डिप्टी सीएम कि फर्जी मार्कशीट मामले में एसीजेएम कोर्ट से अर्जी हुई खारिज, डिप्टी सीएम को मिली कुछ दिनों के लिए राहत, अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे दिवाकर नाथ त्रिपाठी, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक नही छोड़ेंगे डिप्टी सीएम का पीछा
कौशांबी ।
👉 यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को फिलहाल कुछ दिनों के लिए मिली बड़ी राहत ।
👉 फर्जी डिग्री मामले में दाखिल हुई थी प्रयागराज के एसीजेएम कोर्ट नंबर 17 में अर्जी ।
👉एसीजीएम नम्रता सिंह ने अर्जी को किया खारिज ।
👉 अर्जी में लगाई गई थी रूलि़ंंग प्रियंका श्रीवास्तव बनाम यूपी स्टेट मा0 सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग ,सुनाई में 7 दिन से ज्यादा दरोगा को नहीं देना चाहिए था समय,लेकिन 25 दिन का दिया समय ।
( मा0 सुप्रीम कोर्ट की दूसरी रूलिंग रामबाबू गुप्ता बनाम स्टेट में कंप्लेंन दर्ज करने का आदेश हुआ था लेकिन इस मामले को कर दिया गया खारिज, बिना किसी आधार के ,यही वजह है कि अब हाईकोर्ट का खटाखटाएंगे दरवाजा )
👉 लोगों की जुबान पर बना है चर्चा का विषय, आखिर क्यों नहीं डिप्टी सीएम मीडिया से मुखातिब होकर इन सभी मामलों में दे रहे बयान, ताकि इन मामलो पर लोगों की जुबान पर लग सके ताला..
👉 जल्द ही उठ सकती है डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के मिनिस्टर बनने के मामलों पर संवैधानिक सवाल, मंत्री बनने की योग्यता सदस्य होना है जरूरी ।
👉 इन सब मामलों में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में 11 फरवरी 2020 को एक जनहित याचिका है अमरनाथ झा द्वारा दाखिल
कौशांबी । डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की शैक्षिक डिग्री एवं कौशांबी के कसिया में स्थित पेट्रोल पंप लाइसेंस लेने के मामले में दाखिल अर्जी को एसीजीएम ने खारिज कर दीया है ।
बता दें कि प्रयागराज के आरटीआई एक्टिविस्ट एवं भाजपा के पदाधिकारी दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के शैक्षिक डिग्री पर सवाल उठाते हुए प्रयागराज की ऐसीजीएम कोर्ट नंबर 17 में अर्जी दाखिल किया था । इस अर्जी पर 27 अगस्त को बहस होने के बाद 1 सितंबर को फैसला रिजर्व कर लिया गया था और 4 सितंबर को फैसला सुनाने की तारीख की नियत कर दी गई । 4 सितंबर को डिप्टी सीएम के फर्जी डिग्री के मामले में ऐसीजीएम नम्रता सिंह ने दिवाकर नाथ त्रिपाठी की अर्जी को खारिज कर दिया है । इससे कुछ दिनों के लिए फिलहाल डिप्टी सीएम को राहत की सांस मिल गई है लेकिन दिवाकर नाथ त्रिपाठी जल्द ही हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे । उन्होंने कहा कि वह हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर जाएंगे और जरूरत पड़ी तो डिप्टी सीएम के इस डिग्री के मामले को वह मा0 सुप्रीम कोर्ट तक पीछा नहीं छोड़ेंगे । फिलहाल अभी डिप्टी सीएम को इस मामले से राहत मिल गई हैं । लेकिन इन पर लगे आय से अधिक संपत्ति ,फर्जी मार्कशीट ,पेट्रोल पंप में दिए गए हलफनामा और दिल्ली में खरीदे गए लोटियंस जोन में आवास का मामला तूल पकड़ता जा रहा है ।
चर्चाओं पर जाए तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू से विधायक बने, उसके बाद फूलपुर से सांसद रहे और वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम है । इनकी शैक्षिक डिग्री के बारे में बताया गया है कि यह हिंदी साहित्य सम्मेलन से प्रथमा और द्वितीया किए हैं ,जिसमें प्रथमा की मार्कशीट के अनुक्रमांक में किसी लड़की का नाम अंकित है ।
इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि पेट्रोल पंप का जो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने लाइसेंस लिया है, उसमें उन्होंने एक हलफनामा भी दिया है कि वह अन्य सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं लेंगे । इन्होंने विधायक, सांसद और डिप्टी सीएम बनने के बाद सरकारी सुविधाओं का लाभ लिया है जो असंवैधानिक है और यह उच्च एजेंसी के द्वारा जांच का विषय है । फिलहाल इस मामले में अब लोकायुक्त से शिकायत कर डिप्टी सीएम द्वारा लिए गए लाभ की रिकवरी करने हेतु एवं मुकदमा लिखकर जांच करने की कार्रवाई की मांग उठने लगी है ।
बता दे कि जहां एक तरफ डिप्टी सीएम के इन सब मामलों की खबर लिखने पर पत्रकार अमरनथ झा के ऊपर डिप्टी सीएम के गुर्गो द्वारा प्रयागराज के थाना करैली में रिपोर्ट दर्ज करा दी जाती है । वहीं डिप्टी सीएम पर इतने गंभीर आरोप लगने के बावजूद भी रिपोर्ट नहीं दर्ज की जाती है । यह मामला लोगों की जुबान पर चर्चा का विषय बना हुआ है ।
देखा जाए तो भारतीय संविधान के मुताबिक यह पूरा देश चल रहा है लेकिन मंत्रीगणों द्वारा दोहरी शक्ति हासिल कर संसदीय शासन प्रणाली के तहत शासन चलाया जा रहा है । यही वजह है कि भ्रष्टाचार दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है । इन मिनिस्ट्रो द्वारा केंद्र मे आर्टिकल 74, 75, 88 और आर्टिकल 100, 101 और 102 का तथा राज्यों में आर्टिकल 163, 164 ,177 और 189, 190, 191 खुलेआम संवैधानिक उल्लंघन किया जा रहा है । मिनिस्टरों को किसी भी बिल पर वोटिंग करने का अधिकार नहीं है लेकिन यह लोग वोटिंग करते हैं जो असंवैधानिक है । जितने भी मिनिस्टर हैं वो चाहे केंद्र में हो या किसी भी प्रदेश में हो, मिस्टरों की नियुक्ति होती है और नियुक्ति होने के बाद उन सभी मंत्रियों की सीट खाली कराकर उपचुनाव होना चाहिए । उपचुनाव के माध्यम से मिनिस्टर की खाली हुई सीट पर चुनाव कराकर हाउस के कोरम को पूरा करना चाहिए लेकिन यह सब नहीं होता है ।
जब तक उपरोक्त दिए गए अनुच्छेदों का पालन नहीं होगा तब तक इस देश में शोषण और भ्रष्टाचार फलता फूलता और बढ़ता रहेगा । यह मिनिस्टरगण वह चाहे आईएएस अधिकारी हो या पीसीएस अधिकारी हो या न्यायपालिका हो सभी को प्रभावित करते रहेंगे । यही वजह है कि जनगणवादी भारत संविधान विदो की एकेडमी के तहत संविधान बहाली आंदोलन चलाकर लोगों को जागरूक कर संविधान के बारे में बताया जा रहा है ताकि जनता अपने कर्तव्यों, अधिकारों और संविधान को जान सके और इन मिनिस्ट्रो की मनमानी पर रोक लगाने के लिए अपनी आवाज उठा सके ।
अमरनाथ झा पत्रकार ।