कौशाम्बी में भाजपा की तीनों सीट पर हार ने खड़े किए कई सवाल, जिले मे पार्टी की छवि में आई गिरावट और प्रशासनिक अधिकारियों के कार्य से जनता की असंतुष्टि प्रमुख
👉 कौशांबी में भाजपा की हार और प्रशासनिक चुनौतियाँ
कौशाम्बी । जिले में पिछले विधानसभा 2022 के चुनाव में भाजपा की हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 2017 के चुनाव में जहां भाजपा ने तीनों सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं इस बार उसकी स्थिति पलट गई। यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न है कि आखिर भाजपा, जो योगी सरकार के समर्थन में थी, क्यों हार गई। विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे कई कारक हैं, जिनमें प्रशासनिक स्तर पर गड़बड़ी भी शामिल है।
भाजपा की हार का एक बड़ा कारण स्थानीय स्तर पर पार्टी की छवि में आई गिरावट है। लोगों का मानना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे उन तक नहीं पहुँच रहा है, जिससे वे असंतुष्ट हो गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अमन-चैन और विकास के लिए मेहनत की है, लेकिन उनके आसपास के प्रशासनिक अमले और राजनीतिक संगठन इस प्रयास को कमजोर कर रहे हैं।
जिला प्रशासन, विशेषकर तत्कालीन डीएम सुजीत सिंह और एसपी ब्रिजेश श्रीवास्तव की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं । स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें दलित, पिछड़ों और सामान्य श्रेणी के लोगों के प्रति न्याय नहीं मिल रहा है। इससे भाजपा की छवि धूमिल हो रही है, जबकि योगी सरकार का उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की योजनाएँ पहुँचाना है।
भाजपा के भीतर भी असंतोष का माहौल है। पार्टी के कुछ नेता और कार्यकर्ता मानते हैं कि योगी सरकार की नीतियों का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है, और वे चुनाव में सक्रियता से भाग नहीं ले सके। यदि भाजपा अपनी गलतियों को नहीं पहचानती है, तो आगामी उपचुनाव में भी उसे कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि योगी सरकार ने समय रहते प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान नहीं दिया, तो भाजपा को फिर से मुंह की खानी पड़ सकती है। कौशांबी में मौजूदा प्रशासनिक अधिकारियों की नाकामी और उनकी भाजपा विरोधी गतिविधियों से पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है। यदि योगी आदित्यनाथ ने पुलिस अधिकारियों और अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों में बदलाव नहीं किया, तो आगामी चुनावों में भाजपा के लिए जीत हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
भाजपा की इस स्थिति से यह साफ हो जाता है कि चुनावी राजनीति में केवल लोकप्रियता ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक मशीनरी की दक्षता भी महत्वपूर्ण होती है। अगर सरकार स्थानीय समस्याओं के समाधान में विफल रहती है, तो जनता का विश्वास कम हो जाता है। भाजपा को अपनी छवि को पुनः स्थापित करने के लिए प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान देना होगा।
👉 प्रशासन ने हराया पिछला विधान सभा चुनाव , आखिर तीनों सीट जीतने वाली भाजपा क्यों हारी चुनाव
कौशाम्बी। पिछले विधान सभा चुनाव में योगी सरकार को हराने में अपने ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है । पिछले चुनाव वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में तीनों सीट पर जीत पाने वाली भाजपा आखिरकार वर्ष 2022 का चुनाव क्यों हारी योगी सरकार के लिए यह एक यक्ष प्रश्न है । बता दे कि अपने ही नहीं चाहते थे कि योगी दोबारा मुख्यमंत्री बने, यही वजह रही कि कभी तीनों सीट पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा डिप्टी सीएम के रहते हैं खुद हार गए और दोनों सीट गंवानी पड़ी है । इसके पीछे प्रशासन का हाथ था और आने वाले उपचुनाव में अगर योगी ने ध्यान नहीं दिया तो उनको भी पुराने परिणाम देखना पड़ सकते हैं ।
हिंदू चेहरा बन चुके मुख्यमंत्री योगी चाहते हैं की प्रदेश में अमन चैन कायम रहे ,हर गरीब को शासन से मिलने वाली योजनाओं का लाभ मिले । इस नाते रात दिन मुख्यमंत्री मेहनत कर रहे हैं , पर उनके डीएम एसपी और प्रशासनिक अमला साथ ही साथ उनसे जुड़े उनके संगठन के लोग यह नहीं चाहते हैं कि भाजपा सरकार की छवि बने ,यही वजह है कि तीनों सीट कौशांबी में पाने वाली भाजपा दोबारा तीनों सीट खो दिया है । आने वाले उपचुनाव में यदि समय रहते योगी सरकार ने अपने अलावा प्रशासनिक अमला पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी । मौजूदा समय में बौद्ध राज कौशांबी में जितने भी प्रशासनिक अफसर हैं डीएम को छोड़कर बाकी सब भाजपा सरकार के खिलाफ है । इसके पीछे योगी सरकार को बताने की जरूरत नहीं है, यदि समय रहते पुलिस अफसर का फेर बदल नहीं किया तो बौद्ध राज कौशांबी में निकट भविष्य में सीट पाना तो बहुत दूर की बात है वोट बैंक 50% से भी नीचे घट जाएगा। बता दें कि जिले की व्यवस्था में दलित, पिछड़ों और गरीब जनरल कैटेगरी के लोगों को वर्तमान समय में न्याय नहीं मिल रहा है । यही वजह है कि योगी सरकार की छवि धूमिल हो रही है । हालांकि योगी सरकार समाज के हर अंतिम व्यक्त के लिए काम करना चाहती है लेकिन उनके अपने नहीं चाहते हैं की योगी सरकार की छवि बने ।
योगी सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह जनता के साथ सीधे संवाद स्थापित करे और उनकी समस्याओं का समाधान करे। अगर वह ऐसा नहीं कर पाई, तो आने वाले समय में भाजपा को न केवल चुनावी हार का सामना करना पड़ेगा, बल्कि उसे अपने अस्तित्व को भी बचाने में कठिनाई होगी। इसलिए, यह आवश्यक है कि सरकार अपने प्रशासन को सुधारने और जनता की समस्याओं को सुनने के प्रति गंभीरता से कार्य करे।