कौशांबी और प्रयागराज सरकारी और प्राइवेट आईटीआई संस्थानों में चरम पर,भ्रष्टाचार , कौशल विकास योजनाओं में भी घोटाले
👉 कौशाम्बी: सरकारी व निजी आईटीआई में घोटालों का भंडाफोड़ ,उपकरण खरीद से लेकर संसाधनों के निजी उपयोग तक सवालों के घेरे में प्रधानाचार्य
👉 प्राइवेट आईटीआई में शिक्षा के नाम पर ठगी, छात्रों से अवैध वसूली जारी,कौशल विकास व पीएम विश्वकर्मा योजना में फर्जीवाड़े के आरोप गंभीर
👉 फर्जी नामों पर अनुदान, प्रशिक्षण केवल कागजों पर — युवाओं का भविष्य खतरे में ,स्थानीय लोगों की मांग: निष्पक्ष जांच हो, दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई
कौशाम्बी । जिले के सरकारी और प्राइवेट आईटीआई संस्थानों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जहां सरकारी आईटीआई में उपकरणों की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी और संसाधनों के निजी इस्तेमाल के आरोप लगे हैं, वहीं प्राइवेट आईटीआई संस्थानों में भी छात्रों से अवैध वसूली और फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने की शिकायतें सामने आई हैं। अब कौशल विकास योजनाओं और पीएम विश्वकर्मा योजना में भी घोटाले की बात सामने आ रही है, जिससे युवाओं के भविष्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
सरकारी आईटीआई में अनियमितता के आरोप
सूत्रों के मुताबिक, सिराथू और मंझनपुर स्थित सरकारी आईटीआई में महंगे उपकरणों की खरीद में गड़बड़ी की गई। इसके अलावा, टीवी वाहन, जिसे केवल छात्रों के प्रशिक्षण के लिए उपयोग किया जाना था, सिराथू और मंझनपुर आईटीआई प्रधानाचार्य द्वारा निजी कार्यों के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है।
अगर इन संस्थानों के लेन-देन, बिलिंग और स्टॉक रजिस्टर की जांच कराई जाए, तो बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियां उजागर हो सकती हैं। पूर्व में जॉइंट डायरेक्टर मुकेश यादव ने इस पर संज्ञान लिया था, लेकिन किसी कारणवश जांच को रोक दिया गया, जिससे यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सूत्रों की माने तो सिराथू आईटीआई में संजय, अंकुर और रमेश के इंडेन बुक की जांच कर ली जाएगी तो लाखों रुपए का घटाला निकलना तय है।
प्राइवेट आईटीआई संस्थानों में शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी
जिले में चल रहे प्राइवेट आईटीआई संस्थानों की स्थिति बेहद दयनीय है।
संस्थानों में नियमित कक्षाएं नहीं होतीं, और न ही छात्र प्रशिक्षण लेते हैं।
परीक्षा के समय मोटी रकम लेकर पास कराने का ठेका लिया जाता है।
छात्रों की उपस्थिति कागजों पर दर्ज कराई जाती है, जबकि हकीकत में संस्थान खाली पड़े रहते हैं।
छात्रों और अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि इन संस्थानों का मकसद सिर्फ पैसे वसूलना और प्रमाण पत्र जारी करना है, जिससे रोजगार के अवसर भी प्रभावित हो रहे हैं।
कौशल विकास और पीएम विश्वकर्मा योजना में भी घोटाले के आरोप
सरकार की कौशल विकास योजना और पीएम विश्वकर्मा योजना का मकसद युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, इन योजनाओं का लाभ भी वास्तविक छात्रों को नहीं मिल पा रहा है।
फर्जी नामों से छात्रों का पंजीकरण करा लिया जा रहा सरकारी अनुदान।
प्रशिक्षण के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई की जा रही है, जबकि हकीकत में कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती।
उद्योगों और छोटे व्यवसायों को मिलने वाली मदद भी बिचौलियों और संस्थान संचालकों की जेब में जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इन योजनाओं में हो रहे घोटालों की गहन जांच कराई जाए, तो करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल, निष्पक्ष जांच की मांग
सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहा है, जिससे युवाओं और छात्रों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
स्थानीय नागरिकों, छात्रों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से इन घोटालों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो जिले में तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास योजनाएं पूरी तरह विफल हो सकती हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या ठोस कदम उठाता है, या फिर यह मामला भी पहले की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।