखिर क्यों अधिकारी वेतन बनवा रहे हैं यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है ।
बता दें कि आईपास आईडी के मामले में इंजीनियरिंग विभाग सबसे ऊपर है ,जिसने बाबू का रोना रोकर अपने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ज्यादा से ज्यादा आईडी दिला कर वेतन जैसे महत्वपूर्ण कार्य ,आर्थिक मामलों के यात्रा भत्ता ,ट्यूशन फीस एवं अन्य कार्य कराए जा रहे हैं । क्योंकि इसमें एसएसई व पीडब्ल्यूआई एवं अधिकारी अपने मनमानी तरीके से पैसा चार्ज कराते हैं और बाबू को बंधक बनाकर किनारे रखा है । ऐसा इसलिए किया गया है कि बाबू नियम और कानून की बात करता है और वह इनको हजम नहीं होता है । यही वजह है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को आई-पास आईडी दिला करके मनमानी तरीके से अधिकारी काम ले रहे हैं और बाबुओं को दरकिनार किया गया है । इतनी बड़ी बाबू की फौज मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में बैठी हुई है जो निकम्मेपन की एक मिसाल है । आज तक रेलवे बोर्ड के दिए गए टारगेट एचआरएमएस एवं ई-ऑफिस को अभी तक लागू नहीं कर पाई है और कर्मचारी अपने सुविधा पास एवं पीएफ निकासी के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं । यूनियन भी इस मामले में मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रही है । लोग मजबूरी में अपने पैसे से टिकट लेकर अपने घर गांव को आ- जा रहे हैं ,जबकि रेल कर्मचारियों की सुविधाओं पर प्रशासन के द्वारा डाका डाला जा रहा है । इन तमाम पेंडिंग पड़े कार्यो और कर्मचारियों के समाज समस्याओं व सोशल होने के बावजूद भी अधिकारी अपनी पीठ रेलवे बोर्ड से थपथपाते हैं और शाबाशी बटोरते हैं ।
बता दें कि वर्तमान समय में सीनियर टीआरडी ने संतोष कुमार का स्थानांतरण उस कुर्सी से नहीं किया है ,जो कई वर्षों से एक ही जगह जमा हुआ है । यह वसूली खुलेआम करता फिर रहा है, जिसमें अधिकारियों की मिलीभगत शामिल है । यही वजह है कि उसका आज तक ट्रांसफर नहीं किया गया है । इसके बावजूद चुनार में 3- टावर वैगन ड्राइवर एवं सोनभद्र में 2- टावर वैगन ड्राइवर पोस्ट कर रखा है और उस मामले में कोई निर्णय आज तक नहीं लिया गया है। इसी तरह मिर्जापुर में बाबू होने के बावजूद भी हेल्पर को आईपास आईडी देकर वेतन बनवाया जा रहा है जो नियमतः गलत है । एक तरफ 60 हजार के बाबू को बैठाकर फ्री में कई साल से वेतन दिया जा रहा है । यह भारत सरकार के राजस्व का नुकसान है क्योंकि बाबू जब काम करेगा तो वह अधिकारियों के इशारे पर मनमानी नहीं करेगा और नियम कानून के तहत बाबू काम करेगा । यही कारण है कि इन अधिकारियों ने बाबू को दरकिनार किया है ।
वर्तमान में टीसी पद की विभागीय परीक्षा कराई गई है जिसमें WLI व CWLI को यह जिम्मेदारी दी गई है कि कैंडिडेटों को तय करके लाओ और और लंबी वसूली करके संपर्क कराओ क्योंकि डब्ल्यूएलआई के पास कोई काम नहीं है । यह केवल प्रशासन की सेवा के लिए और आव-भगत करने के लिए पोस्ट बनाई गई है और फर्जी यात्रा भत्ता भरते हैं । घरों पर यह लोग पड़े रहते हैं, इससे सरकार का मुफ्त में वेतन देकर करोड़ों रुपए का नुकसान किया जा रहा है । इस मामले में भी जांच करने के लिए विजिलेंस विभाग आंख मूंद कर बैठा है । ऐसे तमाम उम्मीदवारों का चयन हुए हैं कि जिनको एक प्रार्थना पत्र लिखना नहीं आता है और वह ओ0एस, टी0सी एवं डब्ल्यूएलआई, टीआई बने हुए हैं । यदि यह डब्ल्यू एल आई अपनी पद की जिम्मेदारी को समझते हुए कार्य करते तो आज कर्मचारी इतना परेशान नहीं होते उनकी समस्याओं का निराकरण हो जाता । एनसीआर के मंडलीय कार्यालय का यह कारनामा चर्चा का विषय बना हुआ है । अब देखना यह है कि कौशांबी वॉइस के खबरों का संज्ञान लेकर रेलवे बोर्ड एवं विभागीय उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं यह जांच का विषय है ।