कौशांबी मे अवैध प्लाटिंग पर प्रशासन मौन, भू-माफिया बेलगाम , बिना ले आऊट पास किए अवैध तरीके से हो रही जिला मुख्यालय सहित नगरपालिका में प्लाटिंग,
👉 डीएम मनीष कुमार वर्मा ने अवैध तरह से विकसित कॉलोनी और अवैध प्लाटिंग क्षेत्र में सरकारी सुविधाओं पर रोक लगाने के दिए थे निर्देश
👉 डेढ़ दर्जन से ज्यादा भू माफियाओं को किया गय था चिन्हित
कौशांबी । जिले में अवैध प्लाटिंग का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। भू-माफिया सरकारी जमीनों पर कब्जा करके अवैध प्लाटिंग करने में जुटे हुए हैं। जिले में अब तक न तो कोई प्लाटिंग वैध है और न ही कोई प्लाटर रजिस्टर्ड। हालात यह हैं कि नगर पालिका परिषद मंझनपुर ने डेढ़ दर्जन से अधिक ऐसे लोगों को चिन्हित किया है जो सरकारी और निजी कृषि भूमि को बिना जरूरी अनुमति लिए प्लाटिंग में तब्दील कर रहे हैं।
बिना अनुमति मुख्यालय के चारों ओर चल रही अवैध प्लाटिंग । किसानों से कृषि भूमि खरीदने के बाद भू-माफिया धारा 43 का पालन किए बिना प्लाटिंग करते हैं और करोड़ों का मुनाफा कमा कर निकल जाते हैं। इन अवैध प्लाटों में न तो पार्क, सड़क या सीवेज जैसी सुविधाओं का प्रावधान होता है, न ही बिजली जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं। खरीददार मकान बना लेते हैं और बाद में प्रशासन पर दबाव डालकर सुविधाएं मांगते हैं, जिससे प्रशासन को भी जद्दोजहद करनी पड़ती है।
मंझनपुर ,समदा , कोरव, सरकारी जमीन पर भी कब्जा । सरकारी जमीनें भी अवैध प्लाटिंग की चपेट में हैं। उदाहरण के लिए, समदा गांव के आराजी नंबर 24 और समदा-ओसा रोड पर सरकारी जमीन पर प्लाटिंग की गई है। इस मामले में शिकायतें भी की गईं, लेकिन अधिकारियों ने केवल वसूली करके मामले को रफा-दफा कर दिया। इस वक्त जिले में दो दर्जन से अधिक लोग खुलेआम अवैध प्लाटिंग में लिप्त हैं। नहरों पर भी जगह जगह बिना परमीशन पुल बनाकर कब्जा , समदा क्षेत्र में नहरों पर अवैध पुल बनाकर प्लाटिंग की जा रही है, जिससे नहरें संकरी हो रही हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। प्रशासन की चुप्पी के चलते भू-माफिया नहरों पर कब्जा कर रहे हैं।
बता दें कि अब तो प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहा है । नगर पालिका के विनिमय विभाग पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। बिना नक्शा पास किए प्लाटिंग और मकान निर्माण धड़ल्ले से जारी है। हर जगह प्लाटरों के बोर्ड लगे हुए हैं, जो खुलेआम गरीबों को ठग रहे हैं। गाढ़ी कमाई से प्लाट खरीदने वाले लोग बाद में सुविधाओं के अभाव में फंस जाते हैं।
लोगों ने जिला प्रशासन से मांग करते हुए जिलाधिकारी से अपेक्षा की है कि पिछले पांच वर्षों में हुई सभी अवैध प्लाटिंग की जांच कराई जाए। अवैध रजिस्ट्री में हुए राजस्व नुकसान की भरपाई करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले भू-माफियाओं के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं, ताकि गरीबों की मेहनत की कमाई लूटने वालों पर अंकुश लगाया जा सके।
कौशांबी जिले में भू-माफियाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रशासन के द्वारा अभी तक डेढ़ दर्जन से अधिक भू-माफियाओं को चिन्हित किया गया है, जो सरकारी और निजी जमीनों पर अवैध प्लाटिंग में लिप्त हैं।
कृषि भूमि का दुरुपयोग हो रहा है,किसानों से कृषि भूमि खरीदकर बिना भूमि उपयोग परिवर्तन के प्लाटिंग करना। इस प्रक्रिया में धारा 43 का पालन नहीं किया जाता। मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी हो रही है। अवैध प्लाटिंग में सड़क, नाली, बिजली और पानी जैसी आवश्यक सुविधाएं नहीं दी जातीं।गरीब खरीदारों को गुमराह करके उन्हें फंसाया जाता है। नहरों पर अवैध निर्माण हो रहा है। नहरों पर अवैध पुल बनाकर कब्जा किया जा रहा है। नहर विभाग के अधिकारी मौन हैं, जिससे कब्जे बढ़ते जा रहे हैं।
प्रशासनिक भूमिका ठीक नहीं है हालांकि कुछ शिकायतों के आधार पर भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है, लेकिन अधिकतर मामले भ्रष्टाचार और वसूली के कारण ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं। नगर पालिका और संबंधित विभागों को सख्ती से इन गतिविधियों की जांच करनी चाहिए। समाधान की आवश्यकता है,जिला प्रशासन को अवैध प्लाटिंग में शामिल सभी भू-माफियाओं की पहचान कर उनकी संपत्तियों की जांच करनी चाहिए। इसके साथ ही, अवैध रजिस्ट्रियों और राजस्व चोरी की भरपाई के लिए कड़ी कार्रवाई करनी होगी।
कौशांबी में अवैध प्लाटिंग की समस्या पर शीघ्र कार्रवाई न की गई तो यह न केवल विकास की गति को बाधित करेगा, बल्कि भविष्य में गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्याएं भी खड़ी करेगा।