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कौशांबी जिले में स्ट्रीट वेंडरों की हो रही उपेक्षा ,नगर पालिकाओं में वेंडिंग जोन और सर्वेक्षण की कमी, 2014 के पथ विक्रेता अधिनियम का नहीं हो रहा क्रियान्वयन

👉 सार्वजनिक संपत्तियों के रिकॉर्ड का अब तक हस्तांतरण नहीं ,प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का वेंडरों को नहीं मिल रहा लाभ 

👉 प्रशासन की लापरवाही से नगर विकास और रोजगार प्रभावित, नहीं हुआ बेंडर के लिए कोई सर्वे और नहीं है कोई आकड़े ..

रिपोर्ट – अमरनाथ झा (पत्रकार) 9415254415, 8318977396

कौशांबी । जिले की विभिन्न नगर पालिकाओं में स्ट्रीट वेंडरों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक बनी हुई है। नगर पालिका मंझनपुर और भरवारी के अलावा आझुआ, सिराथू, करारी, पश्चिम शरीरा, चायल, सराय अकिल, और दारा नगर में भी वेंडरों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। इन क्षेत्रों में अस्थायी, स्थायी और साप्ताहिक वेंडरों की संख्या का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जिससे उनके नियमन और अधिकारों की रक्षा में गंभीर बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।

👉 वेंडरों के लिए विधिक प्रावधान और प्रशासनिक उदासीनता

भारत सरकार द्वारा पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण एवं पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम, 2014 के तहत प्रत्येक नगर निकाय में टाउन वेंडिंग कमेटी (TVC) का गठन किया जाना अनिवार्य है। इस अधिनियम के अनुसार:

नगर पालिकाओं को अपने क्षेत्र में वेंडरों का विस्तृत सर्वेक्षण कराना आवश्यक है।

सर्वेक्षण के उपरांत पात्र वेंडरों को वेंडिंग प्रमाणपत्र जारी करना अनिवार्य है।

वेंडरों के लिए निर्दिष्ट वेंडिंग जोन निर्धारित किए जाने चाहिए।

बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए वेंडरों को विस्थापित करना कानूनन अवैध है।

इसके बावजूद, कौशांबी जिले की नगर पालिकाओं में इस अधिनियम के क्रियान्वयन को लेकर गंभीर लापरवाही देखी जा रही है। अब तक किसी भी नगर पालिका ने वेंडरों की सूची तैयार नहीं की है और न ही उनके लिए कोई सुविधाजनक वेंडिंग जोन विकसित किए गए हैं।

👉 सार्वजनिक संपत्तियों के रिकॉर्ड और प्रशासनिक अनदेखी

विशेष रूप से मंझनपुर नगर पालिका में हाल ही में शामिल किए गए 23 गांवों की सार्वजनिक संपत्तियों का रिकॉर्ड अभी तक तहसील से नगर पालिका को हस्तांतरित नहीं किया गया है। इस संबंध में कई बार पत्राचार किया गया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस स्थिति के चलते:

नगर पालिका द्वारा सार्वजनिक भूमि का नियोजन और विकास कार्य प्रभावित हो रहा है।

अतिक्रमण की समस्या बढ़ती जा रही है, क्योंकि सार्वजनिक संपत्तियों का उचित रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

नगर पालिका की प्रशासनिक कार्यक्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

👉 संभावित समाधान और आवश्यक कदम

कौशांबी जिले में स्ट्रीट वेंडरों की स्थिति सुधारने और नगर पालिकाओं की कार्यप्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने आवश्यक हैं:

1. टाउन वेंडिंग कमेटी (TVC) का शीघ्र गठन: प्रत्येक नगर पालिका में वेंडरों का सर्वेक्षण कर उन्हें विधिक मान्यता प्रदान की जाए।

2. वेंडिंग जोन की स्थापना: वेंडरों को सुनियोजित और सुविधाजनक स्थान उपलब्ध कराए जाएं।

3. प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का क्रियान्वयन: वेंडरों को वित्तीय सहायता देकर उनकी आजीविका को सशक्त किया जाए।

4. सार्वजनिक संपत्तियों का हस्तांतरण और संरक्षण: नगर पालिका में शामिल नए गांवों की सार्वजनिक संपत्तियों का रिकॉर्ड शीघ्र स्थानांतरित किया जाए और उनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

निष्कर्ष…कौशांबी जिले की नगर पालिकाओं में स्ट्रीट वेंडरों के अधिकारों की रक्षा और सार्वजनिक संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर प्रशासनिक लापरवाही स्पष्ट रूप से देखी जा रही है। जब तक नगर पालिका प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक न तो वेंडरों की समस्याओं का समाधान होगा और न ही नगरों का समुचित विकास हो सकेगा। अब देखना यह है कि संबंधित अधिकारी कानूनी प्रावधानों के तहत आवश्यक कार्रवाई करते हैं या यह मुद्दा सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रह जाता है यह एक बड़ा सवाल है।

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