मकर संक्रांति के पर्व पर लगा कौशांबी में मेला, प्रभाष गिरी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान , यमुना घाट और प्रभाष गिरी पर्वत पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ ,अव्यवस्थित प्रबंधन और जाम से श्रद्धालु परेशान

👉 मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक और आस्था तथा सांस्कृतिक समृद्धि का है पर्व , यमुना घाट और प्रभाष गिरी पर्वत पर आयोजित होता है हर वर्ष मेला, हार वर्ष लाखो श्रद्धालु होते हैं शामिल
कौशांबी । जिले में मकर संक्रांति का पर्व हर वर्ष धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पभोषा क्षेत्र के यमुना घाट और प्रभाष गिरी पर्वत पर आयोजित मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। यमुना नदी में स्नान और प्रभाष गिरी पर्वत की यात्रा इस आयोजन को विशेष बनाते हैं। प्रभाष गिरी पर्वत जैन धर्म के पद्मप्रभु की मूर्ति और मंदिर के कारण कौशांबी की सांस्कृतिक पहचान है। पर्वत पर चढ़ाई करना श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक और रोमांचक अनुभव होता है।
इस वर्ष भी लाखों श्रद्धालुओं ने मेले में भाग लिया। उन्होंने यमुना में स्नान कर धार्मिक पुण्य अर्जित किया और घरेलू उपयोग की वस्तुओं की खरीदारी की। लाठियां यहां विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहीं। हालांकि, अव्यवस्थित प्रबंधन और प्रशासनिक खामियों के कारण आयोजन में कई परेशानियां देखने को मिलीं। तीन किलोमीटर लंबे जाम और यातायात अवरोध ने श्रद्धालुओं को घंटों परेशान किया। कई लोगों को खेतों के रास्ते से होकर मेले तक पहुंचना पड़ा। घाटों पर साफ-सफाई, सुरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था श्रद्धालुओं की संख्या के अनुपात में अपर्याप्त थी।
यातायात अव्यवस्था के कारण श्रद्धालुओं में आक्रोश बढ़ा। स्थिति को नियंत्रित करने में पुलिस प्रशासन की तैयारियां नाकाफी रहीं। मीडिया में अव्यवस्था की खबरें और ट्विटर पर स्थिति की रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस सक्रिय हुई। सीओ अभिषेक सिंह ने पैरा मिलिट्री फोर्स के साथ मौके पर पहुंचकर जाम को नियंत्रित किया।
कौशांबी का यह आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह आयोजन क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने के साथ-साथ श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था को सशक्त करता है। हालांकि, प्रशासन की लापरवाही के कारण मेले में अव्यवस्था और असुविधा का सामना करना पड़ा।
भविष्य में इस प्रकार के आयोजनों के लिए प्रशासन को विस्तृत योजना और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना चाहिए। भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन, सफाई, सुरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा की पर्याप्त व्यवस्था करना आवश्यक है। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए सुखद अनुभव सुनिश्चित करेगा, बल्कि आयोजन की गरिमा और पवित्रता को भी बनाए रखेगा। कौशांबी का यह मेला धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसे सुव्यवस्थित करना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।