मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर और दलालों की साठगांठ, गरीब मरीजों की जेब पर डाका

👉 सरकारी इलाज की आस में आए मरीजों को महंगी दवा और जांच के जाल में जा रहा फंसाया…
👉 मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर और दलालों की मिलीभगत, गरीब मरीज लुटने को मजबूर
👉 एक रुपये के पर्चे पर हजारों की दवा और जांच, सरकारी डॉक्टरों का नया खेल
👉 मरीजों को डराकर महंगी दवाओं और निजी लैब की जांच के लिए किया जा रहा मजबूर
👉 दलालों के जाल में फंसे गरीब मरीज, इलाज के नाम पर हो रही खुलेआम लूट
👉 स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर सवाल, क्या होगी कोई ठोस कार्रवाई?
कौशांबी । जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बनाए गए मेडिकल कॉलेज की असलियत अब गरीब मरीजों के लिए एक डरावना सपना बन गई है। सरकारी डॉक्टरों और दलालों की मिलीभगत से यहां इलाज कराने आए जरूरतमंद मरीजों की जेबें काटी जा रही हैं।
झोलाछाप डॉक्टरों के शोषण से परेशान मरीजों ने जब मेडिकल कॉलेज की शुरुआत पर राहत की सांस ली थी, तब शायद उन्होंने नहीं सोचा था कि यहां भी उन्हें लूट का शिकार होना पड़ेगा। मरीजों को एक रुपये के सरकारी पर्चे पर इलाज तो मिलता है, लेकिन डॉक्टर उन्हें महंगी दवाएं और निजी लैब से जांच करवाने की सलाह देकर लूट का खेल खेल रहे हैं।
कैसे होता है खेल?
- डॉक्टर मरीज को सरकारी दवा और जांच पर भरोसा न करने की सलाह देते हैं।
- मरीज को डराया जाता है कि सरकारी दवा और जांच से उसकी बीमारी और गंभीर हो सकती है।
- डॉक्टर अपनी पसंदीदा दवा दुकानों और लैब्स पर महंगे इलाज के लिए भेज देते हैं।
- इस दौरान दलाल सक्रिय हो जाते हैं और मरीज को निजी दुकानों व जांच केंद्रों तक ले जाकर ठगते हैं।
- इस गोरखधंधे से अर्जित रकम डॉक्टर और दलाल आपस में बांट लेते हैं।
स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी!
हैरानी की बात यह है कि यह खेल लंबे समय से जारी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को या तो इसकी खबर नहीं है, या फिर वे जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं। जब इस मामले पर सवाल उठते हैं, तो उनका जवाब हमेशा यही होता है –
“हमें इसकी जानकारी नहीं थी, अगर ऐसा हो रहा है तो जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
आखिर गरीब कहां जाए?
सरकारी अस्पतालों पर भरोसा करने वाले गरीब मरीज अब दोहरी मार झेल रहे हैं—पहले निजी डॉक्टरों और झोलाछापों की लूट, और अब सरकारी डॉक्टरों की दलाली। ऐसे में सवाल उठता है कि गरीबों के लिए बनाए गए इन अस्पतालों का असली मकसद क्या है? क्या यह गरीबों को राहत देने के लिए हैं, या फिर डॉक्टरों और दलालों की जेब भरने के लिए?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले पर कोई ठोस कदम उठाता है या फिर हमेशा की तरह यह मामला भी दबा दिया जाएगा।