कौशांबी में मेडिकल स्टोर और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में चल रही भारी गड़बड़ियाँ, ड्रग इंस्पेक्टर की अनदेखी से बेलगाम हुआ सिस्टम,जिले में मेडीकल स्टोर हुए बेलगाम

👉 कौशाम्बी में दवाओं के नाम पर गोरखधंधा, मरीजों की खुली लूट , मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट,धड़ल्ले से बेची जा रहीं संवेदनशील दवाएं ।
👉 ड्रग इंस्पेक्टर की चुप्पी पर उठे सवाल, नियमित जांच नदारद ,शेड्यूल H और X दवाएं बिना रिकॉर्ड, बिना रसीद के बिक रहीं दवाएं
👉 मैरोपिनम इंजेक्शन की खुलेआम अवैध बिक्री, 3000 से 3500 होती है वसूली ,प्रशासन मौन, मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़, जनता ने की सख्त कार्रवाई की मांग
कौशाम्बी । जिले में दवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर चल रहे व्यापार में भारी अनियमितताएं उजागर हो रही हैं। मेडिकल स्टोर और निजी हॉस्पिटल्स में मरीजों के साथ खुला शोषण किया जा रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।
बता दे कि मरीजों से दवाओं के वास्तविक मूल्य से कहीं अधिक पैसा वसूला जा रहा है। फार्मासिस्ट के स्थान पर बिना प्रशिक्षण वाले व्यक्ति मेडिकल स्टोर चला रहे हैं और दवाएं बाँट रहे हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो रहे हैं। शेड्यूल H, H1 और X वर्ग की संवेदनशील दवाओं का न तो कोई रिकॉर्ड रखा जा रहा है और न ही उनकी बिक्री पर निगरानी है।
संवेदनशील दवाएं बिना मानक तापमान पर रखी जा रही हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मरीजों को बिल और रसीद देने की प्रक्रिया लगभग समाप्त हो चुकी है, जिससे टैक्स चोरी और दवा की ट्रैकिंग में मुश्किलें आ रही हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर सुनील कुमार की भूमिका इस पूरे मामले में सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गई है। जिले भर में मेडिकल स्टोरों की नियमित जांच नहीं की जा रही है, जिससे इन पर कोई नियंत्रण नहीं है। जिला अस्पताल के आसपास यह गोरखधंधा और भी अधिक सक्रिय है, जहाँ मरीजों की मजबूरी को खुलकर भुनाया जा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल को में चल रहे मेडिकल स्टोर बेलगाम है ।
सबसे गंभीर मामला मैरोपिनम जैसे प्रतिबंधित इंजेक्शन की खुलेआम अवैध बिक्री का है, जिसे बिना डॉक्टर की सलाह के बेचा जा रहा है। एक इंजेक्शन पर 3000 से 3500 रुपया वसूला जा रहा है । यह पूरी गतिविधि न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ भी है।
स्थानीय लोगों और जागरूक नागरिकों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। लेकिन जब तक जिम्मेदार अधिकारी सक्रिय नहीं होंगे, तब तक यह अराजकता यूँ ही फलती-फूलती रहेगी।