कौशाम्बी । जनपद के मंझनपुर नगर पंचायत को 21 दिसंबर 2020 को नगर पालिका का दर्जा दिया गया था। इस प्रक्रिया में सदर तहसील के 23 गांवों को नगर पालिका के अंतर्गत शामिल किया गया। लेकिन चार साल बाद भी न तो राजस्व रिकॉर्ड सौंपा गया है और न ही सार्वजनिक संपत्तियों का सीमांकन और चिन्हांकन हुआ है।
इस देरी ने न केवल नगर पालिका प्रशासन बल्कि तहसील प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इन गांवों के सीमांकन का काम अभी तक अधूरा है, जिससे सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा और संरक्षण में गंभीर लापरवाही नजर आ रही है। तहसील प्रशासन ने अब तक गांवों का सीमांकन कराने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है।
नगर पालिका प्रशासन भी इस मुद्दे पर कोई ठोस जवाब देने में असमर्थ है। नगर पालिका की अधिशासी अधिकारी (EO) प्रतिभा सिंह ने इस मामले पर कैमरे पर बयान देने से इनकार कर दिया। उनकी चुप्पी ने इस मुद्दे को और गहराई दे दी है। सीमांकन और रिकॉर्ड की अनुपलब्धता के कारण नगर पालिका के विकास कार्यों में बाधा आ रही है।
स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक देरी पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि नगर पालिका बनने के चार साल बाद भी बुनियादी प्रशासनिक प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो सकी हैं। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। पब्लिक प्रॉपर्टी की सुरक्षा और राजस्व रिकॉर्ड न होने से विकास कार्यों में पारदर्शिता और कुशलता की कमी बनी हुई है।
प्रशासनिक लापरवाही के कारण सीमांकन और रिकॉर्ड सौंपने की प्रक्रिया में देरी हो रही है। नगर पालिका और तहसील प्रशासन के बीच समन्वय की कमी स्पष्ट रूप से दिख रही है। जनता का सवाल है कि अगर सीमांकन और रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होंगे, तो विकास कार्यों और सार्वजनिक संपत्तियों के संरक्षण को कैसे सुनिश्चित किया जाएगा । बड़ा सवाल यह है कि सीमांकन और राजस्व रिकॉर्ड सौंपने का इंतजार आखिर कब खत्म होगा? जबकि कई बार नगर पालिका मंझनपुर कार्यालय की तरफ से उच्च अधिकारियों को तथा तहसील के अधिकारी को पत्राचार किया गया है। यह सवाल आज भी जनता के बीच बना हुआ है। अगर प्रशासन ने जल्द ही इस मुद्दे का समाधान नहीं किया, तो जनता की नाराजगी और गहरी हो सकती है।