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वन रेंजर और बीट सिपाही की मिलीभगत से हो रही हरे फलदार पेड़ों की अवैध कटाई

👉 रेंजर राज कैथवाल के कारनामों की कब होगी जांच, 3 दिन पहले उरई में कटवाया 8 हरे पेड़, 10 दिन पहले चरवा में कटवाया दर्जनों शीशम के पेड़ 

👉 अवैध कमाई कर बनाई करोड़ों की आय से अधिक संपत्ति, 30 हजार रुपए प्रति माह आरा मशीन वालो से बंधा है महीना 

👉 अपने मातहत कर्मचारियों से करता है बत्तमीजी से बात और गाली गलौज, हरियाली चट कर रहा है चोरों का सरदार , रात दिन वसूली में है जुटा 

कौशांबी । जिले के करारी थाना क्षेत्र के गुवारा में वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से हरे-भरे पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां के भट्ठा के पास लकड़ी माफिया, वन रेंजर और बीट सिपाही के सहयोग से दो विशाल हरे फलदार गुलर के पेड़ काटे गए हैं। यह घटना सिर्फ एक उदाहरण है, जिले में हर दिन इसी तरह से हरे पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है, जो पर्यावरण के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। रेंजर राज कैथवाल खुलेआम पैसे लेकर हरे पेड़ कटवाता है और अभी 3 दिन में रात में उरई मे 8 महुआ के पेड़ काट दिया गया और 10 दिन पहले दर्जनों शीशम के पेड़ कटवा दिया है जिसमें लाखो रुपए वसूलने की चर्चा सरेआम है।

जिले में हरे पेड़ों की कटाई का सिलसिला लगातार जारी है, जिससे इलाके के पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है। डीएम के कई बार सख्त आदेशों के बावजूद वन विभाग और हल्का पुलिस की इस तरह की सांठगांठ सवालों के घेरे में है। हरे पेड़ों की संख्या तेजी से घट रही है, और यह समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है, जिससे स्थानीय लोग और पर्यावरणविद दोनों चिंतित हैं।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि रेंजर राज कैथवाल की भूमिका भी इस अवैध कटाई में शामिल है। कैथवाल पर आरोप है कि वह पेड़ों की कटाई के लिए माफियाओं से पैसे लेकर उन्हें संरक्षण प्रदान करते हैं, और इसी के चलते इलाके में हरे-भरे पेड़ों की कटाई रुकने का नाम नहीं ले रही। डीएम के आदेशों को खुलेआम नजरअंदाज किया जा रहा है, और उच्च अधिकारी भी ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठा रहे हैं। इस स्थिति ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जिले के मंझनपुर और चायल में तेजी से घटती हरे पेड़ों की संख्या पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से न केवल वन क्षेत्र सिमट रहा है, बल्कि जलवायु संतुलन पर भी असर पड़ रहा है। फलदार पेड़, जो पर्यावरण के साथ-साथ स्थानीय वन्यजीवन और लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, उन्हें बेधड़क काटा जा रहा है। यह स्थिति स्थानीय समुदाय के लिए भी हानिकारक है, क्योंकि ये पेड़ न केवल फल और छाया देते हैं, बल्कि भू-क्षरण को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि उच्च अधिकारी इस अवैध कटाई को रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रहे हैं। वन विभाग और पुलिस के भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? इस तरह के मामलों में प्रभावी कार्यवाही न होने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है, और पर्यावरण का नुकसान भी बढ़ता जा रहा है। लोगों ने मांग की है कि डीएम और उच्च अधिकारी इस मामले में त्वरित कार्रवाई करें और इस सांठगांठ को खत्म करें ताकि जिले में हरे पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जा सके।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो जिले के वन क्षेत्र को भारी नुकसान होगा। वे उच्च अधिकारियों से अपील कर रहे हैं कि वन रेंजर राज कैथवाल  की गहराई से जांच कराई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। यह जरूरी है कि प्रशासन इस मामले में कड़ा कदम उठाए, ताकि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सकारात्मक बदलाव आ सके।

अमरनाथ झा पत्रकार – 9415254415

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