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दोष एआरटीओ का- सजा मिली आरआई को, अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर हो रहा कार्य, चित्रकूट में बच्चों से भरी स्कूल बस का मामला

👉गलती किया एआरटीओ और सजा मिली निर्दोष आरआई को, आरआई किया गया निलम्बित ,बच्चों से भरी स्कूल बसों को सीज करने का मामला ।

👉 प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मामले को लिया संज्ञान , हुई कार्यवाही ,

चित्रकूट । जिले में एआरटीओ का कारनामा चर्चा में बना हुआ है । बता दें कि एआरटीओ में बच्चों से भरी 2 बस को जांच के नाम पर कई किलो मीटर ले जाकर खड़ी कर दिया है। जब इस मामले की जानकारी सीएम आदित्यनाथ को हुई कि एआरटीओ विवेक शुक्ला के श्रीजी इंटरनेशनल स्कूल की सैकडों बच्चों से भरी दो बस जांच के नाम पर 10 कि0मी दूर पुलिस लाइन ले जाकर खड़ी कर दिया जिससे बच्चो के अभिभावक परेशान हैं। इस बात की जानकारी होते ही उन्होंने तत्काल प्रभाव से आरआई गुलाबचन्द्र को निलम्बित करने के आदेश जिलाधिकारी को दिये और एआरटीओ पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिये हैं।

बता दें कि मंगलवार को एआरटीओ प्रवर्तन विवेक शुक्ला ने श्रीजी इंटरनेशनल स्कूल की सैकडों बच्चों से भरी दो बसों को पूर्वान्ह सवा 11 बजे सीजकर दिया है । सीज के बाद 10 कि0मी दूरी पुलिस लाइन में ले जाकर खडा करा दिया है । इन बसों को सुविधा शुल्क लेने के बाद एक बजकर पांच मिनट पर दोनो बस को छोड दिया है । इस मामले की जैसे ही प्रदेश सरकार के मुखिया को जानकारी हुई कि बच्चों से भरी बसों को ले जाने का खिलवाड एआरटीओ ने किया है ।  उन्होंने आरआई गुलाबचन्द्र को निलम्बित करने के आदेश डीएम को दिये। डीएम के आदेश पर आरआई निलम्बित हो गये हैं, जबकि आरआई का कोई दोष नहीं है ।इस मामले में एआरटीओ विवेक शुक्ला ही पूरी तरह से दोषी हैं, उन्हें बसों की फिटनेस आदि की जांच करना था तो वह स्कूल जाकर जांच कर सकते थे। रास्ते में बच्चों से भरी बसों की जांच व पुलिस लाइन ले जाने की क्या जरूरत थी। बच्चों के समय से घर न पहुंचने पर अभिभावक खासे परेशान हो गये। कुछ अभिभावक जिलाधिकारी के पास पहुंच गये। अभिभावकों को चिन्ता होने लगी कि बच्चे कहां गये। एआरटीओ प्रवर्तन की इस घोर लापरवाही का खामियाजा आरआई गुलाबचन्द्र को भुगतना पडा, जबकि एआरटीओ पर सिर्फ अनुशासनात्मक कार्यवाही हुई है। इस मामले में पूरी तरह से दोषी एआरटीओ विवेक शुक्ला हैं। आरआई तो आफिस का कार्य देखते हैं। उनसे फील्ड वर्क से कोई वास्ता नहीं है। शासन-प्रशासन को एआरटीओ के खिलाफ ही कडी कार्यवाही करनी चाहिए, ताकि दुबारा कोई स्कूल बसों में बच्चों के बैठे रहने पर कार्यवाही न कर सके। इस बारे में एआरटीओ विवेक शुक्ला का पक्ष जानने को फोन लगाया, उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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