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इंजीनियरिंग विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, एनसीआर जोन में सुरक्षित नहीं है अधिकारी, एडीईएन आईओडब्ल्यू और ठेकेदार की मिलीभगत से चल रहा है खेल

एनसीआर जोन में सुरक्षित नहीं है अधिकारी, इंजीनियरिंग विभाग के कार्यों की खुली पोल

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👉 नशे की हालत में हुआ था वाद-विवाद ,बाद में मामले को किया गया रफा-दफा

👉  मंडल रेल प्रबंधक ने दिए मामले में जांच के आदेश

 👉 आखिर क्या वजह है की प्लेटफार्म नंबर 4 और 5 मे हो रहा है पत्थरों का खेल, बार-बार लगाए जा रहे हैं तरह-तरह के पत्थर, ठेकेदार और एडीईएन मिलकर कर रहे हैं खेल ।

👉 इन मामलों की कराई जानी चाहिए उच्च स्तरीय जांच, एसएसई हंड्रेड परसेंट से ऊपर करा रहे हैं कार्य, समय पर नहीं कराते हैं पुनः टेंडर ।

प्रयागराज । रेलवे के प्रयागराज मंडल में अधिकारी आजकल स्वयं सुरक्षित नहीं है क्योंकि इंजेनरिंग विभाग द्वारा जिस प्रकार से कार्य कराए जा रहे हैं और जिस तरह से मटेरियल घटिया क्वालिटी का लगाया जा रहा है उससे आए दिन कोई न कोई घटनाएं घट रही हैं । उदाहरण के तौर पर प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 4 और 5 पर जिस तरह से पत्थरों की टूटने के कारण गड्ढों की स्थिति बन गई है और पत्थर टूट गए हैं तथा बार-बार इन प्लेटफार्म के ऊपर तरह-तरह के पत्थर लगाए जा रहे हैं, उसमें कहीं ना कहीं खेल हो रहा है, जो जांच का विषय है । यदि देखा जाए तो एक तरफ पत्थरों को लगाए जाते हैं और दूसरी तरफ स्टेशनों पर पत्थर धंस जा रहे हैं । इतना ही नहीं जरा सी बारिश होती है तो सारे प्लेटफार्म पानी से टपकने लगते हैं और यात्रियों को अपनी जान बचा कर इधर-उधर भागना पड़ता है ।

ऐसे में यात्री गिरते हैं और उनको चोटें भी लगती है जिसको कोई देखने सुनने वाला नहीं है । यह सारा कारनामा एडीईएन और आईओडब्ल्यू तथा ठेकेदार की मिलीभगत से खुल्लम खुल्ला चल रहा है । ठेका 100% पूरा हो जाने के पश्चात भी अतिरिक्त कार्य को कराया जा रहा है और गलत तरीके से भुगतान कराया जा रहा है ,जिसमें रेलवे राजस्व का भारी नुकसान है । यदि इस मामले में जांच कराई गई तो कार्य कराने की तिथि और भुगतान करने की तिथि के अंतर का खुलासा होना तय है क्योंकि एक ही कार्य को कुछ समय के अंतराल में कई कई बार कराया जा रहा है और उसका भुगतान भी कराया जा रहा है । किसी कार्य को कराने के लिए उसकी गुणवत्ता और समय सीमा निर्धारित होती है, इस प्रकार टेंडर नियमों का खुला उल्लंघन इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया जा रहा है, जिसकी जांच आवश्यक है

बता दें कि जहां एक ओर दूसरे विभागों में यात्रा भत्ता पर नियंत्रण लगाया जाता है वही इंजीनियरिंग विभाग में कानपुर, टूंडला से बराबर 20 से 25 दिन चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी प्रयागराज फाइलें लेकर आता है और यात्रा भत्ता प्राप्त करता है । इंजीनियरिंग विभाग के ऊपर इतनी मेहरबानी आखिर क्यों दिखाई जाती है, यह भी जांच का विषय है ।

 

कानपुर की कालोनियां इस तरह से जर्जर और जंगलों में तब्दील हो चुकी है कि देखने लायक है । जोन के पैसे का बंटवारा आखिर कहां किया जाता है और यह पैसा कहां लगाया जाता है आज तक इसको कोई भी जांच करने नहीं गया है । कालोनियों में पीली ईट एक सोलह का मसाला लगाया जा रहा है । एक तरफ काम शुरू करके बनाया जाता है तो दूसरी तरफ 6 माह के अंदर ही पुनः ब्यूटी पार्लर की तरह पैच वर्क किया जाता है । इस तरह से अंधेर नगरी चौपट राजा की तरह सब कुछ चल रहा है और इन सब कार्यों को देखने वाला या जांच करने वाला कोई भी अधिकारी प्रयागराज से कानपुर या टूंडला नहीं जाता है । केवल रेस्ट हाउस में जाकर मौज -मस्ती करके  अधिकारी वापस चला आता है । यदि उच्च अधिकारियों ने कौशांबी वॉइस की खबरों का संज्ञान लिया तो इंजीनियरिंग विभाग के काले कारनामों की पोल खुलना तय है ।

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