डीआरएम ऑफिस के टीआरडी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का जखीरा, विजिलेंस विभाग कि शह पर हो रहा है भ्रष्टाचार, नहीं हो रही कोई कार्यवाई
👉 रेलवे के उच्च अधिकारियों ने दे रखी है भ्रष्टाचार के बढ़ावा की छूट, आखिर कब रुकेगा रेलवे मे सरकरी धन की लूट ।
👉 लोगों ने डीआरएम और जी0एम से लगाई जांच कराकर कार्रवाई करने की गुहार ।
👉 डीजल की होती है चोरी, एसएससी आदि की चोरी के डीजल से चलती है गाड़ियां ,फर्जी लाग बुक भरके किया जाता है रिकॉर्ड मेनटेन ।
👉 सीनियर डी के ऊपर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बिहार का है हाथ ,इसी वजह से रेलवे के अधिकारी नहीं कर पा रहे हैं कोई कार्यवाही ।
प्रयागराज । रेलवे के टीआरडी विभाग में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर चल रहा है । यह भ्रष्टाचार कई वर्षों से दिन दूना रात चौगुना बढ़ता ही जा रहा है लेकिन रेलवे के उच्च अधिकारी इस डिपार्टमेंट पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं । यहां 20-20 वर्षों से टीआरडी डिपार्टमेंट में एक ही स्थान पर कई बाबू व वरिष्ठ खंड अभियंता जमे हैं जो ठेकेदारों से धनवाही उगाही एवं उनके फर्मो के लिए काम करके मालामाल हो रहे हैं । sr. DEE (सिनियर डी) और एसएससी (SSE) के बीच भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का लंबा खेल चल रहा है । यहां पर 160 किलोमीटर के नाम पर गती बढाने के नाम पर पोस्टिंग कराने की एवं कमीशन खाने की लूट मची है जिसमें मुख्यालय स्तर पर एक वरिष्ठ अधिकारी को हटाकर एक सेटिंग वाज को नियुक्त किया गया राजस्व की लूट मची है । देखा जाए तो इन लोगों के पास करोड़ों में अवैध कमाई करके आय से अधिक संपत्ति बनाई है, जिनके पास अकूत आय से अधिक और बेनामी संपत्ति है ।
OHE और SSE एवं PSI – दोनों का कार्य एक ही एसएसई को करने का वरदान प्राप्त हुआ है । डिपो में
नट, बोल्ट, खंभा, तार, पाइप आदि सामान कूड़े की तरह पड़ा रहता है जिसको कंडम करके पुन: फार्म को चोरी के रास्ते से भेेजवा दिया जाता है । जिसका पैसा सीधा बेचकर ठेकेदार के माध्यम से इनकी जेब में जाता है । बागवानी के नाम पर हर महीना इंप्रेस का मिलने वाले पैसे का दुरुपयोग किया जाता है । यह गोरखधंधा इनका वर्षों से चल रहा है जिसमें अडिट डिपार्टमेंट के लोग भी शामिल हैं । इसीलिए कोई कार्यवाही नहीं होती है । यहां तक कि स्टोर में सामान का कोई लेखा-जोखा मेनटेन नहीं है । किसी भी डिपो में देखा जाए तो अव्यवस्था और भ्रष्टाचार फैला हुआ है । सामान को बड़े पैमाने पर उन्हीं सामानों को पुनः कंडम करके फर्मों को वापस कर दिया जाता है और यहां तक कि डीजल की खरीद-फरोख्त में भी बडे पैमाने पर चोरी हो रही है । सीनियर-डी के कार्यकाल में जिस तरह से दुर्घटनाओं की भरमार हुई है यदि जांच हुई तो उसका खुलासा होना तय है । इतना ही नहीं कर्मचारियों को सुरक्षा के नियमों का पालन भी नहीं हो रहा है और ना ही उनको प्रशिक्षित कर लोकेशन का ज्ञान दिया जा रहा है । कई वर्षों से जमे हुए एसएससी ठेकेदारों से मिलकर सुरक्षा एवं गुणवत्ता को ताक पर रखकर कार्य करा रहे हैं ,इसलिए आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है जिसको छिपाने का कार्य एक मोटी रकम ठेकेदार से दिला कर मामले को लोकल स्तर पर ही दबा दिया जाता ।
बता दे कि कर्षण विभाग में कर्मचारियों के बीच यह चर्चा का विषय है की सीनियर डी के चहेते एसएससी ठेकेदारों से मिलकर मलाई काट रहे हैं और हर माह घर का राशन और सामान तक सीनियर डी के यहां पहुंचाया जाता है । डीपो में हो रहे यह खेल आखिर कब रुकेगा और SSE के पाले हुए कर्मचारियों को फर्जी यात्रा भत्ता जिसकी कोई लिखित मे रिकार्ड न होने के बावजूद फर्जी हाजिरी उपस्थिति पंजिका में भरी जाती है और गांव में बैठाकर लोगों को फर्जी यात्रा भत्ता भुगतान कराया जाता है । इसका एक उदाहरण यह है कि दुर्घटना में अस्पताल में देखरेख करने वाले कर्मचारी को एक माह से ऊपर बिना अनुमोदन के यात्रा भत्ता SSE द्वारा दिलाया गया है ।
कौशाम्बी वॉइस ने रेलवे में व्याप्त तमाम भ्रष्टाचार की खबरें प्रकाशित करता रहता है लेकिन अधिकारियों के संज्ञान में आने के बावजूद भी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए और इन भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए रेलवे आंख मूंदकर बैठा है । इससे यह लगता है कि या तो रेल मंत्रालय आंख मूंदकर बैठा हुआ है और रेल मंत्री को इसकी सूचना नहीं है । यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इसकी सूचना नहीं है, यही वजह है कि रेलवे का यह सब भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है
इसी प्रकार विजिलेंस में तैनात चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर बी0एन मिश्रा के भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बार शिकायत हुई है । जब विजिलेंस के लोग ही रेलवे गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं और 10 वर्षों से ज्यादा एक ही जगह तैनात हैं और उनको बार-बार एक्सटेंशन दिया जाता है । इससे यह साबित होता है कि यह विभाग खुद ही एक भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा जखीरा है । यही वजह है कि वह दूसरे डिपार्टमेंट पर क्या कार्रवाई करेगा यह चर्चा का विषय बना हुआ है विजिलेंस विभाग द्वारा ईमानदार कर्मचारी को पकड़ा जाता है लेकिन जो लोग करोड़ों और अरबों के खेल में लिप्त है ,उनके केसों को कई सालों तक टालमटोल कर लटकाया जाता है और उन्हें बचाया जाता है ।
बता दें कि रेलवे के यह बिगड़ैल अधिकारी इतने बेलगाम हो चुके हैं की जनता द्वारा चुने गए सांसद और विधायक के पत्रों को भी कूड़ेदान में डालने का कार्य कर रहे हैं । जिसका ज्वलंत उदाहरण यह है कि कौशांबी सांसद विनोद सोनकर ने भी पत्र लिखा है लेकिन इस मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है जब कि यह मामला जी0एम के भी संज्ञान में भी है । 10 वर्षों से ज्यादा तैनात और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले आखिर इस सीवीआई के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है यह चर्चा का विषय बना है ।