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रेलवे के कानपुर में फैला भ्रष्टचार, सीनियर डीसीएम ने सुरु की मनमानी , जातिवाद को मिला बढ़ावा, बना चर्चा का विषय,डिप्टी सीटीएम कानपुर बने मूकदर्शक, ठेंगे पर हैं नियम कानून

👉 सीनियर डीसीएम नई पदोन्नति ग्रहण करने के बाद सुरु की एक वर्गीय कार्यवाही । कानपुर से इलाहाबाद तक ऐसा ही है हाल ।

👉 एसीएम त्रिपाठी का ऑर्डर किया निरस्त और पुनः कानपुर एसीएम के पद पर किया पदासीन ।
कानपुर सेंट्रल पर डिप्टी सीआईटी लाइन में विजय शंकर तिवारी को किया पदासीन । डिप्टी सीआईटी प्रशासन स्टेशन पर रोमित चतुर्वेदी को किया पदासिन ।
👉 स्टेशन अधीक्षक कानपुर सेंट्रल पर सबसे जूनियर कर्मचारी त्रिवेदी को किया पदासीन । सताब्दी जैसी प्रियम गाड़ियों में एक ही वर्ग के लोगो को रोस्टर मे किया नामित ।

👉 डिप्टी सीटीएम कानपुर बने हैं मुख दर्शक और एसीएम कानपुर त्रिपाठी को वापस बुलाकर बना दिया है हीरो ।

प्रयागराज । सीनियर डीसीएम द्वारा पदोन्नति ग्रहण करने के बाद कानपुर सेंट्रल पर शुरू की गई एकपक्षीय कार्यवाहियां विवादों के घेरे में हैं। एसीएम त्रिपाठी का आदेश रद्द कर उन्हें पुनः कानपुर में एसीएम के पद पर नियुक्त किया गया। इसके साथ ही डिप्टी सीआईटी लाइन में विजय शंकर तिवारी को और डिप्टी सीआईटी प्रशासन में रोमित चतुर्वेदी को पदासीन किया गया। सबसे चौंकाने वाला निर्णय स्टेशन अधीक्षक के पद पर सबसे जूनियर कर्मचारी त्रिवेदी की नियुक्ति थी। सताब्दी और अन्य प्रमुख ट्रेनों के रोस्टर में एक ही पक्ष के लोगों को नामित करने की बात भी सामने आई है, जिससे रेलवे स्टाफ के अन्य वर्गों में गहरी नाराजगी फैल रही है।

डिप्टी सीटीएम कानपुर के रूप में मुखदर्शन की नियुक्ति और एसीएम त्रिपाठी की वापसी ने रेलवे एनसीआर के कर्मचारियों और अधिकारियों में असंतोष को और बढ़ा दिया है। आलोचकों का कहना है कि कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने रेलवे की मलाईदार पोस्टों पर कब्जा जमाकर व्यापक गड़बड़ियां फैलाई हैं। नियम और कानूनों की अनदेखी करते हुए वर्षों से एक ही स्थान पर जमे लोग बार-बार उन्हीं पदों पर लौट रहे हैं, जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इससे ईमानदार और पहुंच से दूर कर्मचारी हाशिये पर धकेल दिए जा रहे हैं।

विशेष रूप से विजिलेंस विभाग की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। यह विभाग उन पर कार्रवाई करता है जिनके पास कोई राजनीतिक या उच्च स्तरीय संरक्षण नहीं होता, जबकि प्रभावशाली लोग बचते रहते हैं। मण्डल कार्यालय द्वारा हाल ही में जारी ट्रांसफर पोस्टिंग सूची में पक्षपात खुलकर सामने आया है। 20 वर्षों से एक ही स्थान पर बैठे अधिकारियों का ट्रांसफर न होने से यह साफ जाहिर होता है कि कुछ चुनिंदा लोग व्यवस्था पर हावी हो गए हैं।

कानपुर में मुख्य कार्यालय अधीक्षक (वाणिज्य) ओमप्रकाश लंबे समय से एक ही कुर्सी पर बने हुए हैं। आरोप हैं कि वह स्टेशन पर अवैध वसूली, स्टॉल, पार्सल, माल गोदाम और खाद्य पदार्थों की बिक्री से जुड़ी गड़बड़ियों का नेतृत्व कर रहे हैं। स्टेशन पर बिक रहे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बेहद खराब है, जिससे यात्रियों को फूड प्वाइजनिंग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सीएमआई और सीएचआई की मिलीभगत से यह अवैध धंधा फल-फूल रहा है और इसमें लाखों-करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की जा रही है। प्रयागराज, मिर्जापुर, कानपुर से लेकर अलीगढ़ तक यह गड़बड़ियां फैली हुई हैं।

रेल मंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी मिलकर एक संगठित रेकेट चला रहे हैं। एनसीआर में 20-20 वर्षों से एक ही पद पर जमे लोगों को लगातार मलाईदार पदों पर बैठाकर अवैध वसूली का खेल चल रहा है। इसे रोकने के लिए किसी विशेष स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की आवश्यकता है ताकि भ्रष्टाचार की जड़ें खत्म की जा सकें और एनसीआर क्षेत्र को इस दलदल से मुक्त किया जा सके।

यदि इस पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो रेलवे की कार्यप्रणाली और उसकी छवि दोनों ही गंभीर संकट में आ जाएंगी। जनता की सेवा के लिए स्थापित यह प्रणाली भ्रष्टाचार के चलते अपनी मूल भावना से भटक रही है, और इससे ईमानदार कर्मचारियों और यात्रियों का विश्वास टूट रहा है।

अमरनाथ झा पत्रकार – 9415254415

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