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कौशांबी में अवैध प्लॉटिंग का बढ़ता जाल, प्रशासन मौन , सरकारी भूमि पर कब्जा, तहसील प्रशासन की भूमिका संदिग्ध, नहरों पर अवैध पुल बना रहे भू-माफिया, सिंचाई विभाग निष्क्रिय जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद कार्रवाई अधूरी

👉 भूमि प्लॉटिंग के नियम सख्त, फिर भी जारी अवैध कब्जे, चिन्हित भू-माफियाओं पर कब होगी कड़ी कार्रवाई?

👉 बिना अनुमति के प्लॉटिंग करने वालों पर होगी कानूनी कार्रवाई,अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर, गैंगस्टर एक्ट के तहत होगी कार्रवाई

👉 कौशांबी में अवैध प्लॉटिंग का बढ़ता जाल, प्रशासन की सख्ती जरूरी , प्रशासनिक मिलीभगत से चल रहा खेल । जिला मुख्यालय और समदा सहित पूरे जिले मे धड़ल्ले से हो रही है मानक विहीन प्लाटिंग ।

रिपोर्ट – अमरनाथ झा – 8318977396

कौशांबी । कौशांबी जिले के नगर पालिका परिषद मंझनपुर में अवैध प्लॉटिंग का मामला गंभीर रूप लेता जा रहा है। भू-माफिया सरकारी और निजी कृषि भूमि पर बिना किसी वैध अनुमति के प्लॉटिंग कर रहे हैं, जिससे बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। प्रशासनिक अनदेखी के चलते यह समस्या दिनोंदिन विकराल होती जा रही है।

अवैध प्लॉटिंग से बढ़ रही समस्या

समदा गांव समेत कई क्षेत्रों में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर प्लॉटिंग की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तहसील प्रशासन की मिलीभगत के कारण यह कार्य तेजी से फल-फूल रहा है। इसके अलावा, कुछ भू-माफियाओं द्वारा नहरों पर अवैध पुल बनाकर भी प्लॉटिंग की जा रही है, जिससे नहरें संकरी हो रही हैं और सिंचाई विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।

जिलाधिकारी ने दिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश

कौशांबी जिले के जिलाधिकारी ने अवैध प्लॉटिंग पर रोक लगाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने राजस्व विभाग, नगर पालिका प्रशासन और पुलिस को अवैध प्लॉटिंग में संलिप्त लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। हालांकि, प्रशासन की निष्क्रियता के कारण भू-माफिया बेलगाम होते जा रहे हैं और अवैध कॉलोनियों का विस्तार लगातार जारी है।

प्लॉटिंग से जुड़े नियम और प्रावधान

उत्तर प्रदेश में भूमि प्लॉटिंग और विकास के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

1. कृषि भूमि का गैर-कृषि उपयोग (धारा 143)

यदि कोई व्यक्ति कृषि भूमि का उपयोग आवासीय या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करना चाहता है, तो उसे उत्तर प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 143 के तहत भूमि उपयोग परिवर्तन (लैंड यूज़ चेंज) की अनुमति लेनी अनिवार्य है। बिना इस अनुमति के कृषि भूमि पर प्लॉटिंग या निर्माण कार्य अवैध माना जाता है, जिसके लिए तीन वर्ष तक की कारावास और जुर्माना हो सकता है।

2. विकास प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC)

कृषि भूमि पर प्लॉटिंग या निर्माण कार्य शुरू करने से पहले संबंधित विकास प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करना आवश्यक है। यह नियम अवैध प्लॉटिंग और अनियोजित विकास को रोकने के लिए लागू किया गया है।

3. भूमि खरीद की सीमा

उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति अधिकतम 12.5 एकड़ कृषि भूमि खरीद सकता है। इससे अधिक भूमि खरीदने पर वह अतिरिक्त भूमि राज्य सरकार के अधीन हो जाएगी। यह प्रावधान भूमि के समान वितरण और अतिक्रमण को रोकने के लिए लागू किया गया है।

पहले से चिन्हित भू-माफियाओं पर प्रशासन की नजर

कौशांबी जिले में भू-माफियाओं और राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों के बीच साठगांठ के कारण सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के मामले सामने आए हैं। मंझनपुर मुख्यालय में अरबों रुपये मूल्य की सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया है, जिसमें प्रशासन की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है। हाल ही में, प्रशासन ने अवैध प्लॉटिंग में संलिप्त कुछ भू-माफियाओं की पहचान की है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।

ओसा, समदा,भरवारी , अमहा , करारी , मंझनपुर चारों तरफ ,रोही , कादीपुर ससुर खदेरी नदी का किनारा भी , पाता, पतौना, मूरतगंज, धन्नी सकाढा, अषाढ़ा और पूरे जिले में अवैध प्लाटिंग धड़ल्ले से चल रही है। समदा के आराजी नंबर- 310 ,312 और 24 ग़ तथा भडेसर, घना का पुरवा, बरैन का पुरवा, बिछौरा, आदि जगहों पर अवैध प्लाटिंग हो रही है। समदा मे हिमाद्रि कोल्ड स्टोर के बगल में सरकारी नाला सहित प्लाटिंग हो चुकी है।

डीएम मनीष कुमार वर्मा द्वारा बनाए गए सख्त नियम

पूर्व जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने अवैध प्लॉटिंग को रोकने के लिए मंझनपुर और भरवारी के 46 गांवों को विनियमित क्षेत्र घोषित किया था। इस निर्णय के तहत, बिना ले-आउट पास कराए किसी भी प्रकार की भूमि की खरीद-फरोख्त और निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

विनियमित क्षेत्र के नियम:

  1. ले-आउट स्वीकृति: किसी भी भूमि विकास या भवन निर्माण से पहले संबंधित प्राधिकरण से ले-आउट स्वीकृत कराना आवश्यक होता है।
  2. निर्माण प्रतिबंध: बिना अनुमोदित ले-आउट के किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य प्रतिबंधित होता है।
  3. भूमि लेन-देन पर नियंत्रण: भूमि की खरीद-फरोख्त के लिए भी प्राधिकरण से अनुमति लेना अनिवार्य है, जिससे अनियोजित विकास रोका जा सके।

नियमों का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश

यदि कोई व्यक्ति या समूह बिना अनुमति के प्लॉटिंग करता है, तो उसके खिलाफ निम्नलिखित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है:

अवैध निर्माणों पर ध्वस्तीकरण (Bulldozer Action)

    • बिना अनुमति के प्लॉटिंग या निर्माण कार्य करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलवाया जान चाहिए है।
    • कई मामलों में प्रशासन ने अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त करने की कार्रवाई भी की है।
  1. जुर्माना और दंडात्मक कार्रवाई
    • बिना स्वीकृति के प्लॉटिंग करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान  है।
    • अधिनियम के तहत ₹50,000 से लेकर लाखों रुपये तक का आर्थिक दंड संभव है।
    • भूमि उपयोग परिवर्तन (धारा 143) का उल्लंघन करने पर तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
  2. भू-माफियाओं पर गैंगस्टर एक्ट और संपत्ति कुर्की
    • यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से अवैध प्लॉटिंग में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए है।
    • अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को कुर्क किया जाना चाहिए ।
    • रजिस्ट्रेशन पर रोक- अवैध प्लॉटिंग वाले क्षेत्रों में भूमि और भवनों की रजिस्ट्री पर रोक लगाई जान चाहिए । ऐसे मामलों में जिला प्रशासन और राजस्व विभाग सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
    • शिकायत और FIR दर्ज – कई व्यक्ति बिना अनुमति के प्लॉटिंग कर रहे है और अवैध निर्माण करवा रहा है,  उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की जा सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है । इस तरह के मामलों आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाना जरूरी है।

बता दें कि अवैध प्लॉटिंग मंझनपुर और आसपास के इलाकों में शहरीकरण को प्रभावित कर रही है। यदि प्रशासन सख्ती से नियमों का पालन कराए और भू-माफियाओं पर त्वरित कार्रवाई करे, तो इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। प्रशासन और आम जनता को मिलकर इन अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सतर्क रहना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।


(रिपोर्ट: अमरनाथ झा, कौशांबी)

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