राजकीय आईटीआई नैनी प्रयागराज में फर्जी नियुक्ति और पदोन्नति का बड़ा खुलासा ,प्रतीक्षा सूची के आधार पर हुई नियुक्ति पर उठे सवाल, प्रधानाचार्य पर जांच में गुमराह करने का गंभीर आरोप
👉 राजकीय आईटीआई नैनी प्रयागराज में फर्जी नियुक्ति और पदोन्नति का गंभीर मामला , योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर उठ रहा सवाल ।
👉 निदेशक के निर्देश के बावजूद कार्रवाई लंबित ,प्रदेश में 438 फर्जी नियुक्तियों का मामला उजागर ,फर्जी नियुक्त कर्मचारी प्रमोशन पाकर पहुंचे निदेशालय
👉 प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर उठे सवाल ,न्यायालय में विचाराधीन मामला, फिर भी हुई पदोन्नति , बड़ा सवाल…
👉 फर्जी नियुक्तियों पर कार्रवाई में देरी से शासन पर सवाल ,योग्यता आधारित प्रणाली को कमजोर करने का प्रयास ।
👉 तत्काल जांच और सख्त कार्रवाई की मांग ,फर्जी नियुक्तियों से प्रशासनिक तंत्र की छवि धूमिल , राजकीय आईटीआई नैनी प्रयागराज में अरुण कुमार यादव की फर्जी नियुक्ति पर नहीं हुई कार्यवाही आखिर क्यों…
प्रयागराज। फर्जी नियुक्ति के आधार पर नौकरी करने वाले अजय कुमार सिंह पर नही हुई है अभी तक कोई कार्रवाई। प्रशिक्षण सेवायोजन के अधीन राजकीय आईटीआई नैनी, प्रयागराज में वरिष्ठ सहायक के पद पर तैनात कर्मचारी अजय कुमार सिंह की नियुक्ति प्रतीक्षा सूची के आधार पर हुई थी। इस प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। सूची के आधार पर नियुक्ति के कारण आगरा की वरिष्ठ सहायक कविता रानी को शासन और निदेशालय द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। यह मामला प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
जांच में गुमराह करने का आरोप लग रहा है। प्रधानाचार्य अरुण यादव पर आरोप है कि उन्होंने इस प्रकरण में जांच के दौरान तथ्यों को छिपाने और गुमराह करने का प्रयास किया। नियुक्ति प्रक्रिया में दस्तावेजों की सत्यता की अनदेखी की गई, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि पदोन्नति और नियुक्ति में नियमों का उल्लंघन हुआ।
निदेशक के निर्देश और लंबित कार्रवाई सवालों के घेरे में है। उपनिदेशक श्री राहुल देव ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, फर्जी नियुक्ति और पदोन्नति का यह मामला निदेशालय में अभी भी लंबित है। अजय कुमार सिंह को न्यायालय में विचाराधीन मामले के बावजूद पदोन्नति दी गई, जो नियमानुसार अनुचित है। न्यायालयीन निर्णय तक ऐसी पदोन्नति नियमों का उल्लंघन मानी जाती है।
फर्जी नियुक्तियों का राज्यव्यापी मामला है। यह मामला केवल राजकीय आईटीआई नैनी तक सीमित नहीं है। पूरे प्रदेश में 438 फर्जी नियुक्तियों की बात सामने आई है। इन नियुक्तियों की जांच के लिए पूर्व निदेशक ने कार्यवाही का आदेश दिया था, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
फर्जी नियुक्त और कर्मचारियों की निदेशालय में सक्रियता से कार्यवाही प्रभावित हो रही है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इन फर्जी नियुक्तियों में शामिल लगभग 40 कर्मचारी अब प्रमोशन लेकर निदेशालय में तैनात हैं। ये कर्मचारी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए प्रकरणों को दबाने और फाइलों को रोकने का प्रयास कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं में बाधा उत्पन्न करती है, बल्कि योग्यता आधारित प्रणाली को भी कमजोर करती है।
प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। इस प्रकरण में निदेशालय और शासन की निष्क्रियता प्रशासनिक व्यवस्था की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह स्थिति सरकार और प्रशासनिक तंत्र की छवि को धूमिल करती है और जनता के विश्वास को कमजोर करती है। बता दें कि जांच रिपोर्ट आने के बाद भी नैनी राजकीय आईटीआई प्रधानाचार्य द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है बल्कि अरुण यादव को प्रधानाचार्य बचाने में लगे हैं। यह उनका सबसे चाहेता लिपिक है । इस पर अपर निदेशक राहुल देव ने जांच किया था लेकिन भ्रष्टाचार के इस प्रकरण को सब दबाने लगें हैं।
इस मामले पर तत्काल सुधार और कार्रवाई की आवश्यकता है।
इस गंभीर प्रकरण में सभी आरोपितों की गहन जांच और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई आवश्यक है। फर्जी नियुक्तियों में शामिल कर्मचारियों और सहयोग करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही, योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।
बता दें कि फर्जी नियुक्तियों और पदोन्नति का यह मामला प्रशासनिक तंत्र में सुधार और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई और न्यायपूर्ण प्रक्रिया ही प्रशासनिक प्रणाली में विश्वास बहाल कर सकती है।
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प्रयागराज: आईटीआई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप, उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की उठी मांग…
प्रयागराज में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) के तहत नियुक्तियों और पदोन्नतियों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का गंभीर मामला सामने आया है। कैलाश नगर, वृंदावन (मथुरा) के निवासी सुनील कुमार गुप्ता ने दिनांक 9 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, श्रम मंत्री अनिल राजभर, व्यावसायिक शिक्षा मंत्री कपिल देव अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले की उच्चस्तरीय जांच और तत्काल कार्रवाई की मांग की है। शिकायत में उन्होंने प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के अधीनस्थ कार्यालयों में हुई अवैध नियुक्तियों और पदोन्नतियों को रद्द करने की अपील की है।
शिकायत की मुख्य बिंदु
1. अवैध नियुक्तियां
शिकायत के अनुसार, 2003 से 2006 के बीच राज्य के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालयों में स्वीकृत पदों की संख्या से अधिक 438 व्यक्तियों की अवैध और अनियमित नियुक्तियां की गईं।
2. जांच और सिफारिशें
तत्कालीन निदेशक हरिशंकर पांडे द्वारा गठित जांच टीम ने इन नियुक्तियों को अनियमित पाया।
11 अगस्त 2010 को निदेशक द्वारा विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए इन नियुक्तियों को रद्द करने की सिफारिश शासन को भेजी गई।
वर्ष 2020 में एक बार फिर जांच हुई, जिसमें नियुक्तियों को अवैध पाया गया।
3. कार्रवाई का अभाव
2010 और 2020 की जांच रिपोर्टों के बावजूद, शासन ने अब तक दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की।
इसी तरह के एक मामले में, कविता नामक कर्मचारी की नियुक्ति को 18 जून 2024 के पत्र के माध्यम से रद्द कर दिया गया था। हालांकि, बाकी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
4. भ्रष्टाचार के आरोप
शिकायतकर्ता ने तत्कालीन निदेशक डॉ. गुरदीप सिंह (2010) और अन्य अधिकारियों पर नियुक्तियों और स्थानांतरण में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है।
शिकायतकर्ता की मांग—
शिकायतकर्ता सुनील कुमार गुप्ता ने निम्नलिखित मांगें की हैं:
1. सभी 438 अवैध नियुक्तियों को तत्काल रद्द किया जाए।
2. दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
3. भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं और उन्हें लागू किया जाए।
शिकायतकर्ता ने यह भी रेखांकित किया कि शासन ने पहले कुछ मामलों में त्वरित कार्रवाई की है। उदाहरणस्वरूप, कविता की सेवा समाप्ति का मामला। ऐसे में व्यापक भ्रष्टाचार के इस मामले में कार्रवाई न होना शासन की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
यह मामला न केवल सरकारी तंत्र में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह शासन और प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाता है। यदि समय रहते इस मामले पर कार्रवाई नहीं होती, तो यह न्याय प्रणाली और प्रशासनिक तंत्र के प्रति जनता के विश्वास को कमजोर करेगा।
शिकायतकर्ता ने संकेत दिया है कि यदि शासन इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करता, तो वे उच्च न्यायालय या लोकायुक्त जैसे मंचों का सहारा लेंगे। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शासन-प्रशासन इस मामले पर कितनी शीघ्रता और पारदर्शिता से कार्रवाई करता है।
अमर नाथ झा पत्रकार – मो0 – 9415254415 ,