Fri. Apr 11th, 2025

भूदान समिति की जमीनों में हुआ बड़ा घोटाला, जांच की उठी मांग, सदर तहसील के भेलखा,बबुरा, भैला,बिछौरा में गायब हुई जमीन

👉 भूदान की जमीनों को भूमिधरी बनाकर अवैध रूप से किया गया दाखिल-खारिज

👉 नियमों के खिलाफ करोड़ों में बेची गई गरीबों को दी गई जमीनें

👉 लेखपाल और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ हेरफेर

👉 सामाजिक संगठनों और जनता ने की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग

रिपोर्ट – अमरनाथ झा – 8318977396

कौशाम्बी । जिले में भूदान समिति की जमीनों को लेकर बड़े पैमाने पर घोटाले की आशंका जताई जा रही है। सदर्वतशील के भेलखा, बबुरा, भैला मकदूमपुर, बिछौरा सहित जिले के कई गांवों में भूदान की जमीनों पर अवैध कब्जे और हेराफेरी के मामले सामने आ रहे हैं। नियमों को दरकिनार कर इन जमीनों को भूमिधरी बनाकर करोड़ों रुपये में बेचा जा चुका है।

क्या हैं भूदान की जमीनों के नियम?

भूदान आंदोलन के तहत मिली जमीन का निजी स्वामित्व नहीं होता। इसे केवल खेती और सार्वजनिक उपयोग के लिए दिया जाता है। उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम के तहत इन जमीनों का न तो दाखिल-खारिज किया जा सकता है और न ही इन्हें बेचा जा सकता है। भूदान समिति की जमीन का कोई व्यक्ति व्यक्तिगत स्वामी नहीं बन सकता, लेकिन जिले में इन नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं।

कैसे हुआ घोटाला?

सूत्रों के मुताबिक, भूदान की जमीनों को भूमिधरी में बदलकर अवैध रूप से दाखिल-खारिज करवा लिया गया। कई मामलों में पटवारी और लेखपालों की मिलीभगत से सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर कर इन जमीनों को फर्जी मालिकों के नाम चढ़ा दिया गया। इस प्रक्रिया के बाद जमीनें प्राइवेट संपत्ति बन गईं और करोड़ों रुपये में बेची गईं।

स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि बस्ती में मौजूद कई भूदान की जमीनें भी गायब हो चुकी हैं। जब स्थानीय लोग और किसान इस पर सवाल उठाते हैं, तो संबंधित विभाग से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता।

यदि हुई जांच, तो होगा बड़ा खुलासा

अगर इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो करोड़ों रुपये की अवैध खरीद-फरोख्त सामने आ सकती है। बताया जा रहा है कि कई जगहों पर भीख में मिली 7 बीघे तक की जमीन को भूमिधरी कराकर करोड़ों में बेचा गया है।

जनता और सामाजिक संगठनों ने इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इस पूरे मामले में कठोर कार्रवाई करे और दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगी, तो यह घोटाला और बड़े स्तर पर फैल सकता है, जिससे गरीबों और किसानों को भारी नुकसान होगा।

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