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कोखराज पुलिस ने कानून का बनाया मजाक,6 दिन बाद एक युवक को गांजा लगाकर किया चालान, क्या थाने में होती है गांजा की खेती, कहां से आया आखिर गांजा, तस्करों से है कोखराज पुलिस के संबंध, जांच का विषय है

👉 थाना प्रभारी की अजब तानाशाही ,जातीय मानसिकता से किया नाबालिक लड़को को प्रताड़ित, 5 दिन तक दी यातनाएं , बेगुनाह बंद लड़कों के परिजनों में से दर्जनों महिलाएं रात दिन 24 घंटा थाने के बाहर रही भूखों प्यासे पड़ी ,इस बात के थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज है गवाह।

👉 आईजी ,एडीजी के कानून का पढ़ाया गया पाठ भी इनके समझ से है बाहर, पुलिसिया तांडव करने से बाज नही आ रहे कोखराज थाना प्रभारी,नही होता सीआरपीसी 41 का अनुपालन क्यों , खुलेआम हुआ मानवाधिकार का उलंघन…
👉 1 अगस्त को 100 no पुलिस रणविजय सिंह ने फोन करके था बुलाया, बिफई पासी को उठा लाई पुलिस और 6 दिन बाद किया 1 किलो 300 ग्राम गांजा लगाकर चालान। 5 दिन तक हवालात मे भूखे प्यासे प्रताड़ित हुए कई निर्दोष लडके…. 
👉 क्या थाने में होती है गांजा की खेती,आखिर कहां से आया गांजा, मोबाईल छिनैती के मामले में 5 लडको को घर से उठाई थी पुलिस ।
👉 रोज रात में जानवरों की तरह लाकअप से निकाल कर जातीय मानसिकता से पीटती थी पुलिस ,और जब कोई नही मिला अपराध तो 4 को चार दिन बाद छोड़ 1 को झूठा मुकदमा बनाकर गांजा के आरोप में 5 अगस्त को चालान किया पुलिस। 
👉 आखिर कहां से आया गांजा, क्या थाने में होती है गांजा की खेती,क्या तभी तो इलाके में गांजा बिकवाती है कोखराज पुलिस ,इस मामले क्या एसपी कराएंगे जानकर कारवाही, बड़ा सवाल 
👉 गांव से लेकर थाने तक दिखा दलित उत्पीड़न का मामला,जांच का है विषय, कानून का मनमाना दुरुपयोग कर रही कौशांबी पुलिस, वृद्ध पीड़िता ने दिया एसपी के यहां शिकायत पत्र, क्या होगी निष्पक्ष जांच बड़ा सवाल….
👉 कोखराज थाने में थाना प्रभारी एवं अंडर ट्रेनिंग सीओ अवधेश विश्वकर्मा की मनमानी, कानून का खुलेआम उड़ाई धज्जियां , 5 दिन बंद रखने के के पहले क्यों नहीं दी गई मजिस्ट्रेट को सूचना, पुलिस खुल्लम-खुल्ला उडाती है कानून की धज्जियां ,अधिकारी क्यों रहते है मौन,जनता के रखवाले कानून के रक्षक ही बने भक्षक…
👉 आम आदमी का है यह अधिकार कि पुलिस यदि 24 घंटे से ज्यादा किसी को हिरासत मे रखती है तो व्यक्ति को माननीय उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका करने का अधिकार है।
कौशांबी जनपद की पुलिस निरंकुश हो गई है ,जिसे चाहे जब पकड़ लाए जितना दिन जब तक इच्छा उसकी करे उतना दिन तक थाने में बंद कर पिटाई करें और जब चाहे तब दलालों के इसारे पर उसे छोड़ दें, यह सिलसिला जिले में खासकर कोखराज पुलिस के लिए आम बात हो गई है ।  यदि कोई अपराध नहीं साबित हुआ तो मनमाना गांजा लगाकर जिसको चाहे जेल भेज दें , यह कौशांबी जनपद की कोखराज थाना पुलिस का कारनामा है ।
 इस जनपद के पुलिस अधीक्षक ईमानदार हेमराज मीणा है जिनके ईमानदारी की के चर्चे होते हैं लेकिन इसी जनपद में कोखराज पुलिस जब लोगों को पीट-पीटकर थक जाती है और कोई अपराध में नहीं पाती है तो उन पर 1 किलो से ज्यादा गांजा लगा कर जेल भेज देती है । दिनांक 1 अगस्त को सोमवार के दिन एक बीफाई नामक लड़के को नौढिया गांव से हंड्रेड डायल पुलिस उठा लाती है । फिर रात में जाकर चार अन्य लड़कों को उसी गांव से 3 नाबालिग लड़के सहित चार लोगों को पुलिस रात में उठा लाती है । पुलिस उनको लाकर हवालात में 5 दिन तक रखती है और रोज रात में निकाल कर जानवरों की तरह उनकी पिटाई करती है, उनको जबरन मोबाइल चोरी का अपराध स्वीकार करने के लिए टॉर्चर करती हैं । 1 अगस्त से लाए गए तीन लोगों को पुलिस छोड़ देती है । नाबालिग अजय ,सोनू को दिनांक 3 अगस्त को रात लगभग 9:00 बजे सुपुर्दगी में छोड़ देती है ।
इसी तरह दिनांक 4 अगस्त को लगभग 11:00 बजे दिन में आकाश नामक लड़के को भी सुपुर्दगी में छोड़ देती है और 5 अगस्त को शाम राहुल नामक लड़के को पुलिस छोड़ देती है लेकिन विफई नामक लड़के को 6 अगस्त को 2 बजे के बाद पुलिस गांजा लगाकर न्यायालय चालान कर देती है ।
अब सवाल यह उठता है कि अगर उपरोक्त लोग दोषी थे तो पुलिस 24 घंटे से ज्यादा उनको थाने में क्यों बंद कर रखी और 6 दिन बाद गांजा लगाकर 1 किलो से ज्यादा गांजा लगाकर चालान कर दिया तो आखिर यह गांजा कहां से आया । क्या थाने में गांजा की खेती होती है या गांजा तस्करों से पुलिस की सीधे संबंध है । यदि ऐसा है तो इसका मतलब है कि पुलिस ही इलाके में गांजा बिक जाती है गाजा माफियाओं के इनके संबंध है और यह सब उस कोखराज थाना क्षेत्र में हो रहा है जहां के थाना प्रभारी एवं अंडर ट्रेनिंग सीओ अवधेश विश्वकर्मा है ।
जिनके नेतृत्व में इस तरह का कानून का मजाक उड़ाया जा रहा है और यही वजह है कि पुलिस विभाग पर सवालिया निशान लग रहा है । क्या इस मामले में कहीं न कहीं घृणित मानसिकता रखते हुए पासी समाज के लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाने और जेल में भेजने की मानसिकता नहीं दिख रही है । यह सीधे तौर पर दलित उत्पीड़न की मानसिकता से 6 दिन तक अनुसूचित जाति के लड़कों को थाने मे रखकर बेरहमी से पीटा गया और उनको फर्जी तरह से मुकदमा लिख कर जेल भेजने की प्लानिंग थी ।
सूत्रों की माने तो इन लड़कों को फसाने के पीछे गांव का ही एक दलाल लगा हुआ था जिसने हंड्रेड डायल पुलिस को फोन की और पुलिस को कहकर उनको रात में अन्य लड़कों को उठाया था इसकी जांच होना जरूरी है कि क्या अब दलालों के इशारे पर पुलिस काम कर रही है जिसको दलाल चाहे उसको उठा दें और जब वह कहे तब छोड़ें दे,तब तो कानून का पुलिस ने मजाक बनाकर रख दिया है । अब तो ऐसा लगता है कि क्या उनका अपना कोई बुद्धि विवेक काम नहीं कर रहा है, क्या सिर्फ दलाल के इसारे पर ही थाना चला रहे हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा है । लेकिन कहीं ना कहीं पुलिस को दबाव में कुछ लोगों को छोड़कर एक लड़के पर 1 किलो 300 ग्राम गांजा लगाकर अ0 संख्या 482/22 धारा 8/20 मे चालान कर ही दिया , क्यों ना पुलिस की कार्यप्रणाली पर समाज में सवाल उठे ? यही सब कारण है कि पुलिस पर से जनता का विश्वास उठता जा रहा है क्योंकि पुलिस जिसको चाहे उसको फंसा दे, जिसको चाहे छोड़ दे यह आम बात है । एक कहावत है कि पुलिस लत्ता को सांप और सांप को लत्ता बनाने में माहिर है और गरीबों को न्याय देने की बजाय पुलिस ही उन पर झूठे मुकदमे लाद कर जेल भेजने का काम कर रही है । क्या इस मामले में उच्च अधिकारियों द्वारा जांच होगी और झूठा मुकदमा लिख कर गांजा लगाकर चालान करने वालो पर क्या कार्रवाई होगी यह एक बड़ा सवाल है ।  यदि गांजा बिफई पासी के पास था तो हंड्रेड डायल पुलिस से जॉच हो, 6 दिन तक उसको थाने में क्यों बंद करके रखा गया ,उसको गांजा में 6 दिन रखने के बाद चालान क्यों हुआ ? चार अन्य लड़कों को उठाकर क्यों लाया गया, यह सब जांच का विषय है । अब देखना है कि पुलिस विभाग के अधिकारी इस मामले में जांच कर कोई कार्रवाई करते हैं या फिर सबकुछ अंधेर नगरी चौपट राजा की तरह जनपद में चलता रहेगा यह एक बड़ा सवाल है ।
इस प्रकरण को 5 अगस्त को उच्च अधिकारियों को ट्विटर के माध्यम से भी जानकारी दी गई थी जिस पर कौशांबी पुलिस ने उच्च अधिकारियों को यह जवाब दिया था कि मोबाइल चोरी के मामले में लड़कों को लाया गया था जिनको सुपुर्दगी में छोड़ दिया गया है । यह बात भी कोखराज पुलिस झूठ रिपोर्ट देकर ऊपर बैठे उच्च अधिकारियों को गुमराह करते हैं । ऐसे में कैसे पुलिस के प्रति आम जनता में स्वच्छ मानसिकता बैठेगी और पुलिस से न्याय की उम्मीद जनता कैसे करेगी यह एक उच्च अधिकारियों के लिए बहुत बड़ा सवालिया निशान है । देखा जाए तो पुलिस अपने फायदे के लिए किसी को भी बंद करती है और छोड़ देती है । जिन मामले में पुलिस की जेब गर्म होती है उसे छोड़ दिया जाता है और जिन मामलों में पुलिस की जेब गर्म नहीं हो पाती है उनको फर्जी मुकदमे लिख कर जेल भेज दिया जाता है ,ऐसे तमाम मामले देखे जा सकते हैं ।
पुलिस सीआरपीसी की धारा 41 का भी पालन नहीं करती है । जिससे जब जी चाहे जिसको उठा लाए ,जितने दिन चाहे बंद रखें और जब इनका मन चाहे जो भी आरोप लगाकर चालान कर दे । कौशांबी पुलिस ने तो कानून का मजाक बना कर रखा है ,एक तरह से यह कहा जाए कि कानून को अपनी जेब में रखा है , इनका जब जी चाहे – जैसा चाहे इस्तेमाल करें, तो यह कहना कहीं गलत नहीं होगा ।

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