संगम माघ मेला में अधिकारियो और ठेकेदारों की होती बल्ले बल्ले, संस्थाओं के खेल भी होते हैं अजब निराले, अरबों रुपए मेले में होता है सरकारी खर्च, करोड़ों का होता है घोटाला
👉 माघ मेले में होता है करोड़ो का घोटाला, कभी नही होती है इसकी जांच , सुविधाओ में भी होता है बड़ा खेल, इसे रोक पाने में जिम्मेदार फेल।
प्रयागराज। संगम नगरी जहां धर्म कर्म का क्षेत्र है और प्रत्येक वर्ष यहां माघ मेला लगता है। लोग देश विदेश से धर्मार्थ कार्य के लिए यहां आते हैं और माघ मेला में संस्थाओं के नाम पर जमीन लेकर महीनों डेरा डालते हैं । इसके लिए सुविधा देने के नाम सरकार अरबों रूपए हर वर्ष खर्च कर रही है , वही कुछ सुविधाओ को बांटने वाले अधिकारी और ठेकेदार तथा संस्था के लोग भी इसे कमाई का जरिया बना रखे हैं। जहां एक तरफ देखा जा रहा है कि कुछ लोग मेले में जमीन पाने के लिए अधिकारियो और कार्यालयों में चक्कर लगा रहे हैं,उनको प्रार्थना पत्र देने के बाद पता ही नहीं चल रहा है।
इसी तरह देखा जाए तो संगम में सेक्टर 5 में ओल्ड जीटी रोड पुल नम्बर 5 की तरफ पैसा लेकर जमीन आवंटन करने की बात सामने आई है और लोगो को स्नान करने के लिए गंगा तट पर जगह भी नहीं छोड़ रहे हैं। इसी तरह स्नार्थी लोग एक से डेढ़ किलो मीटर दूर पैदल चलकर स्नान करने जाते है ,जबकि पास मे घाट है लेकिन अभी तक उसे बनाया नही गया है । गंगा तट से देखा जाए तो लगभग 70- 80 मीटर की दूरी पर जमीन काट दिया गया है जबकि और स्नान घाट भी नही बनाया गया है। इस सेक्टर में बसीं अब तक संसथाओं के बारे में जब केके शुक्ला सेक्टर सुपरवाइजर से बात हुई तो उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 1000 संस्थाओं को जमीन सेक्टर में मिल चुकी है।
मजेदार बात तो यह है कि गंगा में ठीकेदारो द्वारा जहां कटान नही है वहां भी कैरेट लगाया जाता है। सूत्रों की मानें तो मेले में गड़बड़ झाला भी खूब चल रहा है, जहा एक कैरेट लगाया जाता है तो वहां एक के बदले में 10 कैरेट की गिनती की जाती है। लोगों की बात माने तो 10 कैरेट मे 3 कैरेट का पैसा ठेकेदार से अधिकारी कमीसनखोरी में खाता है । इसी तरह लेबरो की कमी बताकर एक लेबर पर दस लेबर ठेकेदार लिखकर लूट मचा रखे हैं और अधिकारी इसलिए ध्यान नही देते हैं क्योंकि उनको भी 10 मजदूरों मे से 3 मजदूरों का कमीशन दिया जाता है । इस तरह से देखा जाए तो सेक्टर 5 से लेकर कई सेक्टरों में लूट जारी है। लोगो की मानें तो अभी तक बहुत से लोगो को जमीन नहीं दी गई है और जिनको दिया गया है उन लोगों से पैसे भी लेकर जमीन दिए गए हैं। बता दे कि अधिकतर सांसथाओ मे धर्मार्थ कार्य न करके कमाई का साधन बना लेते हैं जिसकी कभी भी कोई अधिकारियो द्वारा जॉच नही की जाती है।
सूत्रों की मानें तो ज्यादातर संसथाओ को भी जो जमीनें फ्री दी जाती है और सरकारी सुविधाएं दी जाती है उनमें भी बड़ा खेल होता है। अधिकतर संस्था वाले लोग भी अपने यहां लगवाए गए सुविधाओ को यात्रियों को पैसा लेकर बांटते है जो कमाई का जरिया बना रखा है और इस तरफ कभी किसी का ध्यान नहीं जाता है ।
अमरनाथ झा पत्रकार, 9415254415 , 8318977396